नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 29, 2025

    QR कोड की जादुई कहानी! कैसे एक छोटी से चीज ने दुनिया में मचाया धमाल।

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    डिजिटल दुनिया में क्यूआर कोड काफी आम हो चुका है. डिजिटल पेमेंट से लेकर किसी प्रोडक्ट की जानकारी तक, लगभग अब सभी जानकारी क्यूआर कोड के जरिए प्राप्त हो जाती है.

    डिजिटल दुनिया में क्यूआर कोड काफी आम हो चुका है. डिजिटल पेमेंट से लेकर किसी प्रोडक्ट की जानकारी तक, लगभग अब सभी जानकारी क्यूआर कोड के जरिए प्राप्त हो जाती है. खासतौर पर कोरोना महामारी के बाद से, यह ब्लैक एंड व्हाइट स्क्वायर कोड हर जगह दिखाई देने लगा है. पेमेंट ऐप्स, नारियल पानी के ठेले से लेकर बड़े-बड़े बिलबोर्ड्स तक इनका इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस कोड की शुरुआत कैसे हुई?

    QR Code की कहानी
    दरअसल, क्यूआर कोड कहानी की जड़ें जापान में हैं. साल 1994 में, जब Denso Wave (टोयोटा की एक सहायक कंपनी) के इंजीनियर मासाहिरो हारा ने QR कोड बनाने का आइडिया सोचा. हारा, जो ऑटोमोबाइल निर्माण से जुड़े थे, दफ्तर में ‘गो’ नामक पारंपरिक रणनीति खेल खेल रहे थे, जब उन्होंने काले और सफेद पत्थरों के मिक्चर को देखा. यह नज़ारा उनके दिमाग में एक नई सिस्टम की प्रेरणा बन गई जिससे “Quick Response Code” यानी QR कोड का जन्म हुआ.

    बारकोड के पहले का दौर
    1949 में, जोसेफ वुडलैंड और बर्नार्ड सिल्वर ने पहली बार बारकोड तकनीक का पेटेंट कराया था जिसमें संख्याओं को दर्शाने के लिए रेखाओं के जोड़े इस्तेमाल किए जाते थे. हालांकि शुरुआती डिजाइन में रेखाओं की जगह सर्कल्स का उपयोग होता था. कई वर्षों तक कंपनियां इस तकनीक को अपनाने में हिचकती रहीं. लेकिन 1960 के दशक में, थियोडोर माइमन ने पहला लेज़र बनाया जिससे बारकोड को स्कैन करना आसान हो गया.

    1970 के दशक तक, अमेरिका के ग्रॉसरी स्टोर्स को कर्मचारियों की बढ़ती लागत और इन्वेंटरी मैनेजमेंट की समस्याओं से जूझना पड़ा. इन्हें हल करने के लिए एक नई यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड (UPC) सिस्टम बनाया गया जिसे IBM ने डिज़ाइन किया. पहली बार 1974 में ओहायो के एक स्टोर में इस बारकोड का इस्तेमाल हुआ.

    QR कोड का अविष्कार
    हारा ने एक नया 2D कोड विकसित किया जो स्क्वायर शेप में था और हजारों कैरेक्टर्स स्टोर कर सकता था. लेकिन शुरुआती प्रयासों में जब इस स्क्वायर कोड को अन्य टेक्स्ट के साथ प्रिंट किया जाता तो स्कैनर उसे पहचानने में विफल हो जाते थे. एक दिन, सबवे से यात्रा करते समय, हारा ने आसमान में गगनचुंबी इमारतों को देखा जो स्पष्ट रूप से अलग दिखती थीं. इससे उन्हें आइडिया आया QR कोड के तीन कोनों में छोटे स्क्वेयर ब्लॉक्स जोड़े जाएं ताकि स्कैनर उन्हें तुरंत पहचान सकें. इस तकनीक से QR कोड न केवल किसी भी एंगल से स्कैन होने लगा बल्कि आंशिक रूप से खराब होने के बावजूद भी डेटा पढ़ा जा सकता था.

    QR कोड की दूसरी पारी
    2012 तक कुछ लोगों ने यह मान लिया था कि QR कोड की उपयोगिता खत्म हो गई है. लेकिन चीन में स्मार्टफोन क्रांति ने इसे नई जिंदगी दी. मोबाइल पेमेंट, डिस्काउंट कूपन, और सेवाओं के एक्सेस के लिए QR कोड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल शुरू हो गया. WeChat जैसे ऐप्स ने QR कोड को एक नए मुकाम पर पहुंचाया. भारत में भी महामारी के दौरान QR कोड का उपयोग तेजी से बढ़ा. दुकानदारों और ग्राहकों ने डिजिटल लेनदेन के लिए इसे अपनाया जिससे मोबाइल से स्कैन कर भुगतान करना बेहद आसान हो गया.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    2:26 PM