पश्चिम बंगाल का नाम क्यों बदलना चाहती हैं ममता बनर्जी? एक वजह जानकर आप माथा पीट लेंगे।
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल का नाम बदलने के लिए केंद्र से मांग की है, यह कोई पहली बार नहीं है जब ममता ने अपनी इच्छा जताई है, इसके पहले भी कई लोगों ने और खुद ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मांग की है तो आइए जानते हैं आखिर क्यों पश्चिम बंगाल का नाम बदलना चाहती हैं ममता बनर्जी, क्या है इसके पीछे की वजह.
बीजेपी सरकार में भारत देश में कई जगहों के नाम बदले गए हैं. जिसमें शहर, स्थल, रेलवे स्टेशन और क्षेत्रों का नाम शामिल है. अब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी राज्य का नाम ही बदलने की मांग कर रही है. जानें पूरी खबर और इसके पीछे का इतिहास.
तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा में उठाया मामला
तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने की मांग करते हुए कहा था कि यह नाम राज्य के इतिहास और संस्कृति को दिखाता है. राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए तृणमूल सदस्य रीताब्रत बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने जुलाई 2018 में सर्वसम्मति से राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था लेकिन केंद्र ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि नामकरण राज्य के इतिहास, संस्कृति और पहचान से मेल खाता है और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित भी करता है.
टीएमसी सांसद का क्या है तर्क
रीताब्रत बनर्जी का कहना है कि साल 1947 में बंगाल को विभाजित किया गया. भारतीय हिस्से को पश्चिम बंगाल कहा गया और दूसरे हिस्से का नाम पूर्वी पाकिस्तान रखा गया. 1971 में, पूर्वी पाकिस्तान ने स्वतंत्रता की घोषणा की और बांग्लादेश का एक नया राष्ट्र बना. बनर्जी ने कहा कि आज कोई पूर्वी पाकिस्तान नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमारे राज्य का नाम बदलने की जरूरत है. पश्चिम बंगाल के लोगों के जनादेश का सम्मान किए जाने की जरूरत है. आखिरी बार 2011 में किसी राज्य का नाम बदला गया था, जब उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया था.’
ममता बनर्जी लगातार नाम बदलने की उठा रही मांग
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से राज्य का नाम पश्चिम बंगाल से बदलकर ‘बांग्ला’ करने को लगातार कह रही हैं.
टीएमसी 2011 से नाम बदलने की कर रही मांग
तृणमूल कांग्रेस सरकार ने 2011 में पहली बार सत्ता में आने पर केंद्र सरकार से राज्य का नाम बदलने का अनुरोध किया था. नए नाम के लिए “पश्चिम बंगा” और “पश्चिम बंगो” सुझावों में से थे. पांच साल बाद, ममता बनर्जी ने फिर से “बोंगो” या “बांग्ला” सहित नए नामों का प्रस्ताव रखा. अब, मुख्यमंत्री ने 2024 के आम चुनावों से कुछ महीने पहले एक बार फिर केंद्र के सामने इस मुद्दे को उठाया था. बनर्जी ने उस समय बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई और उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा करने का उदाहरण देते हुए कहा कि यह क्षेत्र में मौजूद सांस्कृतिक पहचान और भाषाओं के साथ राज्य और शहर के नामों को जोड़ने का उदाहरण है.
ममता बनर्जी क्यों चाहती हैं नाम बदलना? जानें तीन तर्क
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए ममता बनर्जी का राज्य का नाम बदलने को लेकर तर्क हास्यास्पद है. उन्होंने एक बार यह कह कर इसे सही ठहराया था कि पश्चिम बंगाल भारत के सभी राज्यों की सूची में सबसे नीचे आता है. अंग्रेजी का डब्ल्यू अक्षर अल्फाबेट में बिल्कुल नीचे आता है. सम्मेलनों में ए, बी, सी, डी के बाद डब्ल्यू से पश्चिम बंगाल का नाम काफी नीचे आता है. जब पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों के बोलने का वक्त आता है तब तक आधा हॉल खाली हो चुका होता है. लोग थक कर जा चुके होते हैं. दूसरा तर्क था कि “अगर हमारे राज्य का नाम बदलकर बांग्ला कर दिया जाए तो हमारे बच्चे जो विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और पढ़ाई के लिए जाते हैं, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी. हर मीटिंग में हमें अंत तक इंतजार करना पड़ता है. डब्ल्यू, एक्स, वाई, जेड. बांग्ला का महत्व कम हो गया है.” इसके अलावा तीसरा तर्क था कि राज्य के नाम के साथ “पश्चिम” शब्द जोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं थी. उन्होंने पाकिस्तान का उदाहरण दिया, जिसका एक प्रांत भी पंजाब है, जो इसी नाम के भारतीय राज्य से सटा हुआ है. बनर्जी ने कहा कि भारत के पंजाब को पाकिस्तान के पंजाब से अलग करने के लिए कुछ नहीं किया गया.
कब बदला गया था भारत में किसी राज्य का नाम?
आखिरी बार 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया था. पिछले कुछ सालों में कई शहरों के नाम परिवर्तित किए गए हैं.
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