सिर्फ 1% चांस, फिर भी एस्टेरॉयड को लेकर इतने परेशान हैं NASA और UN, रोकने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?
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2023 में एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब से होकर गुजरेगा, कहा जा रहा है कि सिर्फ 1 प्रतिशत चांस है कि यह एस्टेरॉयड जमीन से टकराएगा, लेकिन फिर इसको लेकर इतनी टेंशन क्यों है और नासा इसको टकराने से बचाने के लिए क्या कर सकता है?
2032 में पृथ्वी से टकराने की संभावना वाले एक एस्टेरॉयड पर अब नासा के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र भी नजर रख रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 22 दिसंबर 2032 को 2024 YR4 नामक एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना है. हालांकि वर्तमान में सिर्फ 1.3 फीसद ही इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने का अनुमान है और कहा जा रहा है कि 98.97 प्रतिशत ये पृथ्वी से बचकर निकल जाएगा. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सिर्फ 1 फीसद की वजह से ही सारी दुनिया अभी से इसके लिए क्यों जुट गई और क्या-क्या तैयारी कर रही है.
क्या बोले एक्सपर्ट्स?
हालांकि सौर मंडल में लाखों एस्टेरॉयड तैरते हैं, लेकिन इस बात की बहुत कम संभावना है कि उनमें से कोई एक पृथ्वी से टकराएगा, गंभीर नुकसान पहुंचाने की तो बात ही छोड़िए. हालाकि पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने अनुसंधान और निगरानी दोनों मकसद के लिए 2024 YR4 जैसे कुछ एस्टेरॉयड का बारीकी से निरीक्षण किया है. नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के डायरेक्टर पॉल चोडास ने कहा,’हम बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं, क्योंकि 99% संभावना है कि यह (पृथ्वी) से टकराएगा, लेकिन इस पर ध्यान देने की जरूरत है.’
एक महीने बाद दिखना हो जाएगा बंद
2024 YR4 को दिसंबर 2023 में चिली में मौजूद ATLAS टेलीस्कोप के ज़रिए खोजा गया था. यह लगभग 40 से 100 मीटर का बताया जा रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी एस्टेरॉयड का आकार उसकी चमक के आधार आंका जाता है, जो एस्टेरॉयड जितनी चमक ज्यादा छोड़ता वो उतना बड़ा होता है. 25 दिसंबर 2023 को यह एस्टेरॉयड जमीन के सबसे नजदीक आया था और लगभग 8 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरा था, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से दोगुना है. यह अगले कुछ महीनों में हमारी दृष्टि से ओझल हो जाएगा और फिर 2028 में दिखाई देगा. फिलहाल वैज्ञानिक इसकी सटीक कक्षा और आकार का अध्ययन करने के लिए दुनिया की सबसे शक्तिशाली दूरबीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कितना खतरनाक हो सकता है यह एस्टेरॉयड?
अगर यह एस्टेरॉयड जमीन से टकराता है, तो यह डायनासोरों के विनाश के लिए जिम्मेदार विशाल एस्टेरॉयड जितना बड़ा तो नहीं है, लेकिन फिर भी यह किसी घनी आबादी वाले इलाके में गिरने पर भारी नुकसान पहुंचा सकता है. वैज्ञानिक टोरिनो स्केल का इस्तेमाल करके किसी एस्टेरॉयड की खतरे को तय करते हैं. इस स्केल पर यह एस्टेरॉयड फिलहाल 3 (10 में से) का दर्जा दिया गया है, जो इसे संभावित रूप से ध्यान देने योग्य बनाता है.
2013 में रूस में गिरा था एस्टेरॉयड
हर दिन हजारों एस्टेरॉयड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं. इनमें से अधिकांश बहुत छोटे होते हैं और घर्षण की वजह से जलकर खत्म हो जाते हैं. बड़े एस्टेरॉयड आग के गोले की तरह दिखते हैं और कभी-कभी उनके अवशेष जमीन पर गिरते हैं, लेकिन वे आमतौर पर कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाते. अगर 2024 YR4 एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है, तो यह लगभग 8 से 10 मेगाटन ऊर्जा छोड़ सकता है. तुलना के लिए 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क शहर पर गिरे एक एस्टेरॉयड ने 500 किलोटन ऊर्जा छोड़ी थी, जो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 30 गुना ज्यादा थी. इस घटना में लगभग 1500 लोग घायल हुए थे और हजारों इमारतों को नुकसान पहुंचा था. बड़े एस्टेरॉयड जो वैश्विक तबाही मचा सकते हैं, वे लाखों वर्षों में बहुत कम बार पृथ्वी से टकराते हैं.
बचाव के लिए क्या हो सकता है?
अंतरिक्ष एजेंसियां जैसे नासा, एस्टेरॉयड के टकराव को रोकने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों पर काम कर रही हैं. 2022 में नासा ने अपने डार्ट मिशन के तहत एक अंतरिक्ष यान को डाइमॉर्फस नामक एस्टेरॉयड से टकराकर उसकी दिशा बदलने में कामयाबी हासिल की थी. भविष्य में भी इस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करके जमीन को संभावित खतरों से बचाने की योजना बनाई जा रही है.
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