क्या आप विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद देंगे? मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा, ”हम विपक्ष को बुलाएंगे…”
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किसी भी विपक्षी दल के पास इतनी ताकत नहीं है कि वह विधानसभा में विपक्ष का नेता चुन सके. इस पर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने टिप्पणी की है.
महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति अलग है. यहां राजनीति दक्षिण के राजनेताओं की तरह ‘खून के प्यासे’ की तरह नहीं की जाती. महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने शपथ ग्रहण के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, भले ही हमारे पास मजबूत बहुमत है, लेकिन हम विपक्ष की आवाज नहीं दबाएंगे, उनकी आवाज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। विरोधियों की संख्या कम है. अगर आप विपक्ष की आवाज़ को महत्व देना चाहते हैं तो क्या आप विपक्ष के नेता पद का समर्थन करेंगे? ऐसा सवाल पूछा गया था देवेन्द्र फड़णवीस से. इस मुद्दे पर फड़णवीस ने महायुति का रुख जाहिर किया.
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा, ”विपक्ष के नेता का फैसला विधानसभा अध्यक्ष लेते हैं. सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं लेती. राष्ट्रपति जो भी निर्णय लेंगे, हम उसे स्वीकार करेंगे.’ जब 10 वर्षों तक लोकसभा में कोई विपक्ष का नेता नहीं था, भले ही वह सबसे बड़ी पार्टी का नेता हो, तो उसे लोकसभा द्वारा विपक्ष के नेता की सभी शक्तियाँ दी गईं। साथ ही जहां भी कोई विपक्षी नेता था, उसे ले जाया गया. अगर राष्ट्रपति विपक्ष के नेता को मंजूरी दे देते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी.”
विरोध के विषय का भी सम्मान होगा
पिछले पांच साल में राज्य ने खूब राजनीति देखी है, क्या अगले पांच साल में अलग राजनीति देखने को मिलेगी? ये सवाल मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस से पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा, ”इस बार बिल्कुल अलग राजनीति होगी. मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं ऐसी राजनीति करना चाहता हूं जो परिवर्तन दिखाएगी, परिवर्तन नहीं। यह सच है कि विरोधियों की संख्या कम है. लेकिन हम विपक्ष की आवाज़ या उनकी संख्या का आकलन नहीं करेंगे. उन्होंने सही विषय उठाये. तो आइए उस विषय को भी उतना ही सम्मान दें। पांच साल की स्थिर सरकार देखने को मिलेगी. जनता ने प्रचंड बहुमत दिया है. इसलिए लोगों को एक स्थिर सरकार देना हमारी जिम्मेदारी है।”
देवेंद्र फड़नवीस ने यह भी कहा, ‘हम लोगों की इस उम्मीद को पूरा करेंगे कि राज्य ने 2019 से 2022 के मध्य तक जो विभिन्न बदलाव देखे, उनका दोबारा सामना न करना पड़े।’
‘खून के प्यासे’ जैसी नहीं है महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति अन्य राज्यों से अलग है. उनसे उन नेताओं के बारे में सवाल पूछा गया था जो कहते थे कि वे राजनीति खत्म कर देंगे. इस पर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को यह प्रयास करना होगा कि महाराष्ट्र का राजनीतिक माहौल कैसे ठीक किया जा सके। आज शपथ समारोह का न्योता सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दिया गया है. साथ ही, मैंने खुद राज ठाकरे को फोन करके शपथ ग्रहण समारोह का न्योता दिया था.’ लेकिन वह अपने निजी कार्यक्रम के कारण नहीं आ सके. महाराष्ट्र में राजनीतिक संवाद कभी खत्म नहीं होता. साउथ की राजनीति खून के प्यासे जैसी है. महाराष्ट्र में उस तरह की राजनीति नहीं होती.
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