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    April 19, 2025

    राजकोषीय घाटा वार्षिक लक्ष्य का 29.4 प्रतिशत; सितंबर के अंत में 4.74 लाख करोड़.

    1 min read
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    बुधवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही के अंत में, केंद्र का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 29.4 प्रतिशत तक पहुंच गया।

    नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही के अंत में, केंद्र का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 29.4 प्रतिशत तक पहुंच गया, बुधवार को जारी आंकड़ों से पता चला। सरकारी व्यय और राजस्व आय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) कार्यालय ने बुधवार को राजकोषीय घाटे का यह आंकड़ा जारी किया है. इस हिसाब से चालू वित्त वर्ष में सितंबर के अंत में घाटा 4,74,520 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पिछले वित्त वर्ष (2023-24) की समान अवधि में राजकोषीय घाटा वार्षिक लक्ष्य का 39.3 फीसदी था.

    केंद्र सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है. पिछले साल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 फीसदी था. सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 16,13,312 करोड़ रुपये से कम रखना है।

    चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सरकार को 12.65 लाख करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ है। यह बजट लक्ष्य का 49 फीसदी है. पिछले साल सितंबर के अंत में सरकार का कर राजस्व 49.8 फीसदी था. अगस्त के अंत में सरकार का कुल खर्च 21.11 लाख करोड़ रुपये है, जो बजट लक्ष्य का 43.8 फीसदी है. कैग कार्यालय ने कहा कि पिछले साल की समान अवधि में यह बजट लक्ष्य का 47.1 प्रतिशत था। छह महीनों में सरकार द्वारा किए गए कुल खर्च में से 16.96 लाख करोड़ रुपये राजस्व व्यय है, जबकि शेष 4.15 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय है। राजस्व व्यय में से सबसे अधिक लगभग 4 लाख करोड़ रुपये सरकारी ऋणों पर ब्याज भुगतान पर खर्च किये गये हैं।

    चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्र का राजकोषीय घाटा कम होकर 4.7 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले साल (2023-24) अप्रैल-सितंबर में 7 लाख करोड़ रुपये था। रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए पर्याप्त लाभांश से घाटे पर अंकुश लगाने में काफी मदद मिली है।
    -अदिति नायर, मुख्य अर्थशास्त्री, आईसीआरए

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