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    April 23, 2025

    दो हिंदू समेत वो 16 सलाहकार, जो बांग्लादेश सरकार चलाने में करेंगे मोहम्मद यूनुस की मदद.

    1 min read
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    मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली. उनकी सहायता के लिए 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद की घोषणा की गई.

    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली. यूनुस को मंगलवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा संसद भंग किए जाने के बाद अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया. इससे पहले, नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर चली गई थीं.

    यूनुस की सहायता के लिए 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद की घोषणा की गई. यूनुस को मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई गई जो प्रधानमंत्री के समकक्ष पद है. जानते हैं युनूस के 16 सलाहाकर कौन हैं:

    1-डॉ. सालेहुद्दीन अहमद
    सालेहुद्दीन अहमद बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर हैं और वर्तमान में BRAC बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर हैं. अहमद 1 मई, 2005 से 30 अप्रैल, 2009 तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहे. उन्होंने पल्ली कर्मा-सहायक फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक और बांग्लादेश ग्रामीण विकास अकादमी, कमिला और प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत एनजीओ मामलों के ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में भी काम किया.

    2- एएफ हसन आरिफ
    एएफ हसन आरिफ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जो 1970 से बांग्लादेश में वकालत कर रहे हैं. अक्टूबर 2001 से अप्रैल 2005 तक, उन्होंने बीएनपी और जमात के नेतृत्व वाली चार-पक्षीय गठबंधन सरकार के तहत अटॉर्नी जनरल के रूप में काम किया. जनवरी 2008 से जनवरी 2009 तक, उन्होंने कार्यवाहक सरकार के कानूनी सलाहकार के रूप में काम किया.

    हसन आरिफ ने 1967 में भारत के पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट में अपना करियर शुरू किया. इसके बाद, 1970 में, वे ढाका चले गए और हाई कोर्ट में वकील के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

    हसन आरिफ आईसीसी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय के कोर्ट सदस्य हैं. वे वर्तमान में ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर परिसर के सलाहकार हैं.

    3-ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन
    एम सखावत हुसैन बांग्लादेश सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल और पूर्व चुनाव आयुक्त हैं. वर्तमान में, वे नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी में साउथ एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी एंड गवर्नेंस में मानद रिसर्च फेलो हैं. उन्हें 2007 में एटीएम शमसुल हुदा की अध्यक्षता वाले चुनाव आयोग में आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया और वे 2012 तक सेवारत रहे.

    4-एम तौहीद हुसैन
    70 वर्षीय मोहम्मद तौहीद हुसैन बांग्लादेश के पूर्व विदेश सचिव हैं. वे 1981 में बांग्लादेश विदेश सेवा में शामिल हुए. हुसैन 2001 से 2005 तक कोलकाता में बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त रहे और 2006 से 2009 तक बांग्लादेश के विदेश सचिव के रूप में कार्य किया. हुसैन मीडिया में अंतरराष्ट्रीय मामलों पर नियमित टिप्पणीकार हैं.

    5-फरीदा अख्तर
    फरीदा अख्तर एक प्रसिद्ध राइट्स एक्टिविस्ट हैं, जो 1980 के दशक से ही महिलाओं के अधिकारों के बारे में मुखर रही हैं. जैव विविधता आधारित इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर की भी समर्थक हैं, उन्होंने इस क्षेत्र में व्यापक शोध किया है. उन्होंने 1995 में बांग्लादेश पुलिस के सदस्यों द्वारा दिनाजपुर में 14 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या का कड़ा विरोध किया था. इस मामले ने व्यापक प्रदर्शनों को जन्म दिया था.

    फरीदा संसद में आरक्षित सीटों के लिए सीधे चुनाव की भी समर्थक हैं.
    6-शरमीन मुर्शिद
    शरमीन मुर्शिद एक प्रसिद्ध चुनाव विशेषज्ञ हैं और ‘ब्रोटी’ नामक संगठन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जो चुनावों की निगरानी करता है. वे लंबे समय से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के साथ-साथ खुले लोकतंत्र और देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने की वकालत करती रही हैं.

    1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान, मुर्शिद ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम शिल्पी संघस्थ’ की सदस्य थीं. यह एक सांस्कृतिक मंडली थी जो शरणार्थी शिविरों और विभिन्न मुक्त क्षेत्रों (जिसे ‘मुक्ता आंचल’ के नाम से भी जाना जाता है) का दौरा करती थीं, देशभक्ति के गीत गाती थीं और कठपुतली शो आयोजित करती थीं. वह स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित करने और युद्ध प्रभावित लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए नाटकों का मंचन करती थीं.

    7-सैयदा रिजवाना हसन
    सैयदा रिजवाना हसन सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और बांग्लादेश पर्यावरण वकील संघ (BELA) की मुख्य कार्यकारी हैं. रिजवाना देश में पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर मुखर रही हैं. पर्यावरण न्याय के लिए उनके अभियान के लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है.

    टाइम पत्रिका ने उन्हें दुनिया के 40 पर्यावरण नायकों में से एक नामित किया है.
    8-नूरजहां बेगम
    नूरजहां बेगम 1976 में चटगांव जिले के जोबरा गांव में ग्रामीण बैंक की स्थापना के दौरान मुहम्मद यूनुस की शुरुआती सहयोगियों में से एक हैं. चटगांव विश्वविद्यालय की छात्रा रहीं नूरजहां ने ग्रामीण बैंक के शुरुआती और सबसे चुनौतीपूर्ण दिनों में ग्रामीण महिलाओं को ग्रामीण बैंक के ग्रासरूट ग्रुप्स में संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह वह दौर था जब ग्रामीण महिलाओं को घर से बाहर निकलने और गैर-रिश्तेदार पुरुषों से बात करने की अनुमति नहीं थी, संस्था से ऋण लेना तो दूर की बात है. उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता संगठन के उप प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया और 2011 में यूनुस के सेवानिवृत्त होने के बाद, वे कार्यवाहक एमडी बन गईं.

    9-डॉ. आसिफ नज़रुल
    आसिफ नज़रुल ढाका यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट फैक्लिटी हैं. नजरुल ने हाल ही में कोटा भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन का सक्रिय रूप से समर्थन किया और प्रदर्शनकारियों के पक्ष में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया.

    10-आदिलुर रहमान खान
    आदिलुर रहमान खान बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के वकील और प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. वे मानवाधिकार संगठन ओधिकार के सचिव भी हैं, जो देश में मानवाधिकार उल्लंघनों की निगरानी करता है. आदिलुर ने नागरिक समाज के कई अन्य सदस्यों के साथ मिलकर 1994 में ओधिकार की स्थापना की थी. 2022 में, सरकार ने ओधिकार का पंजीकरण रद्द कर दिया था.

    11-बिधान रंजन रॉय पोद्दार
    बिधान रंजन रॉय पोद्दार ढाका में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं अस्पताल के पूर्व निदेशक हैं. मनोचिकित्सक बिधान अब मैमनसिंह में प्रैक्टिस करते हैं. उन्होंने डेली स्टार को बताया, ‘मैं [कल रात] शहर से बाहर था, इसलिए मैं अन्य सलाहकारों के साथ शपथ नहीं ले सका. मैं बाद में शपथ लूंगा.’

    12-फारुक-ए-आजम
    स्वतंत्रता संग्राम में अपनी वीरतापूर्ण भूमिका के लिए वीर प्रतीक से सम्मानित फारुक-ए-आजम नौसेना के कमांडो थे. चट्टोग्राम के हथजारी उपजिला में जन्मे फारुक ‘ऑपरेशन जैकपॉट’ के उप-कमांडर थे, जो चटगांव बंदरगाह में पाकिस्तानी कब्जे वाली सेना के खिलाफ किए गए सबसे बड़े अभियानों में से एक था.

    16 अगस्त, 1971 को बंदरगाह पर हमला करने के लिए तीन टीमों का चयन किया गया था. एक टीम चटगांव तक नहीं पहुँच सकी, लेकिन 37 सदस्यों वाली अन्य दो टीमों ने हमले में भाग लिया, जिसमें ए.डब्लू. चौधरी कप्तान थे.

    13-एएफएम खालिद हुसैन
    एएफएम खालिद हुसैन इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी चटगांव में कुरानिक विज्ञान और इस्लामी अध्ययन विभाग में प्रोफेसर हैं. वे हिफाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश के नायब-ए-अमीर हैं और इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के सलाहकार हैं.

    14-सुप्रदीप चकमा
    पूर्व राजदूत और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष हैं. वे पहले वियतनाम और मैक्सिको में बांग्लादेश के राजदूत रह चुके हैं. डेली स्टार के मुताबिक सुप्रदीप ने कहा, ‘जब कैबिनेट सचिव ने मुझे बुलाया, तो मैंने उन्हें सूचित किया कि मैं आज शपथ नहीं ले पाऊँगा क्योंकि मैं वर्तमान में रंगमती में हूं. यदि प्रक्रिया अनुमति देती है, तो मैं बाद की तारीख में शपथ लेने के लिए तैयार हूं.’

    15-नाहिद इस्लाम
    नाहिद इस्लाम छात्र आंदोलन के एक प्रमुख आयोजक हैं, जिसके कारण शेख हसीना को जाना पड़ा. ढाका विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के परास्नातक छात्र, नाहिद सरकार के दो सबसे युवा सलाहकारों में से एक हैं. दूसरे सलाहकार आसिफ महमूद हैं.

    नाहिद नूरुल हक नूर के नेतृत्व में छात्र अधिकार परिषद के अलग हुए सदस्यों द्वारा गठित गणोतांत्रिक छात्र शक्ति के सदस्य सचिव भी हैं.

    पिछले महीने कथित तौर पर कानूनी एजेंसियों ने उन्हें उठा लिया और तब तक प्रताड़ित किया जब तक कि वे बेहोश नहीं हो गए. जब ​​छात्र विरोध चरम पर था, तो उन्हें पांच अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस की जासूसी शाखा ने फिर से हिरासत में ले लिया.

    2018 में, नाहिद ने कोटा-सुधार विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, जिसने देश को हिलाकर रख दिया. उस समय, उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों से धमकियां मिलीं.

    2019 में, उन्होंने बांग्लादेश साधारण छात्र अधिकार छात्र संघ परिषद के बैनर तले नूरुल-राशेद-फारुक पैनल से ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ में सांस्कृतिक सचिव पद के लिए चुनाव लड़ा.

    वे चुनाव हार गए और बाद में परिषद से अलग हो गए.
    16-आसिफ महमूद
    आसिफ महमूद शोजिब भुइयां कोटा सुधार विरोध के समन्वयकों में से एक हैं, जो बाद में सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया, जिसने अंततः शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया. वह 2018 में कोटा सुधार विरोध के दौरान सक्रिय थे. उन्हें 2023 में छात्र अधिकार परिषद के पहले सम्मेलन में अध्यक्ष चुना गया था.

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