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    February 7, 2025

    दक्षिण कोरिया ने 6 घंटे बाद ही पलटा मार्शल लॉ का फैसला, क्या है नॉर्थ कोरिया कनेक्शन जिसके आगे झुके राष्ट्रपति।

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    दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने देश में मार्शल लॉ यानी इमरजेंसी लगाने के कुछ ही घंटों बाद अपना फैसला वापस ले लिया. उनके इमरजेंसी लगाने के बाद देशभर में भारी प्रदर्शन हुए. साथ ही संसद में सांसदों ने इसके खिलाफ वोटिंग कर राष्ट्रपति को फैसला वापस लेने के लिए मजबूर किया.

    दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार को देश में ‘आपात मार्शल लॉ’ लगाने का ऐलान किया था हालांकि महज़ 6 घंटों बाद इसे हटाने का फैसला कर लिया गया है. बताया जा रहा है कि संसद में राष्ट्रपति के इस फैसले का जमकर विरोध किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुबह 4:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति यून सुक येओल ने कहा,’नेशनल असेंबली से आपातकाल हटाने की मांग की गई और हम असेंबली के अनुरोध को कबूल करते हुए फैसला वापस ले रहे हैं. साथ ही तैनात सेना को वापस बुला लिया है.

    साउथ कोरिया ने क्यों लिया फैसला वापस
    इमरजेंसी लगाने के ऐलान के कुछ देर बाद ही सेना ने संसद में घुसने की कोशिश की लेकिन सांसदों के भारी विरोध के बाद संसद के स्पीकर ने इसे अमान्य करार दिया. साथ ही सांसदों ने आधी रात को इसपर बहस की और फैसला वापस लेने के समर्थन में वोटिंग भी की. दक्षिण कोरियाई कानून के तहत अगर संसद बहुमत से मांग करती है तो राष्ट्रपति को तुरंत मार्शल लॉ हटाना होगा. इमरजेंसी के ऐलान के तुरंत बाद घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंताएं पैदा होई थीं, लोग सड़कों पर उतर आए थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. इतना ही नहीं उनकी पार्टियों के ही लोगों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया था.

    प्रदर्शन में सेना के साथ झड़प
    मार्शल लॉ प्रावधानों के तहत, राजनीतिक और संसदीय गतिविधियों को निलंबित किया जाना था, बिना वारंट के गिरफ़्तारी की जा सकती थी और असहमति पर सख्त पाबंदियां लगाई जा सकती थी. कई लोगों ने इस कदम को असंवैधानिक और लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला कहा. इसलिए ऐलान के फौरन बाद सियोल में नेशनल असेंबली के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों के साथ झड़प की और मार्शल लॉ वापस लेने और राष्ट्रपति की गिरफ्तारी की भी मांग की.

    संसद में घुसे सैनिकों हटे वापस
    संसद के अंदर, डेमोक्रेटिक पार्टी के विपक्षी नेताओं ने अपने सदस्यों को संगठित किया, राष्ट्रपति पर संविधान का उल्लंघन करने और राजनीतिक तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगाया. संसद के देर रात के सत्र का समापन सर्वसम्मति से मार्शल लॉ के आदेश को खारिज करने वाले वोट से हुआ. मतदान के कुछ समय बाद, नेशनल असेंबली के स्पीकर ने मार्शल लॉ को अमान्य घोषित कर दिया, जिसके कारण शाम को संसदीय परिसर में घुसे सैनिकों को वापस बुलाना पड़ा.

    क्या होता है मार्शल लॉ?
    मार्शल लॉ एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें सैन्य अधिकारियों को नागरिक प्रशासन का कंट्रोल सौंप दिया जाता है. यह आमतौर पर किसी देश में गंभीर अशांति, आपदा या बाहरी खतरे के समय लगाया जाता है. मार्शल लॉ के दौरान सामान्य नागरिक आजादी जैसे कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आंदोलन की स्वतंत्रता पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी जाती है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने देश की बिगड़ते सुरक्षा हालात का हवाला देते हुए मार्शल लॉ लगाया. उन्होंने दावा किया कि यह कदम देश विरोधी ताकतों (उत्तर कोरियाई समर्थकों) को खत्म करने के लिए उठाया गया है.

    दक्षिण कोरिया बनाम उत्तर कोरिया
    यून ने टेलीविजन पर अपने संबोधन के दौरान कहा था उत्तर कोरिया समर्थक ताकतों को खत्म करने और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने का संकल्प जताया. हालांकि उन्होंने यहां उत्तर कोरिया के साथ किसी खास खतरे का जिक्र नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि यओल ने उत्तर कोरिया करके अपनो विरोधियों की तरफ इशारा किया था. दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच विवादों का पुराना नाता है. दोनों देशों के बीच 20वीं शताब्दी के मध्य से विवाद चला आ रहा है. यह विवाद राजनीतिक, वैचारिक और सैन्य संघर्षों से जुड़ा हुआ है. इसके पीछे अहम वजह दूसरे विश्व युद्ध के बाद कोरियाई प्रायद्वीप का विभाजन और शीत युद्ध के दौरान हुए अंतरराष्ट्रीय सत्ता संघर्ष हैं.

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