जब RBI गवर्नर रहते हुए लंच में बुक स्टोर पर किताबें खरीदने जाते थे मनमोहन, सामने आया किस्सा।
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कुछ साल पहले बंद हो चुके बुकस्टोर स्ट्रैंड के एक पूर्व कर्मचारी ने मनमोहन सिंह से जुड़ी यादें ताजा कीं. वे 1982 से 1985 के बीच आरबीआई गवर्नर थे. कभी-कभी वह ‘बंद गला’ सूट या कुर्ता-पायजामा पहनकर पैदल ही किताब की दुकान पर जाते थे.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में 26 दिसंबर 2024 को निधन हो गया. मनमोहन सिंह का योगदान सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में याद किया जा रहा है. उनके निधन के बाद उनसे जुड़े तमाम किस्से और कहानियां लोग याद कर रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह नियमित रूप से मुंबई के फोर्ट इलाके में स्थित प्रसिद्ध स्ट्रैंड बुक स्टॉल पर जाया करते थे. महीने में एक या दो बार, वह अपनी पसंद की नई किताबें खरीदने वहां जाते थे, जहां के कर्मचारियों ने शायद ही कभी सोचा होगा कि यह मृदुभाषी पुस्तक प्रेमी एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा.
1982 से 1985 के बीच आरबीआई गवर्नर..
स्ट्रैंड बुकस्टोर अब बंद हो चुका है. पूर्व कर्मचारी टी जगत ने सिंह से जुड़ी अपनी यादें साझा कीं. उन्होंने बताया कि 1982 से 1985 के बीच आरबीआई गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, मनमोहन सिंह कभी-कभी बंद गले का सूट या कुर्ता-पायजामा पहनकर पैदल ही दुकान पर आते थे. जगत ने कहा हमने उन्हें अक्सर दोपहर के भोजन के समय दुकान पर देखा है.” वह प्रबंधन, वित्त, और अर्थव्यवस्था से संबंधित किताबों में विशेष रुचि रखते थे. जगत ने यह भी बताया कि सिंह उन्हें उनके नाम से बुलाते थे और कभी-कभी मालिक टी. एन. शानबाग खुद उन्हें नई किताबें दिखाने में मदद करते थे. सिंह का यह व्यवहार उनकी सादगी और ज्ञान-पिपासा का प्रतीक था.
सादगी से हर कोई प्रभावित
जगत ने भावुक होकर याद किया कि वह और उनके साथी मनमोहन सिंह के आने का बेसब्री से इंतजार करते थे. उन्होंने कहा, “भारत ने एक महान अर्थशास्त्री और एक अद्भुत इंसान को खो दिया है.” उनके अनुसार, आरबीआई के सात से आठ गवर्नरों को देखने के बावजूद, मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व सबसे अलग था. उनकी मृदुभाषिता, व्यावहारिकता और सभी के प्रति समान व्यवहार उन्हें विशेष बनाता था. यह कहना गलत नहीं होगा कि वह केवल एक राजनीतिज्ञ नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत थे, जिनकी सादगी से हर कोई प्रभावित था.
मनमोहन सिंह का जीवन और उनका व्यवहार समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक था. उनके पढ़ने-लिखने की रुचि, सादगी और ज्ञानार्जन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें न केवल एक महान नेता, बल्कि एक असाधारण इंसान भी बनाया. उनका जाना न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके योगदान और व्यक्तित्व को आने वाले समय में भी याद किया जाएगा.
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