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    April 19, 2025

    ‘दिल्ली हाई कोर्ट भी वक्फ की जमीन पर…’, जब मुस्लिम पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी को CJI ने टोका।

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    मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ संपत्तियों को लेकर चिंता जताई, जिस पर सीजेआई ने उन्हें बीच में टोका.

    वक्फ कानून को लेकर बुधवार (16 अप्रैल 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश या निर्देश नहीं दिया है. अब इस मामले में 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि वक्फ बोर्ड में एक्स ऑफिशियो मेंबर के अलावा मुस्लिम सदस्य ही हों, जिसका सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया. मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ संपत्तियों को लेकर चिंता जताई, जिस पर सीजेआई ने उन्हें बीच में टोका.

    ‘सभी वक्फ बाई यूजर गलत नहीं, लेकिन…’
    अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि 8 लाख वक्फ संपत्तियों में से 4 लाख तो यूं ही चली जाएगी. इस पर हस्तक्षेप करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट वक्फ भूमि पर बना है. हम ये नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाई यूजर गलत हैं, लेकिन वास्तविक चिंताजनक है.”

    चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि वक्‍फ बाई यूजर को कैसे अस्वीकृत किया जा सकता है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फों को पंजीकृत कराने के लिए दस्तावेज नहीं होंगे.

    ‘वक्फ करना इस्लाम की प्रथा’
    कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि वक्फ अधिनियम का प्रभाव पूरे भारत में होगा और याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट को नहीं भेजा जाना चाहिए. वक्फ अधिनियम का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ करना इस्लाम की एक स्थापित प्रथा है और इसे छीना नहीं जा सकता.

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब 100 या 200 साल पहले किसी सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया जाता था, तो उसे अचानक वक्फ बोर्ड द्वारा अपने अधीन नहीं लिया जा सकता था और अन्यथा घोषित नहीं किया जा सकता था. पीठ ने कहा, ‘‘आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते.” तुषार मेहता ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति ने 38 बैठकें कीं और संसद के दोनों सदनों से इसके पारित होने से पहले 98.2 लाख ज्ञापनों की पड़ताल की.

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