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    April 24, 2025

    किन देशों में है सबसे लंबा Working Hour, इस रेस में किस पायदान पर है भारत? यहां के लोगों को करना पड़ता है सबसे ज्यादा काम.

    1 min read
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    लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन का कहना है कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे तक काम करने और रविवार को भी काम करने की बात कही, जिससे एक नया विवाद खड़ा हो गया. ऐसे में चलिए जानते हैं दुनिया में कौन से देश सबसे काम करते हैं…

    लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन के “90 घंटे काम” करने के बयान ने देशभर में बहस छेड़ दी है. लंबे कामकाजी घंटे और वर्क-लाइफ बैलेंस पर यह चर्चा तब और तेज हो गई जब भारत को दुनिया के सबसे ज्यादा काम करने वाले देशों में शामिल किया गया. एक्सपर्टस इस मामले पर लेबर राइट्स और मेंटल हेल्थ को लेकर चिंता जता रहे हैं. ऐसे में आज इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं कि दुनिया के किस देश के लोग सप्ताह में सबसे ज्यादा काम करते हैं और भारत में लोग कितने घंटे काम कर रहे हैं?

    एलएंडटी चेयरमैन का विवादित बयान
    लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों से सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए. इतना ही नहीं प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए रविवार को भी काम करना चाहिए. इस बयान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया. आलोचकों ने इसे कर्मचारियों के अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया. कंपनी ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि चेयरमैन का बयान “राष्ट्र निर्माण” की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.

    लंबे काम के घंटे और स्वास्थ्य पर प्रभाव
    संयुक्त राष्ट्र की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक काम करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2016 में दुनिया भर में 1.9 मिलियन लोगों की मौतें काम से संबंधित कारणों से हुईं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि बहुत ज्यादा कामकाजी घंटे जानलेवा हो सकते हैं.

    अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां कर्मचारी सबसे ज्यादा घंटे काम करते हैं. भूटान में जहां प्रति सप्ताह औसतन 54.4 घंटे काम किया जाता है.

    अन्य देशों के क्या है हाल?
    यूएई (50.9 घंटे), बांग्लादेश (49.9 घंटे) और पाकिस्तान (49.9 घंटे) भी इस लिस्ट में टॉप पर हैं. वहीं, अमेरिका (38 घंटे), जापान (36.6 घंटे) और यूके (35.9 घंटे) के कर्मचारी औसतन कम घंटे काम करते हैं.

    क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
    एक्सपर्ट्स का मानना है कि लंबे समय तक काम करने का कल्चर कर्मचारियों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकती है. कर्मचारियों को बेहतर मैनेजमेंट और वर्क-लाइफ बैलेंस की जरुरत है.

    कामकाजी घंटे पर सामाजिक बहस
    एलएंडटी चेयरमैन के इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं बटोरीं. कुछ लोगों ने इसे गैर-व्यावहारिक और श्रमिक अधिकारों के खिलाफ बताया, जबकि कुछ समर्थकों ने इसे ‘राष्ट्र निर्माण’ की जरूरत बताया. श्रम विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा काम का दबाव न केवल प्रोडक्टिविटी घटाता है, बल्कि कर्मचारियों की कार्यक्षमता को भी बुरी तरह प्रभावित करता है.

    भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस की स्थिति
    भारत दुनिया में सबसे ज्यादा काम करने वाले देशों में से शामिल है. संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट बताती है कि इंडिया में करीब 51 फीसदी कर्मचारी हर हफ्ते 49 घंटे या उससे ज्यादा काम करते हैं. यहां औसत कामकाजी घंटे दुनिया के कई विकसित देशों से ज्यादा हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर अवेरनेस बढ़ाने की सख्त जरूरत है, ताकि कर्मचारियों को मेंटल और फिजिकल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों से बचाया जा सके.

     

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