क्या अगले साल तक 4,000 डॉलर के पार कर जाएगा सोना? जानें क्या कहता है जेपी मॉर्गन।
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जेपी मॉर्गन के इस पूर्वानुमान के पीछे एक प्रमुख कारक इन्वेस्टर्स और केंद्रीय बैंकों से लगातार मजबूत खरीदारी है. बैंक को उम्मीद है कि इस साल शुद्ध सोने की मांग औसतन 710 टन प्रति तिमाही के आसपास रहेगी.
आने वाले दिनों में सोने का दाम रिकॉर्ड तोड़ तेजी के साथ बढ़ सकता है. जेपी मॉर्गन ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि 2026 के मध्य तक सोना की कीमत प्रति औंस 4 हजार डॉलर को पार कर सकती है. बैंक ने हाल में अपने में एक नोट में कहा कि बढ़ती मंदी की चिंताएं, अमेरिका की तरफ से लगाए गए हाई टैरिफ और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से पीली धातु में लगातार तेजी आने की उम्मीद है.
जेपी मॉर्गन का ऐसा मानना है कि 2025 की चौथी तिमाही तक सोने का औसत मूल्य 3,675 डॉलर प्रति औंस रहेगा. उसने कहा कि यदि इन्वेस्टर्स और केंद्रीय बैंकों की मांग मजबूत बनी रहती है तो कीमतें 4,000 डॉलर के स्तर को पहले भी छू सकती हैं. इस साल अब तक स्पॉट गोल्ड में पहले ही 29% की उछाल आ चुकी है. 22 अप्रैल को सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया.
Goldman Sachs भी अब और अधिक तेजी का रुख अपना रहा है, जिसने हाल ही में 2025 के आखिर के अपने पूर्वानुमान को 3,300 डॉलर से बढ़ाकर 3,700 डॉलर प्रति औंस कर दिया है. बैंक का कहना है कि एक चरम स्थिति में, अगले साल के अंत तक सोना 4,500 डॉलर तक भी पहुंच सकता है.
दरअसल, जेपी मॉर्गन के इस पूर्वानुमान के पीछे एक प्रमुख कारक इन्वेस्टर्स और केंद्रीय बैंकों से लगातार मजबूत खरीदारी है. बैंक को उम्मीद है कि इस साल शुद्ध सोने की मांग औसतन 710 टन प्रति तिमाही के आसपास रहेगी. एक्सपर्ट्स ने लिखा, “अगले साल सोने की कीमतों के 4,000 डॉलर प्रति औंस की ओर बढ़ने के हमारे पूर्वानुमान का आधार निवेशकों और केंद्रीय बैंकों की सोने की लगातार मजबूत मांग है. जो इस साल शुद्ध रूप से लगभग 710 टन प्रति तिमाही है.”
फिर भी, जेपी मॉर्गन ने संभावित नकारात्मक जोखिमों की तरफ भी अपने पूर्वानुमानों में इशारा किया है. यदि केंद्रीय बैंकों की मांग कमजोर होती है या अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था टैरिफ झटकों का अनुमान से बेहतर ढंग से सामना करती है तो फेड अधिक आक्रामक रुख अपना सकता है – संभावित रूप से ब्याज दरें बढ़ा सकता है.
बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा, “अधिक महत्वपूर्ण रूप से मंदी का परिदृश्य वो होगा जहां अमेरिकी आर्थिक विकास टैरिफ के प्रति अविश्वसनीय रूप से लचीला बना रहता है, जिससे फेड मुद्रास्फीति के जोखिमों से निपटने में कहीं अधिक सक्रिय हो सकता है, जिससे बाजार वास्तविक चिंताजनक मुद्रास्फीति आने से पहले ही दरों में बढ़ोतरी की आशंका जताने लगेंगे.”
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