रूस-यूक्रेन को ट्रंप का अल्टीमेटम, कहा- कुछ हफ्तों में नहीं हुआ समझौता तो अमेरिका…
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अमेरिका ने साफ किया कि अगर रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता नहीं होता है तो वह पीछे हट जाएगा. पेरिस में रूस-यूक्रेन समझौते के रूप में अमेरिकी सुरक्षा गारंटी का मुद्दा भी उठा.
अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद ट्रंप के निर्णय से ये लगने लगा था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम हो जाएगा. इसे लेकर ट्रंप ने दोनों देशों के राष्ट्रपति से बात भी की, लेकिन अब ये लग रहा है कि अमेरिका अपनी बात से पीछे हटने वाला है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध को लेकर समझौता नहीं होता है तो वो पीछे हट जाएंगे.
‘महीनों तक जारी नहीं रखेंगे सीजफायर की कोशिशें’
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूबियो ने पेरिस में यूरोपीय और यूक्रेनी नेताओं से मुलाकात के बाद कहा, “हम रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर की कोशिशों को महीनों तक जारी नहीं रखेंगे. हमें जल्द ही निर्णय लेने की जरूरत है. मैं कुछ ही दिनों की बात कर रहा हूं कि अगले कुछ हफ्तों में यह संभव है या नहीं. अगर ऐसा नहीं है, तो हमें अन्य प्राथमिकताओं पर भी ध्यान देना होगा.”
‘शांति समझौते के लिए दे दिया बहुत समय’
अमेरिका के विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को लगता है कि इसके लिए (शांति समझौता) बहुत समय खर्च किया जा चुका है. उन्होंने कहा, “यह (रूस-यूक्रेन शांति समझौता) महत्वपूर्ण है, लेकिन कई अन्य महत्वपूर्ण चीजें भी चल रही हैं जो उतनी ही या उससे अधिक ध्यान देने योग्य है.” अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और यूक्रेन के रिश्तों में सुधार हो रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (17 अप्रैल 2025) को कहा कि उन्हें अगले सप्ताह यूक्रेन के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जिससे अमेरिका को यूक्रेन का खनिज मिल पाएगा. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान वादा किया था कि व्हाइट हाउस में अपने पहले 24 घंटों के भीतर यूक्रेन में युद्ध समाप्त कर दिया जाएगा.
अमेरिकी सुरक्षा गारंटी का मुद्दा उठा
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि रूस-यूक्रेन समझौते के रूप में अमेरिकी सुरक्षा गारंटी का मुद्दा पेरिस में हुई वार्ता में उठा. उन्होंने कहा कि सुरक्षा गारंटी एक ऐसा मुद्दा है जिसे हम इस तरह से हल कर सकते हैं कि वह सभी को स्वीकार्य हो. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि हमारे सामने बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका हमें पता लगाना होगा.
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