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    February 11, 2025

    PM मोदी और हिंदुओं की आवाज उठाने पर मिली सजा! भारतीय मूल की 2 दिग्गज हस्तियों से ब्रिटेन के राजा ने छीने पद.

    1 min read
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    भारतीय मूल की 2 ब्रिटिश हस्तियों को हिंदुओं के पक्ष में आवाज उठाने और पीएम मोदी के पक्ष में बोले पर बड़ी सजा दी गई है. ब्रिटिश भारतीय कम्युनिटी की 2 दिग्गज हस्तियों से उनको दिए गए पद छीन लिए गए हैं. उनपर इस्लामोफोबिया जैसे आरोप लगने के बाद उनके सम्मान छीन लिए गए हैं.

    लंदन: ब्रिटिश भारतीय कम्युनिटी की 2 अहम हस्तियों से उनके पद छीन लिए गए हैं. टोरी पीयर रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके के मैनेजिंग ट्रस्टी अनिल भनोट पर इस्लामोफोबिया जैसे आरोप लगने के बाद उनके सम्मान छीन लिए गए हैं. करोड़पति रेंजर से ब्रिटिश किंग ने CBE (ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के कमांडर) का पद छीना है. जबकि लीसेस्टर में सामुदायिक कला केंद्र चलाने वाले एक प्रैक्टिसिंग अकाउंटेंट भनोट से उनका OBE (ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के अधिकारी) छीन लिया गया है. शुक्रवार को ‘लंदन गजट’ में यह ऐलान किया गया है. उन्हें बकिंघम पैलेस को अपना प्रतीक चिह्न वापस करने के लिए कहा जाएगा और अब वे अपने सम्मान का कोई भी फायदा नहीं उठा सकेंगे. जब्ती समिति उन मामलों पर गौर करेगी. जब्ती के लिए समिति की सिफारिशें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के माध्यम से राजा को सौंपी गईं.

    इस्लामोफोबिया का लगा आरोप
    रेंजर और भनोट ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया. सामुदायिक एकता के लिए ओबीई हासिल करने वाले भनोट ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जनवरी में ज़ब्ती समिति ने उनसे संपर्क किया था और उन्होंने अपना प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने कहा,’मुझे लगा कि यह ठीक रहेगा लेकिन जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हुआ.’ उन्होंने आगे कहा कि उन पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने वाली शिकायत, 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में उनके ज़रिए लिखे गए ट्वीट्स के बारे में थी

    ‘मैंने कुछ गलत नहीं किया’
    वेबसाइट ‘5 पिलर्स’ ने इन ट्वीट्स के बारे में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और चैरिटी कमीशन से शिकायत की थी. साथ ही दोनों ने उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी की बुनियाद पर बरी कर दिया था. उन्हें नहीं पता कि ज़ब्ती कमेटी से किसने शिकायत की और उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कुछ भी इस्लामोफोबिक कहा था. उन्होंने कहा कि उस समय हमारे मंदिरों को तबाह किया जा रहा था और हिंदुओं पर हमला किया जा रहा था साथ ही उन्हें मारा जा रहा था. बीबीसी इसे कवर नहीं कर रहा था और मुझे उन गरीब लोगों के प्रति सहानुभूति महसूस हुई. मुझे लगा कि किसी को तो कुछ कहना चाहिए. यह वैसा ही था जैसा अभी हो रहा है लेकिन छोटे पैमाने पर. मैं बातचीत और कानूनी हल की मांग कर रहा था. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया और मैंने सम्मान प्रणाली (Honours system) को बदनाम नहीं किया है.

    ‘इंग्लैंड में नहीं रही अभिव्यक्ति की आजादी’
    वो आगे कहते हैं,’इंग्लैंड में अब अभिव्यक्ति की आजादी अतीत की बात हो गई है. मैं इससे काफी परेशान हूं. मुझे नहीं लगता कि उन्होंने मेरे प्रतिनिधित्व पर बिल्कुल भी गौर किया. रेंजर को 2016 में ब्रिटिश व्यापार और सामुदायिक सेवा में सर्विसेज के लिए CBE से सम्मानित किया गया था.’ उन्होंने कहा,’मुझे CBE की परवाह नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि अभिव्यक्ति की आजादी को कम आंका गया है और वे गलत लोगों को सम्मानित कर रहे हैं, उन्हें अच्छे नागरिकों की तुलना में ज्यादा ताकतवर बना रहे हैं.’

    कोर्ट जाने की कर रहे हैं तैयारी
    उन्होंने कहा कि वह इस फैसले की न्यायिक समीक्षा करने और इसे यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय में ले जाने की योजना बना रहे हैं. उनके खिलाफ शिकायतों में सिख फॉर जस्टिस की एक शिकायत भी शामिल है, जो एक अमेरिकी संगठन है और भारत में इस संगठन पर पाबंदी लगी है. एक शिकायत पीएम मोदी का बचाव करने और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को चुनौती देने वाली उनकी टिप्पणियों के बारे में थी. एक अन्य शिकायत साउथॉल गुरुद्वारा ट्रस्टी के बारे में उनके ज़रिए किए गए ट्वीट के बारे में थी.

    लॉर्ड रेंजर के प्रवक्ता ने बताया शर्मनाक
    लॉर्ड रेंजर के प्रवक्ता ने कहा,’लॉर्ड रेंजर ने कोई जुर्म नहीं किया है और न ही उन्होंने कोई कानून तोड़ा है. यह एक दुखद आरोप है कि सम्मान प्रणाली, जिसे ऐसे व्यक्तियों को मजबूत बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो राष्ट्र के लिए बहुत योगदान देते हैं. लॉर्ड रेंजर अपने CBE के योग्य प्राप्तकर्ता थे. जिस तरह से यह उनसे छीना गया है वह शर्मनाक है.’

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