‘माफी मांगे पाकिस्तान’, बांग्लादेश ने PAK की शहबाज सरकार से क्यों कर दी ये मांग?
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बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच 15 साल बाद हुई वार्ता में फिर से 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट का मुद्दा उठा है. बांग्लादेश ने पाकिस्तान से माफी और 4.5 अरब डॉलर मुआवजे की मांग की है.
बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में 15 साल बाद हलचल दिखी है. हाल ही में हुई विदेश सचिव स्तर की बैठक में पाकिस्तान ने रिश्ते सुधारने की कोशिश की, लेकिन बांग्लादेश ने इसे सीधे इतिहास से जोड़ते हुए कड़ा रुख अपनाया. बातचीत के दौरान बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 1971 के मुक्ति संग्राम में हुए अत्याचारों के लिए औपचारिक माफी मांगने की मांग की है. साथ ही 4.5 अरब डॉलर के बकाया मुआवजे को भी सामने रखा.
1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट को बांग्लादेश एक नरसंहार मानता है. यह अभियान 25 मार्च 1971 को शुरू हुआ था, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता की मांग कर रहे बंगालियों के खिलाफ क्रूर सैन्य कार्रवाई की थी. इस ऑपरेशन में 30 लाख लोगों की हत्या और 10 लाख से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं हुई थीं. इन घटनाओं ने बांग्लादेश की राष्ट्रीय चेतना को आज तक प्रभावित किया है और यही कारण है कि इस मुद्दे पर बांग्लादेश किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहता.
पाकिस्तान का रिश्ता सुधारने पर जोर
पाकिस्तान की हालिया कोशिशों के पीछे उद्देश्य था नई बांग्लादेशी सरकार के साथ नए संबंधों की शुरुआत करना, लेकिन जब पाक विदेश सचिव ढाका पहुंचे तो बांग्लादेश ने साफ कह दिया कि जब तक पाकिस्तान माफी नहीं मांगता और मुआवजा नहीं देता, तब तक संबंधों में वास्तविक प्रगति संभव नहीं है. बांग्लादेश ने यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान ने 1974 में उसे भले ही औपचारिक रूप से मान्यता दी, लेकिन 1971 के नरसंहार के लिए कभी क्षमा नहीं मांगी. यही वजह है कि दोनों देशों के रिश्ते वर्षों से टूटे हुए हैं और हर बार जब कोई संवाद शुरू होता है, तब यह मुद्दा फिर से बीच में आ खड़ा होता है.
भारत का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व
भारत का इस पूरे घटनाक्रम में ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व रहा है. 1971 के युद्ध में भारत ने न केवल शरणार्थियों को आश्रय दिया, बल्कि पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मुक्ति बाहिनी के साथ मिलकर निर्णायक भूमिका निभाई. भारत और बांग्लादेश के रिश्ते आज भी गहरे हैं और पाकिस्तान की कूटनीतिक चालें इन संबंधों को तोड़ नहीं सकतीं. बांग्लादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि, जब तक पाकिस्तान अपने अतीत की जिम्मेदारी नहीं लेता, तब तक बांग्लादेश उसे माफ नहीं करेगा. ऑपरेशन सर्चलाइट की यादें बांग्लादेशियों के लिए सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व की नींव है.
इतिहास की गूंज सुनाई
इस समय दोनों देशों के रिश्ते फिर उसी मोड़ पर हैं, जहां संवाद की बजाय इतिहास की गूंज सुनाई देती है. बांग्लादेश की नई सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण मोड़ है कि वह अपनी राष्ट्रीय चेतना को बनाए रखते हुए विदेश नीति को कैसे संतुलित करती है. वहीं पाकिस्तान के लिए यह आत्ममंथन का क्षण है कि क्या वह अपने अतीत को स्वीकार कर एक नई शुरुआत करना चाहता है, या फिर रिश्तों को यथास्थिति में बनाए रखना चाहता है.
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