अप्रैल जैसी क्यों लग रही फरवरी? गायब हो जाएगा ये मौसम? एक्सपर्ट्स ने दी ये वॉर्निंग।
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उत्तर भारत में शीतलहर का कहर जारी है. दिल्ली-एनसीआर में मौसम ने एक बार फिर अपना मिजाज बदला है. फरवरी के महीने में अप्रैल जैसी गर्मी ने दिल्ली में सभी को हैरान कर दिया है. जानें क्यों हाड़ कंपा देने वाली ठंड के महीने में हो रही गर्मी, कहां होगी भयंकर बारिश. जाने सब कुछ.
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड ने जहां एक तरफ लोगों का जीना बेहाल कर रखा है. दूसरी तरफ दिल्ली-NCR में मौसम ने अपने बहुत सारे रंग दिखाए हैं. फरवरी के महीने में अप्रैल की तरह गर्मी ने तो लोगों को और भी सोचने पर मजबूर किया है. गुरुवार को गुनगुनी धूप के बीच तेज हवाओं ने ठंड का अहसास तो कराया, लेकिन शाम होते-होते मौसम ने करवट बदल लिया. मौसम ने अपना असली रंग दिल्ली-एनसीआर में दिखाया है. जनवरी महीने में दिन में गर्म, रात में ठंड का अहसास होता रहा. तो फरवरी में अप्रैल जैसी गर्मी ने सभी को चकित कर रखा है. आइए जानते हैं आखिर क्या है वजह, क्यों फरवरी में अप्रैल जैसा है मौसम.
मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की शुरुआत में भारत ने ‘शुरुआती वसंत जैसा’ चरण अनुभव किया, जिसमें जनवरी रिकॉर्ड पर तीसरा सबसे गर्म महीना रहा और फरवरी में सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद है. विशेषज्ञ इन परिवर्तनों को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार मानते हैं, जो कृषि, जैव विविधता और सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए जोखिम पैदा करता है.
फरवरी अप्रैल जैसी क्यों लगती है?
जैसे ही जनवरी खत्म हुआ और फरवरी शुरू हुई, भारत ने खुद को मौसम विज्ञानियों के अनुसार “शुरुआती वसंत जैसा” चरण में पाया. यह शुष्क मौसम और असामान्य रूप से उच्च तापमान के कारण था.भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जनवरी 2024 रिकॉर्ड पर तीसरा सबसे गर्म महीना था, जिसमें औसत तापमान 18.9°C था. यह 1901 के बाद से चौथा सबसे शुष्क महीना भी था, जिसने इसे हाल के इतिहास में सबसे शुष्क सर्दियों के महीनों में से एक बना दिया.
वसंत ऋतु लुप्त हो रही है?
परंपरागत रूप से मार्च और अप्रैल को वसंत के महीने माना जाता था. हालांकि दिल्ली एनसीआर और कई सारे इलाकों में फ़रवरी अप्रैल की तरह लगने लगी है, वैश्विक मौसम एजेंसियों के डेटा से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के मौसम बदल रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक अस्थायी बदलाव नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक परिवर्तन है जो अंततः भारत के पारंपरिक वसंत ऋतु को मिटा सकता है.
वैज्ञानिकों की कौन सी चेतावनी?
इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस (हैदराबाद) में भारती इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी के शोध निदेशक और संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के लेखक प्रोफेसर अंजल प्रकाश ने TOI को बताया, “जलवायु पैटर्न में बदलाव के साथ यह स्पष्ट होता जा रहा है कि वसंत ऋतु, जो कभी नवीनीकरण और कृषि जीवन शक्ति की पहचान थी, खतरे में है.” यही वजह है कि फरवरी के महीने में अप्रैल जैसी गर्मी महसूस हो रही है.
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