नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 19, 2025

    चीन का एक कड़ा फैसला और चित हो गए डोनाल्ड ट्रंप! इस अमेरिकी कंपनी को हुआ सबसे बड़ा नुकसान।

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    बोइंग का आकलन है कि अगले 20 वर्षों में चीन को लगभग 8,830 नए विमानों की जरूरत होगी, लेकिन इस फैसले के बाद बोइंग को इस मार्केट से काफी नुकसान हो सकता है.

    अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर हर बीतते दिन में गहराता जा रहा है. शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप की दुश्मनी का खामियाजा दोनों देशों की बड़ी कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है. हाल ही में चीन के एक कड़े फैसले ने अमेरिका की प्लेन निर्माता कंपनी Boeing एक बार फिर मुश्किलों में डाल दिया है.

    दरअसल, चीन ने अपने एयरलाइंस को बोइंग से नए विमान ना लेने का निर्देश दिया है, जिससे कंपनी के शेयरों में मंगलवार को भारी गिरावट देखी गई. माना जा रहा है कि ये फैसला अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के चलते लिया गया है.

    क्या है पूरा मामला?
    एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अपने एयरलाइंस को बोइंग के किसी भी नए विमान की डिलीवरी लेने से रोक दिया है. चीन की ओर से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया, लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने इस खबर को हवा दे दी है.

    बोइंग को क्यों लग रहा है झटका?
    बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी निर्यातक कंपनी है और लगभग 150,000 अमेरिकी कर्मचारियों को रोजगार देती है. लेकिन पिछले 6 सालों से कंपनी संघर्ष कर रही है और कंपनी 2018 से अब तक 51 बिलियन डॉलर का घाटा झेल चुकी है. खास बात ये है कि कंपनी के दो-तिहाई विमान अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को बेचे जाते हैं, जिनमें से सबसे बड़ा बाजार चीन है.

    बोइंग का आकलन है कि अगले 20 वर्षों में चीन को लगभग 8,830 नए विमानों की जरूरत होगी, लेकिन इस फैसले के बाद बोइंग को इस मार्केट से काफी नुकसान हो सकता है.

    क्या सिर्फ ट्रेड वॉर है वजह?
    बोइंग की परेशानी सिर्फ व्यापारिक तनावों की वजह से नहीं है. कंपनी को 2018 और 2019 में दो घातक हादसों के बाद अपने सबसे ज्यादा बिकने वाले विमान 737 MAX को ग्राउंड करना पड़ा था. इसके चलते चीन ने काफी लंबे समय तक इन विमानों को सेवा में लौटने की अनुमति नहीं दी थी, जबकि अन्य देश 2020 में इन्हें वापिस उड़ान में ले आए थे.

    डिलीवरी क्यों है बोइंग के लिए जरूरी?
    बोइंग को विमान की डिलीवरी के बाद ही बड़ा हिस्सा भुगतान में मिलता है. यानी जब तक डिलीवरी नहीं होगी, तब तक कमाई भी नहीं होगी. कंपनी के अनुसार, 2024 के अंत तक उसके पास 55 विमान स्टॉक में पड़े हैं, जिनमें से ज़्यादातर चीन और भारत के ग्राहकों के लिए थे, लेकिन डिलीवरी रोक दिए जाने से अब ये स्टॉक कंपनी पर बोझ बन गया है.

    ट्रेड वॉर की नई लड़ाई
    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों पर 145 फीसदी तक टैरिफ लगाने के बाद चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 125 फीसदी तक टैक्स लगा दिया. बोइंग के महंगे विमानों पर इतना टैक्स लगने से चीन में उनकी बिक्री लगभग नामुमकिन हो गई है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 और 2018 में बोइंग ने चीन से 122 विमानों के ऑर्डर लिए थे, जबकि पिछले 6 सालों में उसे केवल 28 ऑर्डर ही मिले हैं, वो भी ज़्यादातर मालवाहक विमानों के

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    5:44 AM