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    July 19, 2025

    कैसे चुनें बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस? पॉलिसी लेते वक्त भूलकर नहीं करें ये गलतियां।

    1 min read
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    अगर आप सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनते हैं तो भविष्य में क्लेम को लेकर किसी भी परेशानी से बच सकते हैं. हमेशा पॉलिसी के टर्म्स और कंडीशंस को ध्यान से पढ़ें और अपनी जरूरतों के हिसाब से सबसे सही इंश्योरेंस प्लान चुनें.

    आज के समय में मेडिकल खर्च तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में एक बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम आपकी सेविंग को सेफ रखने का सबसे बेहतर तरीका है. लेकिन, कई बार लोग पॉलिसी खरीदते समय कुछ जरूरी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे क्लेम के समय परेशानी होती है.

    इसलिए, यदि आप हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने जा रहे हैं, तो इन 8 जरूरी बातों को जरूर ध्यान में रखें ताकि आप अपने इंश्योरेंस स्कीम का ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकें.

    1. बिना रूम रेंट कैपिंग वाली पॉलिसी चुनें
    अगर आपकी पॉलिसी में रूम रेंट की कोई सीमा (कैपिंग) है, तो अस्पताल में भर्ती होने पर तय सीमा से अधिक का खर्च आपको खुद वहन करना पड़ेगा. इसलिए, ऐसी पॉलिसी लें जिसमें रूम रेंट कैपिंग न हो.

    2. नो को-पेमेंट पॉलिसी चुनें
    को-पेमेंट का मतलब होता है कि इलाज के कुल खर्च का एक निश्चित हिस्सा आपको खुद देना होगा, जैसे 80:20 में 80% बीमा कंपनी देगी और 20% आपको देना होगा. ऐसे में ‘नो को-पेमेंट’ वाली पॉलिसी बेहतर होती है.

    3. सब-लिमिट से बचें
    कुछ इंश्योरेंस कंपनियां बीमा राशि के भीतर भी कुछ बीमारियों के लिए अधिकतम क्लेम की सीमा (सब-लिमिट) तय कर देती हैं. जैसे, कैंसर के इलाज के लिए अधिकतम 2 लाख रुपये तक का ही दावा किया जा सकता है. इससे बचने के लिए ‘नो सब-लिमिट’ पॉलिसी चुनें.

    4. पीपीई और अन्य मेडिकल कवर देखें
    पीपीई किट, सीरिंज, नर्सिंग चार्ज जैसी चीजें अस्पताल के कुल बिल का 5-10% तक हो सकती हैं. इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि आपकी पॉलिसी में ये खर्च कवर किए गए हों.

    5. रिस्टोर बेनिफिट जरूर हो
    अगर आपकी पॉलिसी का कवर 10 लाख रुपये है और आपने पूरे 10 लाख का क्लेम कर लिया है, तो उसी साल किसी दूसरी बीमारी के लिए आपको फिर से 10 लाख रुपये का कवर मिलना चाहिए. इसे ‘रिस्टोर बेनिफिट’ कहते हैं.

    6. कम वेटिंग पीरियड वाली पॉलिसी चुनें
    कई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है, यानी उस अवधि के दौरान आप क्लेम नहीं कर सकते. ऐसे में यह सुनिश्चित करें कि वेटिंग पीरियड 2-3 साल से अधिक नहीं हो.

    7. नो क्लेम बोनस का लाभ उठाएं
    अगर आप किसी साल हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम नहीं करते हैं, तो कई कंपनियां आपको ‘नो क्लेम बोनस’ देती हैं, जिससे आपका कवर 50% तक या मूल कवर के 2 गुना तक बढ़ सकता है.

    8. प्री-हॉस्पिटलाइज़ेशन और पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन कवर
    अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद में भी मेडिकल खर्च होते हैं. इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि आपकी पॉलिसी में कम से कम 60 दिनों तक के लिए प्री-हॉस्पिटलाइज़ेशन और पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन खर्च कवर हों.

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