230 kmph स्पीड, 150 kg पेलोड… बॉर्डर पर ‘किलर ड्रोन’ उतारे, भारत को बांग्लादेश की गीदड़भभकी।
1 min read
|








बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस सरकार ने भारत को गीदड़भभकी दी है. जिस भारत की मदद से पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर ‘बांग्लादेश’ बना, अब वह उसी पर आंखें तरेर रहा है. पाकिस्तान और चीन की गोद में झूल रहे यूनुस ने सीधे भारत के इकबाल को चुनौती है. कुछ दिन पहले ही तुर्की से खरीदे गए ‘किलर ड्रोन’ – बायरकटार टीबी2 – को भारत से लगती सीमा पर तैनात किया गया है. ये वहीं ड्रोन हैं जिनके सहारे चार साल पहले, अजरबैजान ने आर्मीनिया की चूलें हिला दी थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश ने इन्हें भारत से लगते बॉर्डर पर उतारा है. आइए, जानते हैं कि Bayraktar TB2 को ‘किलर ड्रोन’ क्यों कहा जाता है.
बांग्लादेश ने क्यों बॉर्डर पर तैनात किए Bayraktar TB2 ड्रोन?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश ने बायरकटार टीबी2 ड्रोन को भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात किया है. बांग्लादेश की सेना इन ड्रोन्स का इस्तेमाल टोही मिशनों से लेकर निगरानी वगैरह के लिए करती है. बांग्लादेश की सरकार भले ही यह कह रही हो तो बायरकटार TB2 ड्रोन्स की तैनाती रक्षा उद्देश्यों के लिए है, बदले हुए हालात में यह बात गले नहीं उतरती. इतने संवेदनशील इलाके में अत्याधुनिक ड्रोन की तैनाती नई दिल्ली को रास नहीं आ रही.
सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने ड्रोन्स की तैनाती से जुड़ी रिपोर्ट्स मिलने के बाद सर्विलांस बढ़ा दिया है. भारत के पास हेरॉन TP जैसे ड्रोन तैनात करने का विकल्प हैं जो बायरकटार टीबी2 से लोहा ले सकते हैं. हालांकि, अभी तक ऐसा फैसला नहीं किया गया है.
बायरकटार टीबी2 ड्रोन की रेंज और स्पीड क्या है?
तुर्की में बने बायरकटार टीबी2 ड्रोन बेहद हल्के हैं. अमेरिका के MQ-9 Reaper ड्रोन के मुकाबले इनका वजन 1/8 है. Bayraktar TB2 ड्रोन की अधिकतम रफ्तार 230 किलोमीटर प्रति घंटा है. ये UAV अपने साथ 150 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकते हैं. इन्हें बनाने वाली कंपनी के अनुसार, ये लगातार 24 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और लगभग 300 किलोमीटर की ऑपरेशनल दूरी तय कर सकते हैं.
क्यों कहा जाता है ‘किलर ड्रोन’?
Bayraktar TB2 ड्रोन का जलवा दुनिया अजरबैजान-आर्मीनिया की जंग में देख चुकी है. ये ड्रोन अपनी घातक MAM लेजर-गाइडेड मिसाइलों के जरिए आधुनिक टैंकों का सफाया कर सकते हैं. एक बार में ये ऐसी चार मिसालें कैरी कर सकते हैं. इसमें ऑप्टिकल और इंफ्रारेड कैमरा लगे हैं और लेजर के जरिए टारगेट ढूंढ़ने और फायर करने की क्षमता है. ये ड्रोन दुश्मन के इलाके में भीतर तक घुसकर तबाही मचा सकते हैं.
कितने घातक साबित हो सकते हैं?
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस तरह के कुछ ड्रोन्स अपने टारगेट के पास पहुंचने समय अस्थिर करने वाली आवाज निकालते हैं. रिपोर्ट्स बताती है कि 2020 में जब अजरबैजान ने आर्मीनिया के खिलाफ युद्ध में इनका इस्तेमाल किया तो जंग का रुख ही बदल गया. आर्मीनियाई सेना परंपरागत टैंकों, मिसाइलों, रॉकेटों और बख्तरबंद गाड़ियों के भरोसे थी, एंटी ड्रोन हथियार उसके पास न के बराबर थे. जब अजरबैजान ने Bayraktar TB2 ड्रोन लॉन्च किए तो आर्मीनिया के पास उनसे टक्कर लेने की ताकत ही नहीं थी.
एक रिपोर्ट दावा करती है कि युद्ध में आर्मीनिया की सेना ने 185 टैंक, 45 बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, 44 पैदल सेना के लड़ाकू वाहन, 147 टोड आर्टिलरी गन, 19 स्वचालित आर्टिलरी, 72 मल्टी-बैरल रॉकेट लांचर और 12 रडार खो दिए. इसकी तुलना में अजरबैजान का नुकसान मामूली था.
भारत से क्यों दुश्मनी मोल ले रहा बांग्लादेश?
भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है. असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और पश्चिम बंगाल राज्यों से बांग्लादेश की सीमा गुजरती है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बनने के आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध तनावपूर्ण हुए हैं. भारत बांग्लादेश देश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता जताता रहा है. पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय समेत अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं. भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments