अडानी पोर्ट में मजदूरों की हड़ताल, इस सरकारी कंपनी को रोजाना हो रहा 50 करोड़ का नुकसान.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हड़ताल के बाद अडानी के नियंत्रण वाले पोर्ट पर 700 करोड़ रुपये का कोकिंग कोल और चूना पत्थर फंसा हुआ है. आरआईएलएल (RINL) ने लिखा कि AGPL यार्ड में पड़े कोयले और लाइमस्टोन को तुरंत हटाने की व्यवस्था करने के लिए पोर्ट फर्म को पहले भी लिखा गया है.
पब्लिक सेक्टर की कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) को हर दिन 40 से 50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. अडानी के गंगावरम पोर्ट (आंध्र प्रदेश) पर मजदूरों के विरोध के कारण सरकारी कंपनी को इस नुकसान से गुजरना पड़ रहा है. यह जानकारी आरआईएलएल (RINL) की तरफ से अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी पोर्ट को लिखे लेटर में दी गई. RINL के चेयरमैन और एमडी अतुल भट्ट ने 5 मई को भेजे लेटर में लिखा कि जरूरी कोकिंग कोल नहीं मिलने के कारण कंपनी को रोजाना 40-50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. लंबे समय तक मशीने बंद रहने से भी नुकसान हो रहा है.
700 करोड़ का कोकिंग कोल और चूना पत्थर फंसा
मनीकंट्रोल में प्रकाशित खबर के अनुसार 12 अप्रैल से शुरू हुई मजदूरों की हड़ताल के बाद स्टील तैयार करने के लिए जरूरी कोकिंग कोल की सप्लाई बाधित हुई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हड़ताल के बाद अडानी के नियंत्रण वाले पोर्ट पर 700 करोड़ रुपये का कोकिंग कोल और चूना पत्थर फंसा हुआ है. आरआईएलएल (RINL) ने लिखा कि AGPL यार्ड में पड़े कोयले और लाइमस्टोन को तुरंत हटाने की व्यवस्था करने के लिए पोर्ट फर्म को पहले भी लिखा गया है. लेकिन AGPL की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया.
16,000 करोड़ ये ज्यादा के इक्युपमेंट खराब हो जाएंगे
कोकिंग कोल की सप्लाई नहीं होने से स्टील बनाने वाली कंपनी को काफी दिक्कत हो रही है. मशीनों को नुकसान पहुंचने के साथ ही कंपनी की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा है. RINL की तरफ से जारी बयान के अनुसार अतुल भट्ट ने विजाग जिले के डीएम को भेजे गए लेटर में भी इसका जिक्र किया. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने AGPL को आदेश दिया है कि वो कोयले को कन्वेयर बेल्ट या किसी अन्य तरीके से RINL तक पहुंचाए. RINL की तरफ से यह कहा गया कि यदि कुछ और दिन इस तरह के हालात रहे तो 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के इक्युपमेंट खराब हो जाएंगे.
हड़ताल का असर 30,000 कर्मचारियों के भविष्य पर भी पड़ेगा. इस पूरे नुकसान की जिम्मेदारी AGPL को लेनी होगी. आपको बता दें इस स्टील प्लांट में कोयले को जलाने के लिए 5 चैंबर और लोहे को गलाने के लिए 3 भट्टियां हैं. कोयले की सप्लाई बाधित होने से इन 3 भट्टियों में से सिर्फ एक ही चालू है.
मजदूर स्ट्राइक पर क्यों गए?
हड़ताल का कारण मछुआरों और अडानी के गंगावरम पोर्ट प्रबंधन के बीच अनबन है. यह अनबन इसलिए हुई क्योंकि मछुआरों की तरफ से ज्यादा सैलरी की मांग की जा रही है. आपको बता दें 2021 कमें अडानी ने इस बंदरगाह का अधिग्रहण कर लिया था. इस दौरान इन मछुआरों की जमीन भी बंदरगाह के लिए चली गई थी. इसके बाद इन्हें बंदरगाह पर ही काम दिया गया. लेकिन अब इनकी मांग है कि उन्हें ज्यादा सैलरी दी जाए.
Adani Ports ने मार्च 2021 में DVS राजू फैमिली से गंगावरम पोर्ट का 58.1 प्रतिशत हिस्सा 3604 करोड़ रुपये में खरीद लिया था. इसके बाद उन्होंने इस बंदरगाह को विकसित किया. इससे वहां के मछुआरों को परेशानी हुई. लेकिन कुछ लोगों को बंदरगाह पर ही नौकरी दे दी गई. रिपोर्ट्स के अनुसार मजदूर ज्यादा वेतन और पेंशन की मांग कर रहे हैं. लेकिन मैनेजमेंट की तरफ से मांगे नहीं माने जाने से वे हड़ताल पर हैं. इस पोर्ट के जरिये भारत का व्यापार एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बड़े बाजारों, जैसे : चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान देशों से जुड़ जाता है.
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