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    April 29, 2025

    अंधे बेटे के लिए मां ने आंखें बंद कर पास की यूपीएससी; एक आईएएस अधिकारी का संघर्ष देखकर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे।

    1 min read
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    सफलता की कहानी: रवि राज की सफलता में उनकी मां की अहम भूमिका रही है। आखिरकार बेटे को आईएएस अधिकारी बनाकर मां ने राहत की सांस ली।

    संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के नतीजे आने के बाद देशभर में भावी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के संघर्ष और सफलता पाने की कहानियां वायरल होने लगती हैं। इनमें से कुछ संघर्ष इतने तीव्र होते हैं कि उन्हें देखने के बाद हमें भी पीड़ा होती है और लड़ने की ताकत मिलती है। बिहार के रवि राज का संघर्ष भी कुछ ऐसा ही है। यहां तक ​​कि जब वे अंधे हो गए, तब भी उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा और सफलता की तलाश में लगे रहे। उनकी सफलता में उनकी माँ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने तभी राहत की सांस ली जब उनका बेटा आईएएस अधिकारी बन गया।

    रवि राज को यूपीएससी में 182वीं रैंक मिली
    बिहार के नवादा जिले के महुली गांव के रवि राज ने 2024 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 182वीं रैंक हासिल की है। किसान रंजन कुमार सिन्हा और गृहिणी विभा सिन्हा के घर जन्मे रवि की मां ने कभी भी अपनी दृष्टि को प्रभावित नहीं होने दिया। उनकी माँ उनकी मार्गदर्शक बन गईं। वह बच्चे को जोर से किताबें पढ़कर सुनाते और उसके उत्तर लिखवाते। घर के काम करते हुए वह रवि के लिए यूट्यूब से नोट्स भी बनाती थी।

    यूपीएससी से पहले बीपीएससी पास किया
    यूपीएससी पास करने से पहले रवि ने 2023 में 69वीं बीपीएससी परीक्षा 490वीं रैंक के साथ पास की थी। इसके बाद उनका चयन राजस्व अधिकारी के पद पर हो गया। हालांकि, अच्छी सरकारी नौकरी होने के बावजूद उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और नए जोश के साथ यूपीएससी परीक्षा का सामना किया। इस पूरी यात्रा में उनके परिवार ने हर कदम पर उनका साथ दिया। उनकी माँ ने विशेष रूप से उन्हें सामाजिक बाधाओं और शैक्षणिक चुनौतियों से उबरने में मदद की।

    रवि की सफलता की कहानी सिर्फ एक छात्र की नहीं है, बल्कि एक मां और बेटे की अटूट साझेदारी और संघर्ष की भी है। विभा अपने अंधे बेटे के लिए आंखें बन गईं और पढ़ने, लिखने और समझने के हर स्तर पर उसका साथ दिया। मीडिया से बात करते हुए रवि ने कहा, ‘मेरी सफलता में मेरी मां का भी बराबर का योगदान है। “उन्होंने अपना जीवन एक विद्यार्थी की तरह जिया ताकि मैं कुछ कर सकूं।” आज रवि अपनी सफलता की कहानी से लाखों उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

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