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    April 19, 2025

    RBI के डॉलर-रुपया अदला-बदली ऑक्‍शन से क्‍या होगा फायदा? आसान भाषा में पूरी बात समझ‍िए।

    1 min read
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    बैंकिंग सिस्टम में लिक्‍व‍िड‍िटी क्राइस‍िस को कम करने के लि‍ए RBI ने डॉलर-रुपया स्वैप ऑक्शन का सहारा लिया है. नीलामी ऐसे समय में की जा रही है जब ग्‍लोबल अनिश्‍च‍ितता के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 87.46 के स्‍तर पर आ गया है.

    रिजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया ने फाइनेंश‍ियल स‍िस्‍टम में लंबे समय के ल‍िए फाइनेंश‍ियल स‍िस्‍टम में नकदी बढ़ाने के लिए 10 अरब डॉलर मूल्य की डॉलर-रुपया अदला-बदली के लिए नीलामी आयोजित की. इस नीलामी का निपटान 4 मार्च और 6 मार्च को होगा. तीन साल की अवधि के लिए अमेरिकी डॉलर एवं भारतीय रुपये की खरीद / बिक्री अदला-बदली नीलामी को 1.62 गुना अभिदान मिला. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि उसे नीलामी के दौरान 244 बोलियां मिलीं, जिनमें से 161 बोलियों को 10.06 अरब डॉलर की कुल राशि के लिए स्वीकार किया गया.

    बैंकिंग सिस्टम में लिक्‍व‍िड‍िटी क्राइस‍िस
    यह अब तक का सबसे बड़ा डॉलर-रुपया स्वैप ऑक्शन था. बैंकिंग सिस्टम में लिक्‍व‍िड‍िटी क्राइस‍िस बनी हुई है. इस स्थिति को सुधारने के लिए RBI ने डॉलर-रुपया स्वैप ऑक्शन का सहारा लिया है. नीलामी ऐसे समय आयोज‍ित की जा रही है जब ग्‍लोबल अनिश्‍च‍ितता के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 87.46 के स्‍तर पर आ गया है. इस स‍िस्‍टम के तहत बैंक आरबीआई को यूएस डॉलर बेचेगा और साथ ही अदला-बदली अवधि के अंत में उतनी ही मात्रा में अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए सहमत होगा.

    लंबी अवधि के स्वैप ऑक्शन की भारी मांग
    इससे पहले आरबीआई ने जनवरी में भी पांच अरब डॉलर की अदला-बदली समेत अलग-अलग साधनों से 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा की नकदी डालने की घोषणा की थी. जाना स्मॉल फाइनेंस बैंक के ट्रेजरी और कैपिटल मार्केट्स हेड गोपाल त्रिपाठी के अनुसार, ‘लंबी अवधि के स्वैप ऑक्शन की भारी मांग है, ज‍िससे सिस्टम में स्थायी ल‍िक्‍व‍िड‍िटी सुन‍िश्‍च‍ित हो सकेगी. RBI ल‍िक्‍व‍िड‍िटी डेफ‍िस‍िट को 1-1.5 ट्रिलियन अबर रुपये तक सीमित रखना चाहता है. इसके लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO), फॉरेक्स स्वैप और जरूरत पड़ी तो कैश र‍िजर्व रेशियो (CRR) का सहारा ल‍िया जा सकता है.

    भारतीय रुपये को स्थिर रखने की कोश‍िश
    RBI ने ल‍िक्‍व‍िड‍िटी को घाटे में रखने की रणनीति अपनाई है ताकि भारतीय रुपये को स्थिर रखा जा सके. रुपये पर लगातार गिरावट का दबाव बना हुआ है, जिसका मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता, ज‍ियो-पॉल‍िट‍िकल टेंशन और अमेरिकी टैरिफ का खतरा है. जानकारों के अनुसार जनवरी 2025 में ल‍िक्‍व‍िड‍िटी डेफ‍िस‍िट 3.3 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया था, जो 14 साल में सबसे ज्यादा था. मौजूदा समय में भी यह घाटा 1.5 ट्रिलियन रुपये से ज्‍यादा बना हुआ है. RBI की तरफ से बार-बार विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप क‍िया जा रहा है ताकि रुपये को गिरने से रोका जा सके.

    डॉलर-रुपया स्वैप कैसे काम करता है?
    फॉरेक्स स्वैप एक फाइनेंश‍ियल ट्रांजेक्‍शन है, जिसमें RBI बैंकों से रुपये लेकर डॉलर खरीदता है. इससे बाजार में रुपये की उपलब्धता बढ़ती है यानी लिक्विडिटी इंफ्यूजन होता है. RBI इन डॉलर को एक तय समय के बाद (इस मामले में तीन साल) दोबारा बेच देता है. इससे विदेशी मुद्रा भंडार संतुलित रहता है और रुपये की अस्थिरता को भी नियंत्रित किया जाने की कोश‍िश होती है.

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