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    April 22, 2025

    25 दिन से भूखे लेटे वो 70 साल के बुजुर्ग कौन हैं? जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर सुना दिया।

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    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से अनशन कर रहे किसान नेता दल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा है. जानें कौन हैं जगजीत सिंह दल्लेवाल जिनको लेकर सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब सरकार को दिया आदेश.

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब सरकार से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर पर पास के अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित करने को कहा, जहां उनके स्वास्थ्य की दिन-रात निगरानी की जा सके. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भूइयां की पीठ ने पंजाब सरकार के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह को 70 वर्षीय डल्लेवाल को पंजाब एवं हरियाणा की सीमा के बीच खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल के निकट स्थापित अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित करने के संबंध में आज एक हलफनामा देने को कहा. सिंह ने पीठ को सूचित किया कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल सहयोग कर रहे हैं और गुरुवार को उनकी ईसीजी एवं खून के नमूने की जांच समेत कई जांच की गईं. उन्होंने कहा कि डल्लेवाल की स्वास्थ्य की स्थिति फिलहाल स्थिर है.

    आइए सबसे पहले जानें कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल
    इस साल 27 जनवरी को अपनी पत्नी को खोने वाले प्रोस्टेट कैंसर के मरीज जगजीत सिंह दल्लेवाल (70) सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अनुयायी रहे हैं, क्योंकि लोगों के हक के‌ लिए उन्होंने कई बार भूख हड़ताल की है. इस बार भी किसानों के हक के लिए खनौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रमुख 70 वर्षीय किसान नेता फरीदकोट में अपने पैतृक गांव दल्लेवाल में 17 एकड़ कृषि भूमि के मालिक हैं. डल्लेवाल के बेटे गुरपिंदरपाल दल्लेवाल ने कहा, “उन्होंने 4.5 एकड़ जमीन मेरे नाम कर दी, दो एकड़ मेरी पत्नी हरप्रीत कौर के नाम और बाकी 10.5 एकड़ मेरे बेटे जिगरजोत सिंह के नाम कर दी.

    खुद का बनाया अपना किसान मोर्चा
    फरीदकोट जिले में पड़ने वाले डल्लेवाल गांव के निवासी जगजीत सिंह लंबे अरसे से किसानों के मुद्दों पर ऐक्टिव हैं, लेकिन उनके संयुक्त किसान मोर्चे के उस धड़े से मतभेद हैं, जिसने 2022 में चुनाव लड़ा था. कहा जाता है कि उस चुनाव के चलते ही किसान संगठनों में मतभेद पैदा हो गए थे. किसानों के एक वर्ग का कहना था कि हमें राजनीति में नहीं उतरना चाहिए था.

    किसानों की कैसे बने आवाज?
    डल्लेवाल, जो बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) के प्रमुख हैं, पंजाब के मालवा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और आत्महत्या से मरने वाले किसानों के लिए मुआवजे की मांग करने के अलावा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं. बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) पंजाब के 32 किसान संगठनों में से एक था, जिसने संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया, जिसने दिल्ली आंदोलन का नेतृत्व किया. हालांकि, डल्लेवाल ने पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक अलग संगठन बनाने के लिए एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल की आलोचना की और बाद में कुछ अन्य समान विचारधारा वाले किसान नेताओं के साथ मिलकर एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया.

    कोर्ट ने पंजाब सरकार को सुनाया
    पीठ ने बृहस्पतिवार को नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला द्वारा चिकित्सा देखरेख में एक दशक से अधिक समय से जारी विरोध प्रदर्शन का उल्लेख किया और पंजाब सरकार से कहा कि वह डल्लेवाल को स्वास्थ्य जांच कराने के लिए राजी करे. पीठ ने पंजाब सरकार की इस बात के लिए खिंचाई की थी कि उसने आमरण अनशन कर रहे डल्लेवाल की चिकत्सीय जांच नहीं कराई.

    25 दिनों से आमरण अनशन
    केंद्र पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाने के उद्देश्य से डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसान सुरक्षा बलों द्वारा उनके दिल्ली कूच को रोके जाने के बाद 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू एवं खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. उपज के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करने की किसानों की घोषणा के बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगा दिए थे.

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