केदारनाथ, हेमकुंड साहिब तक रोपवे।
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हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के कारण भी बहुत महत्व रखता है और हर साल कम से कम दो लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
नई दिल्ली: यद्यपि उत्तराखंड में भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को विभिन्न विकास परियोजनाओं से जोड़ा जा रहा है, लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘रोप वे’ जैसी परियोजनाओं के माध्यम से दो स्थानों – केदारनाथ और हेमकुंड साहिब – में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस ‘रोप वे’ परियोजना के कारण हेमकुंड साहिब आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 10 गुना वृद्धि होगी।
हर साल 20 लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ दर्शन के लिए आते हैं। हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के कारण भी बहुत महत्व रखता है और हर साल कम से कम दो लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ‘फूलों की घाटी’ भी यहीं स्थित है। इन तीनों स्थानों तक पैदल या खच्चरों से पहुंचा जा सकता है। हिमालय के निरंतर बदलते मौसम में यह यात्रा अत्यंत कठिन है। हालांकि, इस ‘रोप-वे’ परियोजना के पूरा होने के बाद श्रद्धालु और पर्यटक बिना किसी सहायता के तीनों स्थानों तक बहुत आसानी से पहुंच सकेंगे। इसलिए केदारनाथ जाने वालों की संख्या 55 से 60 लाख तक पहुंच सकती है, जबकि हेमकुंड साहिब जाने वालों की संख्या 20 लाख के करीब पहुंच सकती है।
पर्यावरण के बारे में क्या? इन परियोजनाओं से होटल, रेस्टॉरंट और अन्य पर्यटन-संबंधी उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में बड़ी निर्माण परियोजनाएं बनाई जाएंगी तथा पर्यटन बढ़ने से उत्तराखंड के संवेदनशील पर्यावरण पर दबाव पड़ने की संभावना है।
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