क्या है SaaS बिजनेस, जिससे 12वीं में फेल हुए गिरीश मात्रुबूथम ने भी 7 दिन में छाप लिए ₹340 करोड़।
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गिरीश जब 12वीं कक्षा में फेल हो गए तो रिश्तेदार उन्हें रिक्शा चालक कहकर बुलाने लगे, दोस्त परिवार वाले कहते थे कि ये क्या करेगा, रिक्शा ही चलाएगा. लोगों और दोस्तों के ताने सुनने के बावजूद गिरीश ने हार नहीं मानी और पढ़ाई को जारी रखा.
गिरीश जब 12वीं कक्षा में फेल हो गए तो रिश्तेदार उन्हें रिक्शा चालक कहकर बुलाने लगे, दोस्त परिवार वाले कहते थे कि ये क्या करेगा, रिक्शा ही चलाएगा. लोगों और दोस्तों के ताने सुनने के बावजूद गिरीश ने हार नहीं मानी और पढ़ाई को जारी रखा. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें पहली नौकरी HCL में मिली. फिर सॉफ्टवेयर कंपनी ज़ोहो में लीड इंजीनियर बने. आज वो लड़का जो 12वीं में फेल हो गया था 53000 करोड़ की कंपनी का मालिक है. हो सकता है कि आप गिरीश मात्रुबूथम को नहीं जानते हो, उनकी कंपनी फ्रेशवर्क्स (Freshworks) का नाम नहीं सुना हो, लेकिन जिस बिजनेस आइडिया के दम पर 12वीं फेल इस लड़के ने हजारों करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी, उसे जरूर जानना चाहिए.
हफ्तेभर में 340 करोड़ की कमाई
गिरीश मात्रुबूथम ने SaaS (Software as a Service) बिजनेस शरू किया. उनकी कंपनी फ्रेशवर्क्स SaaS इंडस्ट्री में बड़ा नाम है. इतना ऊंचा कि यह कंपनी अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में लिस्ट है. टाइगर, गूगल (एल्फाबेट) जैसी कंपनियों ने उसमें निवेश किया है. उनकी कंपनी की वैल्यूएशन करीब 53,000 करोड़ रुपये है. उन्होंने हाल ही में कंपनी के 25 लाख शेयर बेचकर 3.96 करोड़ डॉलर (336.41 करोड़ रुपये) की कमाई हुई है. मात्रुबूथम ने साल 2010 में जोहो की नौकरी छोड़कर फ्रेशवर्क्स की नींव रखी, साल 2018 के आते-आते उनके पास 125 देशों के 1 लाख से ज्यादा क्लाइंट हो गए. गिरीश मात्रुबूथम के पास फिलहाल कंपनी की 5.229 प्रतिशत हिस्सेदारी है. उनका नेटवर्थ 2369 करोड़ रुपये के करीब है.
क्या होती है SaaS कंपनी
बता दें कि SaaS कंपनी यानी सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस कंपनियां ऐसी कंपनी होती है, जो अपने क्लाइंट को सॉफ्टवेयर इस्तेमाल की ऑनलाइन सुविधा देती है. Saas कंपनियों की वजह स कस्टमर को सॉफ्टवेयर खरीदने और इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती है. SaaS बिजनेस मॉडल में ग्राहक सॉफ्टवेयर खरीदने के बजाय सब्सक्रिप्शन के आधार पर किराए पर लेता है और उसका रेंट भरता है. ये कंपनी ‘रेडी टू गो’ सॉफ्टवेयर बनाती है जिसे इस्तेमाल करना आसान है। इसके लिए कंपनी ने अपना कस्टमर केयर कॉल सपोर्ट भी बनाया है जहां किसी भी वक्त जानकारी ली जा सकती है। इसमें ग्राहक द्वारा कोई अतिरिक्त हार्डवेयर स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती है. जिसकी वजह से ये बिजनेस मॉडल लोगों को पसंद आ रहा है. सब्सक्रिप्शन बेस्ड मॉडल होने के चलते कंपनियां अच्छी कमाई कर लेती है.
बड़ी हो रही है इंडस्ट्री
माना जा रहा है कि साल 2030 तक SaaS इंडस्ट्रीज 1 लाख ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की होगी. इस इंडस्ट्रीज में 5 लाख नौकरियां होगी. जिस तरह से दुनियाभर के कारोबार डिजिटाइजेशन और ऑटोमेशन को बढ़ावा दे रहे हैं, उससे इस इंस्ट्रीज और कारोबार के बढ़ने की अपार संभावनाएं है. कंपनी का बिजनेस मॉडल अपमार्केट सेल्स और उसके प्रोडक्ट पर आधारित होता है. चूंकि सॉफ्टवेयर महंगा है और साथ ही इसे यूज करने भी आसान नहीं है, इसलिए SaaS कंपनियां ‘रेडी टू गो’ सॉफ्टवेयर बनाती है जिसे इस्तेमाल करना आसान है. सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को आसान बनाने के लिए कंपनी ने अपना कस्टमर केयर कॉल सपोर्ट भी देती है.
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