₹250 की चाय, ₹350 का एक समोसा…एयरपोर्ट पर ₹20 की पानी की बोतल 100 की कैसे हो जाती है? ये रहा जवाब।
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जितनी चर्चा महंगे फ्लाइट टिकट की होती है. उतनी की चर्चा एयरपोर्ट के पर मिलने वाले महंगे खाने-पीने की चीजों की होती है. अक्सर सोशल मीडिया पर ऐसे वाकये शेयर किए जाते हैं, जहां लोग एयरपोर्ट के महंगे खाने से परेशान दिखता है.
जितनी चर्चा महंगे फ्लाइट टिकट की होती है. उतनी की चर्चा एयरपोर्ट के पर मिलने वाले महंगे खाने-पीने की चीजों की होती है. अक्सर सोशल मीडिया पर ऐसे वाकये शेयर किए जाते हैं, जहां लोग एयरपोर्ट के महंगे खाने से परेशान दिखता है. आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भी संसद में ये मुद्दा उठाया. सरकार से सवाल किया और बताया कि एक आम आदमी एयरपोर्ट पर पानी पीकर पेट भरने को मजबूर है क्योंकि एयरपोर्ट का खाना इतना महँगा है. एयरोपोर्ट पर आम तौर पर खाने -पीने की चीजों की कीमत बाहर से अधिक होती है, समझते हैं कि इसके पीछे असर वजह क्या है ?
एयरपोर्ट पर क्यों महंगा होता है खाने-पीने का सामान
कोई भी होटल और रेस्तरां कुछ बातों के आधार पर अपने मेन्यू की रेट फिक्स करता है. जैसे जहां आउटलेट है उस जगह की कॉमर्शियल वैल्यू क्या है. जिस डिश का प्राइस तय किया जा रहा है क्या कोई प्रोफेशनल बना रहा है ? क्या वो डिश उसकी सिग्नेचर डिश है जिसे चखने के लिए लोगों को ज्यादा कीमत चुकानी होगी? क्या डिश को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले इंग्रीडिएंट्स इम्पोर्टेड या महंगे हैं ? इसके अलावा GST भी देनी पड़ती है. साथ ही होटल या रेस्टोरेंट की ओर से खाना परोसने और दूसरी सर्विसेस के लिए सर्विस चार्ज भी वसूला जाता है. हलांकि बता कि सर्विस चार्ज देना अनिवार्य नहीं है.
हाई डिमांड बढ़ा देती है कीमत
एयरपोर्ट के हाई सिक्योरिटी जोन होता है. वहां बाहर के कई फूड आइटम्स लाना प्रतिबंधित होता है. ऐसे में एयरपोर्ट पर यात्रियों के पास खाने-पीने के लिए सिर्फ वहीं विकल्प उपलब्ध होते हैं जो एयरपोर्ट परिसर रे भीतर होते हैं. हाई डिमांड की वजह से कीमतें बढ़ी रहती हैं. इतनी ही नहीं हाई सिक्योरिटी की वजह से वहां स्टोर्स की सप्लाई भी प्रभावित होती है, जिसकी वजह से प्रोडक्ट्स के प्राइस बढ़ जाते हैं. सप्लाई और डिमांड के बीच इस गैप की वजह से एयरपोर्ट पर खाने-पीने की चीजों की कीमत बाहर के मुकाबले अधिक होती है.
ऑपरेशन कॉस्ट
एयरपोर्ट जैसी जगहों पर शॉप चलाना काफी महंगा होता है. रिटेलर्स को हाई रेंट पे करना होता है. इसके अलावा एयरपोर्ट पर दुकाना का ऑपरेशन कॉस्ट अधिक होता है. इस कॉस्ट की भरपाई करने के लिए प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ा दी जाती है.
महंगे स्टाफ
आम तौर पर एयरपोर्ट शहर से दूरी पर होते हैं या शहर के एक कोने में होते हैं. वहां दुकानों पर काम करने के लिए स्टाफ रखने के लिए रिटेलर्स को अधिक सैलरी का भुगतान करना पड़ता है. हाई सिक्योरिटी, चेकिंग जैसी दिक्कतों की वजह से लोगों को काम करने के लिए स्टाफ नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में उन्हें अधिक सैलरी पर स्टाफ रखना पड़ता है. जिसकी वजह से दुकान चलाने की कॉस्टिंग बढ़ती चली जाती है. इस सबका असर प्रोडक्ट की कीमत पर पड़ता है.
इन्वेंट्री की लिमिट
एयरपोर्ट पर हाई सिक्योरिटी जोन होने की वजह से रिटेलर्स के पास इन्वेंट्री भी लिमिटेड होती है, वो अपनी मर्जी से सामान भर नहीं सकते हैं. उन्हें इनवेंट्री के लिए वेयरहाउस का खर्च भी उठाना पड़ता है. ये सब वजह है, जिसकी वजह से एयरपोर्ट पर खाने-पीने की चीजें काफी महंगी होती है.
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