सोनोबॉय क्या है जिसे भारत को देने को तैयार हुआ अमेरिका? चीन-पाकिस्तान परेशान।
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अमेरिका ने भारत को पनडुब्बी रोधी युद्ध सामग्री (Anti-submarine warfare) बेचने की मंजूरी दे दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन ने द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के लिए पेंटागन में व्यापक वार्ता की. इसके बाद इस रक्षा सौदे पर फैसले की खबर सामने आई है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 52.8 मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत पर एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की भारत को संभावित विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दे दी है. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने वाशिंगटन में इसकी घोषणा की. डीएससीए ने शुक्रवार को संभावित बिक्री के बारे में कांग्रेस को सूचित करते हुए जरूरी सर्टिफिकेशन मुहैया कराया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लॉयड ऑस्टिन की मुलाकात
यह वाकया उस दिन सामने आया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन ने द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के लिए पेंटागन में व्यापक वार्ता की. इस बातचीत में रक्षा सहयोग, औद्योगिक सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा, भारत-प्रशांत क्षेत्र और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मामले सहित कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया. हालांकि, एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय के सौदे ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा. आइए, जानते हैं कि सोनोबॉय क्या है और उसकी खासियत कैसी है?
सोनोबॉय और उसकी खासियत क्या है?
आधिकारिक बयानों के मुताबिक, यह उपकरण अमेरिकी मूल के MH-60R हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन करने की क्षमता को बढ़ाकर खतरों से निपटने की भारत की क्षमता में सुधार करेगा. भारत को इस उपकरण को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई परेशानी भी नहीं होगी. एकॉस्टिक सेंसर वाले सोनोबॉय से लैस होने के बाद भारतीय नौसेना समुद्र के भीतर दुश्मन की सबमरीन की बेहद धीमी आवाजों को भी काफी अच्छे से सुन सकेगी.
इससे युद्ध के समय दुश्मन की सबमरीन को खत्म करने में आसानी होगी. तकरीबन 3 फिट लंबे और 5 इंच व्यास वाले पोर्टेबल सोनार सिस्टम सोनोबॉय को पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए पानी के जहाजों, हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर्स और वॉरशिप से भी समुद्र में गिराया जा सकता है. सोनोबॉय के तीन मुख्य प्रकार एक्टिव, पैसिव और स्पेशल पर्पस सोनोबॉय होते हैं.
भारत ने मार्च में बनाया MH-60R हेलीकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वॉड्रन
भारत ने मार्च में MH-60R हेलीकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वॉड्रन उन छह हेलीकॉप्टरों के साथ खड़ा किया, जिनकी तब तक आपूर्ति की जा चुकी थी. भारत ने अपने पुराने नौसैनिक हेलीकॉप्टर बेड़े को आधुनिक बनाने के लिए 2020 में अमेरिका से 24 लॉकहीड मार्टिन-सिकोरस्की MH-60R मल्टीपर्पस हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया था. इनकी कीमत लगभग 17,500 करोड़ रुपए है. सभी हेलीकॉप्टर 2025 तक डिलीवर कर दिए जाएंगे.
सोनोबॉय सौदे को मंजूरी से सकते में चीन और पाकिस्तान
अमेरिका से एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय हासिल कर भारत अब अपने समुद्री इलाके में चीन और पाकिस्तान की नौसेना के सबमरीन का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकेगा. इस सौदे से चीन और पाकिस्तान फिलहास परेशान और चौकन्ने हैं. 48 डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन वाले चीन ने हाल ही में अपना अत्याधुनिक सबमरीन लॉन्च किया है.
इसे पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की अंडरवाटर फ्लीट में शामिल किया गया है. लंबे समय से चीन पर हिंद महासागर और हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में सबमरीन की मदद से जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं. भारतीय नौसेना में एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय शामिल होने से चीन की साजिशों पर भी रोक लगाई जा सकेगी.
भारतीय नौसेना की जरूरतों पर डीएससीए ने क्या कहा?
डीएससीए के बयान में भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं का विवरण देते हुए कहा गया है, “भारत सरकार ने AN/SSQ-53G हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोबॉय खरीदने का अनुरोध किया है. इसके अलावा AN/SSQ-62F HAASW सोनोबॉयस; एएन/एसएसक्यू-36 सोनोबॉयस; तकनीकी और प्रकाशन और डेटा डॉक्युमेंटेशन; इंजीनियरिंग और तकनीकी सहायता; प्रोग्राम सर्विस और सपोर्ट से जुड़े समझौते की मंजूरी भी दी गई है. ”
अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगी डील
प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और एक प्रमुख रक्षा भागीदार की सुरक्षा में सुधार करके संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा मकसद का समर्थन करेगी. यह राजनीतिक स्थिरता और शांति के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बनी हुई है. इसमें हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में आर्थिक प्रगति शामिल है.
भारत और अमेरिका ने पिछले साल एक रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप अपनाया था. यह हवाई युद्ध और भूमि गतिशीलता प्रणाली, खुफिया, निगरानी और टोही, युद्ध सामग्री और पानी के नीचे के क्षेत्र सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से प्रौद्योगिकी सहयोग और सह-उत्पादन करना चाहता है.
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