तहव्वुर राणा को भारत लाने में ‘इन’ अफसरों की अहम भूमिका थी; ये तीन एनआईए अधिकारी कौन हैं?
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टीम में झारखंड पुलिस कैडर के 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष बत्रा भी शामिल हैं। वर्तमान में एनआईए में महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर तैनात बत्रा जहानाबाद और रांची जैसे क्षेत्रों में काम कर चुके हैं। इस टीम की एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य झारखंड कैडर की 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी जया राय हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीम के प्रयास सफल रहे और अंततः एक अमेरिकी अदालत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का आदेश दिया। इसके बाद अब उन्हें भारत लाया गया है। टीम ने न केवल अमेरिका में मामले की जांच की, बल्कि भारत में सुरक्षा और जांच की भी तैयारी की।
टीम में झारखंड पुलिस कैडर के 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष बत्रा भी शामिल हैं। वर्तमान में एनआईए में महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर तैनात बत्रा जहानाबाद और रांची जैसे क्षेत्रों में काम कर चुके हैं। इस टीम की एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य जया राय हैं, जो झारखंड कैडर की 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर कार्यरत जया वर्तमान में एनआईए में वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं। उनकी उपस्थिति से यह टीम मजबूत हुई।
तीसरे अधिकारी प्रभात कुमार हैं, जो छत्तीसगढ़ कैडर के 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। एनआईए में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के पद पर कार्यरत प्रभात ने अमेरिका में टीम के साथ काम किया और राणा के भारत आगमन की तैयारी की। वह दिल्ली हवाई अड्डे से एनआईए मुख्यालय तक पूरे ऑपरेशन के समन्वयक भी हैं। अमेरिका में कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद टीम ने राणा को हिरासत में लिया और उसे विशेष विमान से दिल्ली ले आई। राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा जाएगा, जहां उसकी सुरक्षा और पूछताछ के लिए इंतजाम किए गए हैं। यह प्रत्यर्पण भारत की कूटनीतिक और कानूनी सफलता का भी प्रतीक है।
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत को लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है। अमेरिकी अदालतों में एक के बाद एक कई याचिकाएं खारिज होने के बाद आखिरकार राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।
घटनाओं के अनुक्रम:
अगस्त 2024: अमेरिका की नौवीं सर्किट अपील अदालत ने तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के आदेश को बरकरार रखा। इस निर्णय से राणा के विरुद्ध भारत का दावा मजबूत हो गया।
नवंबर 2024: राणा ने अपीलीय अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक रिट (पुनरीक्षण के लिए याचिका) दायर की। यह उनकी ओर से एक बड़ा कानूनी कदम था।
जनवरी 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी। इस निर्णय से भारत के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया आसान हो गई।
मार्च 2025: राणा ने प्रत्यर्पण रोकने के लिए आपातकालीन याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया। यह उनका अंतिम प्रमुख प्रयास था।
7 अप्रैल, 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की अंतिम अपील खारिज कर दी। इससे राणा के भारत प्रत्यर्पण की सभी कानूनी बाधाएं दूर हो गईं।
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