नासा को लगा सदमा, चांद पर निकल गया ‘एथेना’ का दम; क्या थम जाएगा ये बड़ा मिशन?
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NASA का मून मिशन फेल हो चुका है. इस मिशन में लूनर लैंडर के गड्ढे में गिरने से समस्याएं आने लगी थी, जिसके चलते यह मिशन आधे में ही विफल हो गया.
NASA के एथेना लूनर लैंडर ने चांद पर लैंड करने के बाद काम करना बंद कर दिया है. इस लूनर लैंडर को चांद पर IM-2 मिशन के तहत भेजा गया था. एथेना लूनर लैंडर को इंट्यूटिव मशीन की ओर से डिजाइन किया गया था. यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मॉन्स माउटन इलाके में अपने निर्धारित लक्ष्य से करीब 250 मीटर की दूरी पर उतरा.
गड्ढे में गिरा लैंडर
बता दें कि NASA का यह अबतक का सबसे दक्षिणी मून लैंडिंग और सर्फेस ऑपरेशन था, लेकिन कुछ खराब स्थिति के कारण मिशन को आधे में ही रोकना पड़ा. एथेना ने एक गड्ढे के अंदर लैंड किया. यह मिशन की विफलता का सबसे बड़ा कारण बना. चांद के सतह से आई कुछ तस्वीरों के मुताबिक लैंडर एक ओर झुक गया था. इस बाधा के बावजूद मिशन कंट्रोलर्स ने लैंडर की बैट्रियां खत्म होने से पहले NASA के PRIME-1 सुइट समेत कई प्रोग्राम और पेलोड को एक्टिवेट करने का काम किया.
खत्म हुआ मिशन
सूरज की तेज किरणों और गड्ढे में अधिक ठंडे तापमान के कारण लैंडर के लिए अपनी बैट्रियों को रिचार्ज करना असंभव हो गया था. इसको लेकर इंट्यूटिव मशीन की ओर से घोषणा की गई, जिसमें कहा गया कि उन्हें उम्मीद नहीं है कि अंतरिक्ष यान दोबारा काम में लाया जा सकेगा, जिससे यह मिशन यही खत्म होता है.
भविष्य में पड़ेगा असर?
चांद का साउथ पोल इलाका अपने ऊबड़-खाबड़ हिस्से और चुनौतीपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है. इन चुनैतियों के कारण इस इलाको को अवॉइड किया जाता है, हालांकि इंट्यूटिव मशीन का मानना है कि IM-2 से मिले इनसाइट के कारण भविष्य में इस इलाके को और एक्सप्लोर करने में काफी मदद मिलेगी. मिशन के असफल होने के बावजूद इकट्ठा किए गए डाटा को भविष्य के लूनर मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें साल 2027-28 के बीच चांद के साउथ पोल में इंसानों का अन्वेषण ( Human Exploration) शामिल है. बता दें कि NASA के इस मून मिशन का मकसद चांद की मिट्टी में मौजूद पानी का विश्लेषण करना था.
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