क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिराव फुले की 134वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।
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पुणे: आज, 28 नवंबर 2024, को क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की 134वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे देश ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। समाज सुधारक, शिक्षाविद् और महिलाओं एवं दलितों के अधिकारों के प्रबल समर्थक महात्मा फुले ने भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव के खिलाफ अमूल्य योगदान दिया।
महात्मा फुले का प्रारंभिक जीवन
महात्मा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। वे एक माली समाज से थे और बाल्यकाल से ही अन्याय और भेदभाव का सामना करते हुए बड़े हुए। उनका जीवन जातिगत अन्याय और शिक्षा के अभाव के खिलाफ संघर्ष की कहानी है। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा पुणे में प्राप्त की और समाज की वास्तविक स्थिति को समझते हुए अपने जीवन को वंचित और शोषित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।
समाज सुधार और शिक्षा में योगदान
महात्मा फुले ने 1848 में अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर भारत का पहला बालिका विद्यालय पुणे में स्थापित किया। उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया और बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने शूद्रों और अति-शूद्रों के लिए शिक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की।
महात्मा फुले ने 1873 में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सामाजिक समानता, जातिवाद का उन्मूलन और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना था। उन्होंने अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए सार्वजनिक जल स्रोतों और मंदिरों को सभी जातियों के लिए खुलवाने के प्रयास किए।
महात्मा फुले के विचार और लेखन
महात्मा फुले ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘गुलामगिरी’ और ‘किसान का कोड़ा’ प्रमुख हैं। उनकी लेखनी में उन्होंने जाति व्यवस्था की कठोर आलोचना की और मानवता की एकता पर जोर दिया। उनके विचार आज भी समाज सुधारकों के लिए मार्गदर्शक हैं।
पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम
महात्मा फुले की पुण्यतिथि पर महाराष्ट्र सहित पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें संगोष्ठियां, रैलियां और उनके जीवन और विचारों पर आधारित प्रदर्शनी शामिल रहीं। कई नेताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, “महात्मा फुले ने सामाजिक समानता और न्याय के लिए जिस तरह का आंदोलन चलाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
महात्मा फुले की विरासत
महात्मा फुले के कार्यों ने भारतीय समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए। उन्होंने न केवल शिक्षा और समानता की वकालत की, बल्कि दलितों और महिलाओं के लिए नए अवसरों के द्वार खोले। उनकी विरासत आज भी समाज सुधार के लिए एक प्रेरक शक्ति बनी हुई है।
महात्मा फुले को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, समाज उन्हें समानता, शिक्षा और न्याय की लड़ाई में एक नायक के रूप में याद करता है।
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