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    April 24, 2025

    अपनी सेना में दूसरे देश के लोगों को क्यों भरना चाहता है ताइवान? चीन कैसे कर रहा जंग की तैयारी।

    1 min read
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    ताइवान इन दिनों आर्मी शॉर्टेज की समस्या से जूझ रहा है. कहा जा रहा है कि ताइवान के अंदर सेना में भर्ती के लिए जवान ही नहीं मिल रहे हैं और इस समय देश की सेना सबसे कम स्तर पर रहकर काम रही है. वो भी ऐसे हालात में जब चीन बार-बार हमले की रणनीतियों पर काम कर रहा है.

    चीन के बढ़ते खतरों और सेना में जवानों की कमी के बीच ताइवान एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. बताया जा रहा है कि ताइवान विदेशी नागरिकों को अपनी सेना में भर्ती करने पर विचार कर रहा है. हालांकि यह प्रस्ताव अभी शुरुआती चरण में है और इस पर चर्चा चल रही है. ताइवान की सैन्य क्षमता इस समय 80 फीसद पर काम कर रही है, जो 2020 में 89 प्रतिशत थी. ऐसे में फौजियों की कमी को लेकर चिंता बढ़ना लाजमी है, क्योंकि दूसरी तरफ चीन अपनी खतरनाक और बेहद ताकतवर सेना के साथ उसपर नजरें गड़ाए बैठा है.

    कितनी है ताइवान की सैना?
    सैनिकों की कमी ने द्वीप की खुद की प्रभावी रूप से रक्षा करने में नाकामी के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं, खासकर चीन की बढ़ती सेना और ताइवान पर उसके ऐतिहासिक दावे के चलते ये और भी खतरनाक साबित हो जाता है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) मिलिट्री बैलेंस 2022 रिपोर्ट के डेटा से पता चला है कि ताइवान के एक्टिव सैन्य कर्मियों की तादाद 169,000 है, जिन्हें लगभग 1.66 मिलियन रिजर्विस्ट का समर्थन प्राप्त है. इसके मुकाबले चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में 20 लाख एक्टिव फौजी और 5 लाख रिजर्व सैनिक हैं.

    ताइवान की सेना क्यों हो रही कम
    ताइवान में सैनिकों की कमी के पीछे मुख्य कारण देश की कम जन्म दर है, जिससे सेना के लिए युवा कम हो रहे हैं. इसके अलावा निजी कंपनियों के ज़रिए दी जाने वाली आकर्षक सैलरी और सुविधाओं की वजह से युवाओं के लिए फौज में शामिल होना कम प्राथमिकता बन गया है. 2013 में ताइवान ने अनिवार्य सैन्य सेवा को दो साल से कम करके चार महीने कर दिया था. हालांकि 2024 में इसे फिर से एक साल का कर दिया गया, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम स्पेशल ट्रेनिंग और कौशल की जरूरत वाली यूनिट्स में कमी पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

    तेजी से बूढ़ी हो रही ताइवान की आबादी
    ताइवान की उम्रदराज़ होती जनसंख्या भी एक बड़ी समस्या है. आने वाले वर्षों में देश की जनसंख्या तेजी से बूढ़ी होती जाएगी, जिससे सेना के लिए युवा तैयार करना और मुश्किल हो जाएगा. ऐसे हालात में विदेशी नागरिकों को सेना में शामिल करना एक संभावित समाधान माना जा रहा है. अगले पांच वर्षों में ताइवान की आबादी तेज़ी से वृद्ध होने की उम्मीद है; वर्तमान में 20% से ज्यादा आबादी 65 वर्ष से ज्यादा उम्र की है. सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के मुताबिक 2060 तक बुज़ुर्ग आबादी 41.4% से ज्यादा हो जाएगी.

    ताइवान में कितने विदेशी?
    ताइवान में करीब 9.5 लाख विदेशी निवासी हैं, जिनमें से 7.5 लाख विदेशी मजदूर हैं. इनका बड़ा हिस्सा दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों जैसे इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और थाईलैंड से आता है. कई विदेशी नागरिक जो ताइवान में बस चुके हैं, अपने नए घर की रक्षा के लिए सेना में शामिल हो सकते हैं. स्वतंत्र थिंक टैंक ताइवान पॉलिसी सेंटर के मुख्य कार्यकारी डेविड स्पेंसर का कहना है,’इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसे कई विदेशी हैं जो ताइवान में बस गए हैं और यहां अपना जीवन बना लिया है और जो आक्रमण की स्थिति में अपनी गोद ली हुई मातृभूमि की रक्षा के लिए हथियार उठाने को तैयार होंगे.’

    चीन ने कब-कब ताइवान पर बनाया दबाव
    ताइवान पर चीन का खतरा लगातार बढ़ रहा है. चीन ने 2024 में ताइवान के आस-पास रिकॉर्ड संख्या में युद्धक विमानों को तैनात किया. चीन ने कई बार ताइवान के खिलाफ सैन्य अभ्यास किए हैं, जो ताइवान और अमेरिका के बीच राजनीतिक मीटिंग्स या ताइवान के राष्ट्रपति के भाषणों के बाद किए जाते हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बार-बार कहा है कि ताइवान को चीन में मिलाना उनकी प्राथमिकता है और अगर जरूरत पड़ी तो वे ताकत का इस्तेमाल करेंगे.

    १.चीन की सेना ने 2024 में ताइवान के चारों तरफ रिकॉर्ड संख्या में युद्धक विमान उतारे हैं, क्योंकि वह पूरी तरह आक्रमण शुरू करने की तैयारी कर रहा है.
    २. चीन ने 10 अक्टूबर 2024 को ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के राष्ट्रीय दिवस भाषण के कुछ ही दिनों बाद द्वीप के चारों तरफ एक दिवसीय सैन्य अभ्यास किया.
    ३. चीन ने उसी महीने दक्षिण-पूर्वी चीनी प्रांत फ़ुज़ियान के पास निउशान द्वीप के पास लाइव-फ़ायर हवाई और समुद्री अभ्यास भी किया.
    ४. अगस्त 2022 से चीन ने ताइवान के चारों तरफ कम से कम चार सैन्य अभ्यास किए हैं.
    ५. हर अभ्यास ताइवान व अमेरिका के बीच उच्च-स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान या ताइवान के राष्ट्रपति के ज़रिए दिए गए अहम भाषणों की प्रतिक्रिया के रूप में किया गया है.

    चीन अपना रहा ग्रे जोन युद्धनीति
    चीन ने ताइवान के खिलाफ ‘ग्रे ज़ोन’ युद्धनीति अपनाई है, जिसमें ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ, साइबर अटैक और सूचना युद्ध जैसे तरीके शामिल हैं. 2024 में चीन के विमानों ने 3000 से ज्यादा बार ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की. इसके अलावा हाल ही में ताइवान की समुद्र के नीचे भी संचार केबल्स को नुकसान पहुंचाया गया, जिसे चीन का कदम माना जा रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह किसी बड़े हमले की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

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