पीएम मोदी ने ही क्यों शुरू किया वंदे भारत: गांधी से मोदी तक, कैसे हो रहा है नारा का राजनीतिक इस्तेमाल।
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15 फरवरी 2019। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन। पीएम मोदी ने मंच से दिखाई हरी झंडी देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस चल पड़ी।
27 जून 2023। भोपाल का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन। पीएम मोदी ने एक साथ 5 वंदे भारत ट्रेन लॉन्च की और देश में कुल वंदे भारत एक्सप्रेस की संख्या 23 हो गई।
पिछले दो महीने में ये मध्य प्रदेश की तीसरी वंदे भारत एक्सप्रेस है। इससे पहले 1 अप्रैल 2023 को दिल्ली के लिए वंदे भारत लॉन्च किया गया था। मान्यता है कि इसी साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होते हैं।
रेलवे भारत के आम लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा क्यों है? राजनीति में रेलवे का इस्तेमाल कैसे हो रहा है, इसे कुछ पुराने किस्सों से ख़त्म किया जाता है…
16 अप्रैल 1853 को भारत की पहली ट्रेन बॉम्बे के बोरीबंदर से थाने के बीच चली थी। जल्द ही देश में ट्रेन का जादू बोला गया। पॉपुलैरिटी की वजह से बहादुर शाह जफर ने कहा था, ‘अगर हम भारत के बादशाह बने, तो ये हमारा वादा है कि भारत के कब्जे को शासन की तरफ से रेलवे लाइन एग्रीमेंट करना जरूरी है, ताकि वो सारे देश में पूंजीपति तिजारत कर सकें। ‘असहाय’
दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्जबर्ग में एक अंग्रेज ने महात्मा गांधी को प्रथम श्रेणी से नीचे फेंक दिया था। यह उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। 1915 में वो जब भारत बंद हुआ तो ट्रेन के तीसरे दर्जे में ही पूरा देश अच्छा मारा गया। कहते हैं रेलवे का राजनीतिक इस्तेमाल गांधी जी ने किया, रेलवे का इस्तेमाल किसी भारतीय नेता ने किया।
देश की आज़ादी के बाद 75 साल में 17 बार चुनाव हुए। इस दौरान 15 प्रधानमंत्री बने, जबकि 45 रेल मंत्री बने। सिर्फ जगजीवन राम और वामपंथी यादव ही दो ऐसे रेल मंत्री हैं, जिन्होंने अपना 5 साल का टर्म पूरा कर लिया। रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य विनोद मथुरा का मानना है कि यह बेहद जरूरी पॉलिटिकल है। मथुरा का कहना है कि एलायंस की सरकार बनाने के लिए बार-बार युवाओं के लिए रेलवे मंत्रालय की पेशकश की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये आम लोगों से होता है शौचालय विभाग। युवाओं के नेता लोक-लुभावन रेलवे मंजूरी के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
1981 में रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक रहे जे.एल. सिंह कहते हैं कि हर मंत्री अपने क्षेत्र के लिए रेलवे पाइपलाइन, रेलवे लाइन और ट्रेन चलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बार अपने पद पर रहते हुए उन्होंने सरकार से 3 रेलवे मेंटेनेंस वर्कशॉप बनाने की अपील की। देश के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण हिस्सों में इसके लिए शहर की दुकानों की सिफारिश की गई है। हालाँकि, रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने राष्ट्रपति निज़ामुद्दीन प्राइवेट लिमिटेड को खुश करने के लिए एक कार्यशाला कार्यशाला का निर्णय लिया। यह एक राजनीतिक निर्णय था, लेकिन तकनीकी तौर पर यह पूरी तरह से खराब निर्णय था।
1988 में कांग्रेस सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 100वीं जन्मतिथि पर शताब्दी रेलगाड़ी की घोषणा की थी। स्तुति रेल मंत्री माधवराव क्रैस्ट ने दिल्ली से पहली शताब्दी तक की शुरुआत की थी। बाद में इसे भोपाल तक बढ़ाया गया।
1996 में उस वक्त के रेल मंत्री राम विलास पैसेंजर ने विशाल ईस्टर्न रेलवे और नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे के कुछ सिद्धांतों को अलग करके एक नया रेलवे जोन ईस्ट सेंट्रल रेलवे बनाया। इस नए जॉन का हेडक्वॉर्टर साइंटिस्ट कॉन्स्टीट्यूएंसी बिहार के हाजीपुर को बनाया गया था।
एक बार निजीकरण रेल मंत्री ममता बनर्जी रेल बजट पेश कर रही हैं। कैपिटल ने कहा कि ज्यादातर नई ट्रेनें पश्चिम बंगाल के लिए लॉन्च की जा रही हैं। ममता ने अंत में कहा, ‘ट्रेनें बंगाल से दूसरे राज्य ही तो जा रहे हैं।’ क्या ये उन राज्य के लोगों के लिए प्रशिक्षित नहीं है?’
ट्रेन से आम लोगों की ऐसी खासियत है कि अगर किसी नेता के प्रयास से छोटे स्टेशन पर कुछ पढ़ाई के लिए ही ट्रेन से जुड़े लोग मिलते हैं, तो लोग उस नेता को लंबे समय तक याद रखते हैं। यही वजह है कि नई ट्रेनें शुरू करने के साथ-साथ वॉट्सएप के स्टॉपेज को बढ़ाने की भी बहुत मांग है।
वंदे भारत एक्सप्रेस स्वदेशी ट्रेन है। इसका डिज़ाइन यूनीक है। दो शहरों के बीच कम समय में यात्रा तय होती है। मॉडल आधुनिक मॉडल से लैस है। धीरे-धीरे-धीरे-धीरे पूरे देश में फेल रही है। इन लोगों की जिंदगी आसान हो रही है। इसी कारण से पीएम मोदी खुद वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा रहे हैं, ताकि लोग जब भी वंदे भारत देखें या यात्रा करें तो पीएम मोदी से वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएं।
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