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    April 22, 2025

    कौन है शेख हसीना को हटाने वाला और यूनुस का चहीता महफूज आलम? भारतीय राज्यों को बता रहा अपना।

    1 min read
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    बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में अपनी चहीते महफूज आलम को लेकर कई तरह के दावे किए हैं. साथ ही उसकी एक पोस्ट को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए बांग्लादेश के सामने अपनी शिकायत रखी है.

    बांग्लादेश में लंबे समय से रिजर्वेशन में बदलाव की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आखिरकार 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंक दिया. यहां तक कि शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी. इसके बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी और नोबेल पुरुस्कार विजेता यूनुस को सरकार मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया. हाल ही में यूनुस ने एक बड़ा दावा करते हुए एक और नाम खबरों में उछाल दिया है. इस नाम को लेकर यूनुस ने दावा किया है कि इसी ने शेख हसीना की सरकार को हटाना में अहम किरदार अदा किया था. इतना सुनने के बाद भारतीय सरकार ने भी सख्त शब्दों में फटकार लगाई है.

    मंगलवार को न्यूयॉर्क में एक प्रोग्राम के दौरान यूनुस ने अपने विशेष सहायक महफूज आलम को छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के पीछे एक अहम व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसने शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश की. यह कार्यक्रम क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव के दौरान हुआ, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के साथ आयोजित किया गया था.मोहम्मद यूनुस ने महफूज की तरफ इशारा करते हुए कहा था,’पूरी क्रांति के पीछे का दिमाग ये (महफूज आलम) है.’

    कौन है महफूज आलम?
    उन्होंने आगे काह कि ये लगातार इनकार करता है और कहता है कि मैंने नहीं बल्कि काफी और लोगों ने किया है. लेकिन इस पूरी चीज के पीछे इन्हीं का दिमाग है. यूनुस ने महफूज की प्रतिबद्धता और हिम्मत की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि उनके शब्द दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित कर सकते हैं. उन्होंने दर्शकों को इन युवा नेताओं को बेहतर बांग्लादेश के निर्माण में समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित किया. साथ ही उनसे उनकी लगातार कामयाबी की कामना करने की अपील की. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ये महफूज आलम है कौन?

    भारतीय राज्यों को बताया बांग्लादेश का हिस्सा
    महफूज आलम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सलाहकार हैं. हाल ही में उनसे एक विवादित फेसबुक पोस्ट किया, जिसमें भारत के पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया था. इस पोस्ट में उन्होंने ‘नए भूगोल और व्यवस्था’ की जरूरत पर जोर देते हुए दावा किया कि पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश की संस्कृतियों को ‘हिंदू उग्रवादियों’ और उच्च जाति के हिंदुओं के ‘बंगाल विरोधी रवैये’ के ज़रिए दबाया गया है.

    1975 और 2024 दोहराने की बात
    महफूज आगे कहता है कि भारत ने एक नियंत्रण और यहूदी बस्ती कार्यक्रम अपनाया है. भारत से सच्ची आजादी यकीनी बनाने के लिए हमें 1975 और 2024 दोहराना होगा. 1975 यानी शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या वाला घटनी और 2024 यानी शेख हसीना का तख्तापलट वाली घटना दोहरानी की बात कही जा रही है. आलम ने कहा कि दोनों घटनाओं के बीच 50 साल का अंतर है, लेकिन कुछ भी नहीं बदला. हम भूगोल और व्यवस्था में फंस गए हैं. हमें अब एक नए भूगोल और व्यवस्था की जरूरत होगी.

    भारत ने कहा- सोच समझकर बयान दें
    इस संबंध में भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए सख्त अंदाज में ऐतराज जाहिर किया. रणधीर जायसवाल ने कहा,’जिस पोस्ट का जिक्र किया जा रहा है उसे कथित तौर पर हटा दिया गया. साथ ही हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश के सामने कड़ा विरोध दर्ज करा दिया है.’ जायसवाल ने कहा,’हम सभी संबंधित पक्षों को याद दिलाना चाहेंगे कि वे अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति सचेत रहें.’ जायसवाल ने कहा,’भारत ने बांग्लादेश के लोगों और अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में बार-बार रुचि दिखाई है, इस तरह की टिप्पणियां सार्वजनिक अभिव्यक्ति में जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं.’

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