ट्रंप के टैरिफ ने बरपाया पूरी दुनिया पर कहर, लेकिन कैसे नहीं हिला पाया भारतीय बाजार!
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2 अप्रैल के बाद से सेंसेक्स और निफ्टी में करीब ढाई फीसदी की तेजी देखने को मिली है. अमेरिकी डॉलर में अगर देखें तो इन दोनों ही इंडेक्सों का रिटर्न करीब 2 फीसदी है.
जब 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की, उसके बाद ग्लोबल स्टॉक मार्केट पूरी तरह से हिल गई. अरबो डॉलर का दुनियाभर में नुकसान हुआ. अमेरिकी करेंसी में गिरावट ने ट्रंप को अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया. लेकिन इन विपरित परिस्थितियों में एक देश ऐसा भी रहा जो पूरी मजबूती के साथ चुनौतियों का सामना करते हुए चट्टान की तरह खड़ा रहा. वो है भारत. भारतीय शेयर बाजार ने टैरिफ एलान के बाद से हुए नुकसान की न सिर्फ पूरी तरह से भरपाई कर ली है, बल्कि उससे काफी ऊपर निकल चुका है.
पूरी दुनिया में भारत इस समय इकलौता ऐसा शेयर बाजार है, जहां पर इन्वेस्टर्स 2 अप्रैल के बाद से मुनाफे में हैं. भारत के मुकाबले दुनिया के बाकी शेयर बाजारों का क्या हाल है उसकी वजह की आइये पड़ताल करते हैं. 2 अप्रैल के बाद से सेंसेक्स और निफ्टी में करीब ढाई प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है. अमेरिकी डॉलर में अगर देखें तो इन दोनों ही इंडेक्सों का रिटर्न करीब 2 फीसदी है. वहीं पर अमेरिका, यूरोप और एशिया के बाकी बाजार अब भी नुकसान में हैं.
भारतीय बाजार ने की भरपाई
अगर पिछले हफ्ते की बात करें के निफ्टी में कारोबारी पांच सत्र के दौरान इसमें करीब साढ़े फीसदी की उछाल आया है. जबकि इसके मुकाबले चीन के शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में इस दौरान महज 2 फीसदी और जापाने के निक्केई इंडेक्स में सिर्फ 1.3 फीसदी की तेजी देखने को मिली.
अमेरिका का S&P 500 इंडेक्स इसी अवधि के दौरान 1.4 फीसदी नीचे लुढ़का है. साथ ही, दुनिया के सबसे बड़ा शेयर बाजारों में भारत ही इकलौता ऐसा देश है, जहां के शेयर मार्केट ने 2 अप्रैल के बाद लगे झटके की अब पूरी तरह से भरपाई कर ली है. अगर दुनिया के सबसे बड़े शेयर मार्केट अमेरिका की बात करें तो ट्रंप के एलान के बाद से वहां का S&P 500 इंडेक्स 7 फीसदी और डाउ जोन्स इंडेक्स 6 प्रतिशत तक टूट चुका है.
अमेरिका से यूरोप तक नुकसान
यूरोप के शेयर बाजारों का भी कुछ इसी तरह का हाल है. फ्रांस का सीएसी इंडेक्स 7.5 प्रतिशत और जर्मनी का डीएस इंडेक्स 5.4 प्रतिशत तक गिर चुका है. यहां तक की एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली है. चीनआ का सीएसआई 300 इंडेक्स 2 अप्रैल के बाद से अब तक 3.9 फीसदी, हांगकांड का हैंगसंग इंडेक्स 7.8 प्रतिशत और ताइवान का स्टॉक एक्सचेंज 8.4 फीसदी तक टूट चुका है.
जापान के निक्केई इंडेक्स में भी 3.8 फीसदी की गिरावट आयी जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 1.4 प्रतिशत नीचे हैं. इसके अलावा, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, न्यूजीलैंड और ब्राजील के शेयर बाजार भी 2 अप्रैल के बाद से अब तक लाल निशान में ही चल रहा है. ऐसे में ये सवाल लाजिमी है कि कैसे जब पूरी दुनिया में टैरिफ से इतना हड़कंप मचा तो फिर भारत कैसे टैरिफ के कहर से बेअसर रहा. इसका जवाब है भारत का मजबूत घरेलू डिमांड और सरकार की तरफ से अपनी गई सूझबूझ वाली कूटनीति.
बाजार के एक्सपर्ट मानते हैं कि भारतीय स्टॉक मार्केट में तेजी की एक वजह ये भी है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ट्रेड डील की संभावना है. भारत ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में कोई भी आक्रामक रुख नहीं अपनाया है. न ही भारत ने कोई आलोचना की. ऐसे में जल्दी ही एक समझौता हो सकता है. साथ ही, भारत ने तनाव खत्म करने के लिए अपने यहां पर अमेरिका से आयात होने वाले सामानों पर टैरिफ कम किया.
महंगी बाइक पर टैरिफ भारत ने करीब 50 प्रतिशत तक कम करके 30 प्रतिशत कर दिया. अर्बन विस्की पर टैरिफ 150 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत और टेलिकॉम इक्विपमेंट्स पर टैरिफ 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया.
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