हम अपने दिमाग का कितने प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करते हैं, 100 पर्सेंट जिस दिन कर लिया तो क्या होगा
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एक इंसान का दिमाग उसके शरीर से हर रोज 20 फीसदी एनर्जी सोख लेता है या फिर इस्तेमाल करता है | हालांकि, दिमाग शरीर से लिए इस एनर्जी का इस्तेमाल शरीर को ही सुचारू रूप से चलाने के लिए करता है |
ये एक ऐसा सवाल है जो हमारे दिमाग में हमेशा आता है | हॉलीवुड में तो इस पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं | लूसी शायद आप में से कई लोगों ने देखी होगी | इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक लड़की एक ड्रग की मदद से अपने दिमाग सौ फीसदी हिस्सा एक्टिव कर देती है और फिर उसके साथ क्या होता है | इस फिल्म बेहद रोमांचक है, अगर आपने नहीं देखी है तो आपको देखनी चाहिए | खैर, अब अगर हम फिल्म से हट कर रियल लाइफ की बात करें तो दिमाग को लेकर कई शोध किए गए हैं और उन्हीं के आधार पर बताया गया है कि एक इंसान औसत अपना कितना दिमाग इस्तेमाल करता है |
एक इंसान अपना कितना दिमाग इस्तेमाल करता है
वेल माइंड में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक इंसान औसत रूप से अपने दिमाग का 10 फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल कर पाता है | इंसान की पूरी जिंदगी और उसकी पूरी क्रिएटिविटी दिमाग के इसी 10 फीसदी हिस्से के इर्द गिर्द घूमती रहती है और उसके दिमाग का बाकी 90 फीसदी हिस्सा बिना इस्तेमाल हुए ऐसे ही बचा रह जाता है | वैज्ञानिकों के कई शोध में पता चला है कि दिमाग का सभी हिस्से में एक्टिविटी नहीं होती, इंसान के दिमाग का आधे से ज्यादा हिस्सा एक्टिव ही नहीं रहता |
एफएमआरआई के वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में पाया कि जब इंसान अलग अलग तरह के दिमागी टास्क को परफॉर्म कर रहा होता है तो उसके दिमाग में ब्लड और ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है और दिमाग तेजी से काम करता है | इससे यह सिद्ध होता है कि अगर आपको अपने दिमाग को तेज चलाना है तो उसे दिमागी कसरत कराना ही होगा |
दिमाग शरीर की कीतनी एनर्जी इस्तेमाल करता है |
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एक इंसान का दिमाग उसके शरीर से हर रोज 20 फीसदी एनर्जी सोख लेता है या फिर इस्तेमाल करता है | हालांकि, दिमाग शरीर से लिए इस एनर्जी का इस्तेमाल शरीर को ही सुचारू रूप से चलाने के लिए करता है | यानी आपके हाथ पैरों के मूवमेंट से लेकर आपके बोलने और सोचने तक में दिमाग इसी 20 फीसदी एनर्जी का इस्तेमाल करता है |
एक और थ्योरी क्या कहती है |
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंसान अपने दिमाग पूरा 100 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल करता है | उनका तर्क है कि हमारे दिमाग का वजन लगभग 3 पाउंड होता है और इसकी 90 फीसदी कोशिकाओं को ग्लियल कोशिकाएं कहते हैं, जबकि बची 10 फीसदी कोशिकाओं को न्यूरॉन्स कहते हैं | इनका कहना है कि जो लोग यह दावा करते हैं कि इंसान का दिमाग सिर्फ 10 फीसदी काम करता है, वो इसी न्यूरॉन्स के आंकड़े की बात करते हैं | जबिक 90 फीसदी ग्लियल कोशिकाएं इन्हीं 10 फीसदी न्यूरॉन्स को शक्ति देने का काम करती हैं. यानी देखा जाए तो इंसान का दिमाग पूरा 100 फीसदी काम करता है |
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