महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती पर देशभर में श्रद्धांजलि, सामाजिक न्याय और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को किया गया याद।
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नासिक: आज, 11 अप्रैल 2025 को, भारत में महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की 198वीं जयंती मनाई जा रही है। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र में हुआ था। वे जाति व्यवस्था, छुआछूत, और महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन के अग्रणी नेता थे।
महात्मा फुले का योगदान
१. शिक्षा में क्रांति: 1848 में, उन्होंने पुणे के भिड़े वाड़ा में अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर भारत का पहला कन्या विद्यालय स्थापित किया। सावित्रीबाई स्वयं इस विद्यालय की पहली शिक्षिका बनीं।
२. सत्यशोधक समाज की स्थापना: 1873 में, फुले ने ‘सत्यशोधक समाज‘ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जातिगत भेदभाव को समाप्त करना और समाज में समानता स्थापित करना था।
३. साहित्यिक योगदान: उन्होंने ‘गुलामगिरी’ (1873) जैसी पुस्तकों के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों की आलोचना की और समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर पर प्रभाव
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने महात्मा फुले को अपने तीन प्रमुख गुरुओं में से एक माना, अन्य दो गौतम बुद्ध और कबीर थे। अंबेडकर ने अपनी पुस्तक “Who Were the Shudras?” (1946) को फुले को समर्पित किया और उन्हें “आधुनिक भारत का सबसे महान शूद्र” कहा।
राष्ट्रीय श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने महात्मा फुले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सामाजिक सुधारों को याद किया।
राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने भी सोशल मीडिया पर उन्हें नमन किया। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत विभिन्न नेताओं ने महात्मा फुले के विचारों को आज के समाज के लिए प्रासंगिक बताया और उनसे प्रेरणा लेने की बात कही।
इस दिन को ‘सामाजिक न्याय दिवस‘ के रूप में भी कई जगहों पर मनाया जा रहा है। समाचारवानी.इन डिजिटल न्यूज़ की और से महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी को विनम्र अभिवादन.
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