नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 19, 2025

    कहां है हिंद महासागर में फ्रांस का वो इलाका, जिसे चिडो चक्रवात ने मानो चीर दिया हो! मदद को आगे आए PM मोदी।

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    मायोट का इतिहास 1500 ईस्वी में स्थापित माओरे सल्तनत से जुड़ा है. बाद में यह फ्रांस का उपनिवेश बन गया और 1974 और 1976 में हुए जनमत संग्रह में फ्रांस के साथ रहने का फैसला किया. 2011 में यह फ्रांस का एक विदेशी विभाग बन गया.

    हिंद महासागर में स्थित फ्रांस के मायोट द्वीपसमूह पर आया चक्रवात चर्चा में है. इस चक्रवात का नाम चिडो है. इस विनाशकारी तूफान ने द्वीप की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी को प्रभावित किया, सैकड़ों इमारतें तहस-नहस हो गईं, और हजारों लोगों को बेघर हो गए हैं. चिडो को पिछले 100 सालों में सबसे भयंकर चक्रवात बताया जा रहा है. चिडो ने 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाओं के साथ तबाही मचाई. इस चक्रवात के साथ-साथ जो एक चीज चर्चा का विषय बानी हुई है.. वो है कि आखिर हिंद महासागर में वो कौन सा इलाका है जो फ्रांस का है. इस पर पीएम मोदी का भी बयान सामने आया है.

    असल में चिडो श्रेणी 4 का चक्रवात था, जिसने मायोट के अलावा मेडागास्कर और मोज़ाम्बिक में भी भारी नुकसान पहुंचाया. मायोट में बिजली ग्रिड ठप हो गए, हवाई अड्डे के कंट्रोल टॉवर सहित कई बुनियादी ढांचों को नुकसान पहुंचा. यहां तक कि लोगों ने इसकी तुलना परमाणु बम के विस्फोट से की. प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार कुछ ही मौतों की पुष्टि हुई है, लेकिन अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या हजारों तक पहुंच सकती है.

    पीएम मोदी इस पर क्या कहा है..
    भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मायोट में चक्रवात चिडो के कारण हुई तबाही से मैं अत्यंत दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. भारत, फ्रांस के साथ एकजुटता में खड़ा है और हर संभव सहायता के लिए तैयार है. पीएम मोदी के इस संदेश ने वैश्विक स्तर पर सहयोग और सहानुभूति का प्रतीक प्रस्तुत किया.

    उधर फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्या कहा..
    फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी के समर्थन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रिय नरेंद्र मोदी जी आपके विचारों और समर्थन के लिए धन्यवाद. राष्ट्रपति मैक्रों ने मायोट के हालात पर बारीकी से नजर रखने की बात कही और जल्द ही प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने की भी बात कही है. उन्होंने राष्ट्रीय शोक की घोषणा करते हुए फिलहाल राहत और बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी है.

    आखिर मायोट कहां मौजूद है…
    मायोट अफ्रीका के पूर्वी तट पर हिंद महासागर में स्थित है, जो मेडागास्कर और मोज़ाम्बिक के बीच स्थित एक द्वीपसमूह है. यह फ्रांस का विदेशी क्षेत्र है और यूरोपीय संघ का सबसे पिछड़ा हुआ इलाका माना जाता है. 320,000 की आबादी वाले इस द्वीप में 84% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं. यह फ्रांस से 7,837 किलोमीटर दूर है. मायोट दो मुख्य द्वीपों, ग्रांड-टेरे और पेटिट-टेरे और कई छोटे द्वीपों से मिलकर बना है.

    इसका इतिहास भी जान लीजिए..
    मायोट का इतिहास विविध संस्कृतियों से समृद्ध है. मायोट का इतिहास 1500 ईस्वी में स्थापित माओरे सल्तनत से जुड़ा है. बाद में यह फ्रांस का उपनिवेश बन गया और 1974 और 1976 में हुए जनमत संग्रह में फ्रांस के साथ रहने का फैसला किया. 2011 में यह फ्रांस का एक विदेशी विभाग बन गया. मायोट यूरोपीय संघ का सबसे बाहरी क्षेत्र भी है. यहां फ्रेंच भाषा के साथ शिमाओरे और किबुशी भाषाएं भी बोली जाती हैं.

    प्राकृतिक सौंदर्य और लेकिन चुनौतियां..
    मायोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. एक विशाल मूंगा चट्टान, एक बड़ा लैगून और घने वन हैं. यह जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. कई स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं. मायोट अपने विशाल कोरल रीफ और गहरे लैगून के लिए प्रसिद्ध है. यहां की जैव विविधता अद्वितीय है, लेकिन हालिया तूफान ने पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया है. 15% क्षेत्र प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र घोषित है, लेकिन अवैध वनों की कटाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है.

    राहत और पुनर्निर्माण कार्य जारी
    फ्रांस ने मायोट में बचाव दल और चिकित्सा कर्मियों को भेजा है. पानी और भोजन की आपूर्ति बहाल करने के प्रयास जारी हैं. राहत प्रयासों में भारत सहित अन्य देशों से भी सहायता की संभावना है. फ्रांस की सेना और आपातकालीन सेवाएं अब भी मलबे के नीचे दबे लोगों को बचाने का प्रयास कर रही हैं.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    6:33 AM