सेकेंड हैंड कारों की बिक्री में क्या है जीएसटी का खेल? यहां उदाहरण से दूर करें कन्फ्यूजन।
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यूज्ड कारों की बिक्री पर लगाए जाने वाले जीएसटी को लेकर यदि आपको भी कन्फ्यूजन है तो यहां हम आपको एक्सपर्ट से बातचीत और उदाहरण के जरिये पूरी चीजें क्लियर करेंगे. आइए जानते हैं क्या है इसका पूरा नियम?
अगर कोई शख्स किसी दूसरे व्यक्ति को अपनी पुरानी और यूज्ड कार बेचता है तो उस पर जीएसटी लागू नहीं होता है. सूत्रों ने कहा कि केवल रजिस्टर्ड यूनिट जैसे पुराने और यूज्ड व्हीकल की खरीद और बिक्री पर होने वाले मार्जिन पर जीएसटी देना होगा. अगर यह मार्जिन निगेटिव में है तो किसी प्रकार का जीएसटी नहीं देना होगा. मामले से जुड़े जानकार ने इस बारे में जानकारी दी. आपको बता दें जीएसटी काउंसिल ने पिछले हफ्ते मीटिंग के दौरान इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सहित सभी ‘सेकेंड हैंड’ व्हीकल की बिक्री पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया था.
जीएसटी केवल ‘मार्जिन’ वाली रकम पर देना होगा
पहले जीएसटी की दरें अलग-अलग होती थीं. यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे शख्स को पुरानी कार बेचता है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा. आपको बता दें जीएसटी केवल मार्जिन पर लागू किया जाएगा, न कि इसे वाहनों के बिक्री मूल्य पर लागू होगा. इस बदलाव से पहले ‘सेकेंड हैंड’ व्हीकल के बिक्री मूल्य पर जीएसटी लगाया जाता था. मामले से जुड़े जानकार ने कहा कि जहां रजिस्टर्ड यूनिट ने आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास (depreciation) का दावा किया है, ऐसी स्थिति में जीएसटी केवल सप्लायर के ‘मार्जिन’ वाले दाम पर देना होगा. ‘मार्जिन’ मूल्य ऐसे सामान की आपूर्ति के लिए प्राप्त कीमत और मूल्यह्रास मूल्य के बीच का अंतर है. उन्होंने कहा, ‘जहां ऐसा ‘मार्जिन’ मूल्य निगेटिव में है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा.’
उदाहरण-1
उदाहरण के लिए यदि कोई रजिस्टर्ड यूनिट 20 लाख रुपये की खरीद कीमत वाले किसी पुराने या सेकेंड हैंड वाहन को 10 लाख रुपये में बेच रही है और उसने आयकर अधिनियम के तहत उसपर आठ लाख रुपये के मूल्यह्रास (depreciation) का दावा किया है, तो उसे जीएसटी नहीं देना होगा. इसका कारण यह है कि सप्लायर का बिक्री मूल्य 10 लाख रुपये है और जबकि मूल्यह्रास के बाद उस वाहन की मौजूदा कीमत 12 लाख रुपये बैठती है. इस तरह विक्रेता को बिक्री पर किसी तरह का फायदा नहीं मिल रहा है. यदि उपरोक्त उदाहरण में मूल्यह्रास के बाद मूल्य 12 लाख रुपये पर समान रहता है और बिक्री मूल्य 15 लाख रुपये है, तो आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ यानी तीन लाख रुपये पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा. किसी भी अन्य मामले में, जीएसटी केवल उस मूल्य पर लगेगा जो आपूर्तिकर्ता का ‘मार्जिन’ यानी बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर है.
उदाहरण-2
उदाहरण के लिए, यदि कोई रजिस्टर्ड बॉडी किसी व्यक्ति को ‘सेकेंड हैंड’ व्हीकल 10 लाख रुपये में बेच रही है और पंजीकृत इकाई द्वारा वाहन की खरीद कीमत 12 लाख रुपये थी, तो उसे ‘मार्जिन’ के रूप में कोई जीएसटी देने की जरूरत नहीं है. इस मामले में आपूर्तिकर्ता का ‘मार्जिन’ नकारात्मक है. ऐसे मामलों में जहां वाहन की खरीद कीमत 20 लाख रुपये और बिक्री मूल्य 22 लाख रुपये है, आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ यानी दो लाख रुपये पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा. ईवाई के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने पुराने इलेक्ट्रिक और पेट्रोल-डीजल से चलने वली छोटी कारों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. इसे बड़ी कारों और एसयूवी के लिए तय दर के स्तर पर लाया गया है.
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