उत्तराखंड: ड्रोन पायलट संस्थान पहुंचेगी DGCA की टीम, यहां के सर्टिफिकेट पूरे देश में होंगे मान्य।
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आईटीडीए अधिकारियों को उम्मीद है कि निरीक्षण के बाद जल्द ही संस्थान को डीजीसीए की अंतिम स्वीकृति मिल जाएगी और इसी साल से प्रमाण पत्र जारी करने वाला पहला सत्र शुरू हो जाएगा.
उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. राज्य के पहले ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्थान को जल्द ही डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) की मान्यता मिलने वाली है. इसके बाद यहां से प्राप्त प्रमाण पत्र न केवल उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश में मान्य होंगे और युवाओं के रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसरों के नए द्वार खुलेंगे.
राज्य सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के माध्यम से देहरादून के आईटी पार्क में स्थापित किए गए ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्थान का निरीक्षण करने के लिए डीजीसीए की टीम बृहस्पतिवार को देहरादून पहुंचेगी. टीम आईटी पार्क स्थित आईटीडीए परिसर में संस्थान के संचालन, प्रशिक्षण प्रक्रिया और अन्य बुनियादी ढांचे का मूल्यांकन करेगी. इसके साथ ही टीम राज्य के आईटी सचिव नितेश झा से भी मुलाकात कर संस्थान की भावी योजनाओं पर चर्चा करेगी.
रोजगार पाने में मिलेगी बड़ी मदद
आईटीडीए की निदेशक एवं अपर सचिव आईटी, नितिका खंडेलवाल ने बताया कि अभी तक संस्थान में ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन प्रशिक्षुओं को कोई मान्य प्रमाण पत्र नहीं मिलता. डीजीसीए से मान्यता मिलने के बाद प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, जो पूरे देश में मान्य होंगे. इससे युवाओं को निजी और सरकारी क्षेत्र में रोजगार पाने में बड़ी मदद मिलेगी. साथ ही वे स्वयं का व्यवसाय भी स्थापित कर सकेंगे, जैसे कि कृषि, सर्वेक्षण, फिल्म निर्माण और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में ड्रोन सेवाएं प्रदान करना.
नितिका खंडेलवाल के अनुसार, ड्रोन तकनीक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है. आने वाले समय में ड्रोन पायलटों की मांग कई गुना बढ़ने वाली है. इसलिए, सरकार की कोशिश है कि राज्य के युवा इस क्षेत्र में प्रशिक्षित होकर देशभर में रोजगार के बेहतर अवसर हासिल कर सकें. उन्होंने बताया कि आईटीडीए में प्रशिक्षण के लिए अत्याधुनिक उपकरण और ड्रोन सिमुलेटर लगाए जा रहे हैं, ताकि छात्रों को सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों तरह का ज्ञान दिया जा सके.
क्या हैं दिशा निर्देश
डीजीसीए की टीम संस्थान के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, प्रशिक्षकों की योग्यता, प्रशिक्षण उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की गहन समीक्षा करेगी. अगर निरीक्षण के दौरान कोई कमी पाई जाती है तो टीम सुधार के लिए सुझाव भी दे सकती है. डीजीसीए के दिशा-निर्देशों के अनुसार आवश्यक संशोधन करने के बाद संस्थान को औपचारिक मान्यता प्रदान की जाएगी.
आईटीडीए अधिकारियों को उम्मीद है कि निरीक्षण के बाद जल्द ही संस्थान को डीजीसीए की अंतिम स्वीकृति मिल जाएगी और इसी साल से प्रमाण पत्र जारी करने वाला पहला सत्र शुरू हो जाएगा. इससे न केवल उत्तराखंड के युवाओं को लाभ मिलेगा, बल्कि अन्य राज्यों के छात्र भी यहां प्रशिक्षण के लिए आ सकेंगे, जिससे राज्य की तकनीकी शिक्षा को एक नई पहचान मिलेगी.
ड्रोन इंडस्ट्री में नौकरियां
उल्लेखनीय है कि ड्रोन संचालन आज के समय में कृषि क्षेत्र से लेकर आपदा प्रबंधन, फिल्म इंडस्ट्री, सर्वेक्षण, ट्रैफिक मॉनिटरिंग और रक्षा क्षेत्र तक में व्यापक रूप से उपयोग हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में ड्रोन इंडस्ट्री में लाखों नौकरियां सृजित होंगी. ऐसे में उत्तराखंड के युवाओं के लिए यह संस्थान भविष्य को संवारने का एक सुनहरा अवसर बन सकता है.
सरकार भी ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बना रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कई बार इस बात पर जोर दिया है कि तकनीकी शिक्षा और आधुनिक तकनीकों में दक्षता युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी. ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्थान इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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