सेबी की कुल आय 48 प्रतिशत बढ़कर 2,075 करोड़ रुपये हो गई।
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यह राजस्व मुख्य रूप से विनियामक द्वारा कम्पनियों और बाजार अवसंरचना संस्थानों से सूचीबद्धता शुल्क और सदस्यता शुल्क के माध्यम से उत्पन्न किया जाता है।
नई दिल्ली: देश में कई कंपनियों के निराशाजनक आय प्रदर्शन से भले ही सेंसेक्स-निफ्टी को झटका लगा हो, लेकिन पूंजी बाजार नियामक सेबी की कुल आय 2023-24 में सालाना आधार पर 48 प्रतिशत बढ़कर 2,075 करोड़ रुपये हो गई है। यह राजस्व मुख्य रूप से विनियामक द्वारा कम्पनियों और बाजार अवसंरचना संस्थानों से सूचीबद्धता शुल्क और सदस्यता शुल्क के माध्यम से उत्पन्न किया जाता है।
सेबी ने मंगलवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि कुल आय में से नियामक ने 1,851.5 करोड़ रुपये फीस के रूप में अर्जित किए, जो पिछले वित्त वर्ष में अर्जित 1,213.22 करोड़ रुपये से काफी अधिक है। निवेश से आय 161.42 करोड़ रुपये से बढ़कर 192.41 करोड़ रुपये और अन्य आय 15 करोड़ रुपये से बढ़कर 18 करोड़ रुपये हो गई।
31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए नियामक का कुल खर्चा 1,006 करोड़ रुपये है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 851.33 करोड़ रुपये था। इसमें स्थापना खर्च 576 करोड़ रुपये से बढ़कर 696.43 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि अन्य प्रशासनिक खर्चा 172.42 करोड़ रुपये से बढ़कर 218 करोड़ रुपये हो गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंत में सेबी के पास 5,573 करोड़ रुपये का भंडार शेष रहेगा। आरक्षित निधि में निवेशक संरक्षण एवं शिक्षा निधि (आईपीईएफ) के रूप में जमा 533.17 करोड़ रुपये तथा जुर्माना संग्रह से प्राप्त धनराशि शामिल है। इसमें एक समापन शेष है जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आय और खर्च खाते से स्थानांतरित व्यय पर 1,065 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय शामिल है। सेबी को कानूनी तौर पर कम्पनियों द्वारा अवैध रूप से या अनियमित तरीकों से अर्जित लाभ की वसूली के लिए दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है। इससे नियामकों को 2024 में 7.38 करोड़ रुपये की कमाई होगी।
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