नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 24, 2025

    कौन थे बलदेव मिश्र हिंदी के पहले डी.लिट.? सब कहते थे ‘भाईजी’, न्यायाधीश भी रहे.

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    उन्हें भारत सरकार ने 1953 में महाकोशल भारत सेवक समाज का संयोजक नियुक्त किया था. उस समय वह भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के संपर्क में आए.

    हिंदी एक भाषा से बढ़कर भारत की आत्मा है. इसे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने सच कर दिखाया. उनकी उपलब्धियां इतनी हैं कि उनके बारे में कुछ शब्दों में लिखना असंभव है. 12 सितंबर 1898 को राजनांदगांव में पैदा हुए बलदेव मिश्र की आज 128वीं जयंती है. इस लिहाज से भी उनके बारे में जानना जरूरी है.

    बलदेव प्रसाद मिश्र ने एक जीवन में कई भूमिकाएं निभाईं. एक साहित्यकार, न्यायविद, लोकसेवक के रूप में अपनी गहरी छाप छोड़ी. बलदेव प्रसाद मिश्र ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदी में डी.लिट. की उपाधि लेने वाले पहले भारतीय थे. 1939 में नागपुर यूनिवर्सिटी ने डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र के रिसर्च मैनेजमेंट ‘तुलसी दर्शन’ पर डी.लिट. की उपाधि प्रदान की थी.

    उनके नाम करीब 85 प्रकाशित और अप्रकाशित कृतियों पर अंकित हैं. उन्होंने ‘तुलसी दर्शन’ पर विशेष काम किया और इससे उन्हें बहुत पॉपुलरिटी मिली. उनके साहित्य को सहेजने का काम पोते काशी प्रसाद मिश्र ने बखूबी किया. बलदेव प्रसाद मिश्र को उनके करीबी और जानने वाले भाईजी के संबोधन से पुकारते थे. वह अपने लोगों के लिए बड़े भाई की भूमिका में रहते भी थे.

    मानस को लेकर उनके विचार राष्ट्रपति भवन से लेकर आम जनता तक फैले थे. 1921 में एलएलबी की पढ़ाई करने के अगले साल पंडित रविशंकर शुक्ल के जूनियर के रूप में वकालत शुरू की. एक लेखक का मन कानूनी दांव-पेंच और झूठ से उब गया. यही कारण रहा कि उनका मन कोर्ट-कचहरी की दुनिया से सिर्फ 10 महीनों में भर गया. इसी दौरान उन्होंने ‘शंकर दिग्विजय’ लिखा.

    वह रायगढ़ रियासत में न्यायाधीश, नायब दीवान, दीवान जैसे पदों पर रहे. वह पूर्वी रियासत मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे. यहां तक कि रायपुर के दुर्गा कॉलेज और विलासपुर के एसबीआर कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य रहे. दस साल तक नागपुर यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में अनपेड चैयरमेन रहे. इसके अलावा नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में बेहतरीन काम किया.

    उन्हें भारत सरकार ने 1953 में महाकोशल भारत सेवक समाज का संयोजक नियुक्त किया था. उस समय वह भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के संपर्क में आए. उन्हें बिलासपुर का सतर्कता अधिकारी नियुक्त किया गया. उन्हें ‘श्रृंगार शतक’, ‘वैराग्य शतक’, ‘कौशल किशोर’, ‘जीवन संगीत’, ‘साकेत संत’, ‘मानस के चार प्रसंग’ जैसी रचनाओं ने विशेष प्रसिद्धि दिलाई.

    उन्हें 1934 में प्रकाशित ‘कौशल किशोर’ के लिए विश्वकवि रविंद्रनाथ टैगोर का आशीर्वाद मिला था. उनकी लेखन शैली और रचनाओं के बारे में आचार्य ललिता प्रसाद शुक्ल ने कहा था, “खड़ी बोली जो प्रायः अपने कड़ेपन के लिए बदनाम सी समझी जाती है, उसमें भी इतनी मृदुता भर देना, उसका यथेष्ट शुद्ध रूप, निर्वाह कर ले जाना, उनके जैसे विद्वानों का काम है.”

    1928 में प्रकाशित ‘जीव विज्ञान’ पर पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी ने कहा था, “जो विषय आपकी पुस्तक का है, इस विषय की कई पुस्तकें मैं उलट-पुलट चुका हूं, मुझे कांटों और कंकड़ों के सिवा और कुछ नहीं मिला. रत्न, कहीं थे तो वे मेरी नजरों में छिपे रहे. दोष उन ग्रंथों का नहीं, मेरा ही था. आपकी पुस्तक के अवलोकन से मुझे अनेक तत्व रत्नों की प्राप्ति हो गई. आप मेरी कृतज्ञता स्वीकार करें. आप धन्य हैं.”

    उनके बारे में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने लिखा था, “मानस पर बलदेव मिश्र ने लिखकर हिंदी, मानवता के प्रति जो काम किया है, सराहनीय है. उतनी ही सरलता के साथ मौलिक रूप को भी उन्होंने अपने गहरे चिंतन, अध्ययन से सुंदर बनाया है.” डॉ. बलदेव मिश्र का निधन 4 सितंबर 1975 को हुआ था. उनकी स्मृति को संजोने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने राजनांदगांव में त्रिवेणी संग्रहालय परिसर बनवाया.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    2:09 AM