नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 20, 2025

    मुस्लिम बहुल लेबनान को भारत के हिंदुओं ने कौन सा तोहफा दिया था? गर्व करता है देश.

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    पश्चिम एशिया में भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर बसा लेबनान एक खूबसूरत देश है. हालांकि आज के समय में यह देश हिजबुल्लाह मिलिशिया के कारण काफी चर्चा में रहता है लेकिन 4000 साल पहले इसका कनेक्शन भारत से रहा है. यहां के लोगों को भारतीय हिंदुओं ने एक खूबसूरत तोहफा दिया था, जिस पर देश गर्व करता है.

    आत्मा-परमात्मा का रहस्य सरल भाषा में समझाने वाले सद्गुरु ने मुस्लिम बहुल देश लेबनान के बारे में एक दिलचस्प किस्सा सुनाया है. एक वीडियो में जग्गी वासुदेव ‘सद्गुरु’ बताते हैं कि लेबनान में चौथी क्लास के बच्चे को इंडियन लेबर, भारतीय मूर्तिकार, भारतीय योगी और भारतीय हाथियों के बारे में पता है… ये 4200 साल पहले लेबनान आए थे. और उन्होंने बालबेक मंदिर का निर्माण किया था. यह एक एतिहासिक इमारत थी, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं.

    लेबनान में हजारों ‘हिंद’
    सद्गुरु कहते हैं कि लेबनान में हजारों लोग हैं जो अपने नाम का पहला शब्द ‘हिंद’ लिखते हैं. यहां हम ‘जय हिंद’ तो कहते हैं लेकिन यहां कोई हिंद नहीं है. लेबनान में हजारों ऐसे लोग मिल जाएंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि ये लोग कहीं (पूर्व) से आए थे और इस टेंपल को बनाया था.

    आगे वह कहते हैं कि किसी भारतीय बच्चे से पूछिए क्या उसने ऐसा कुछ पढ़ा है? नहीं, गर्व की कोई बात नहीं. लेबनान के इस मंदिर के बारे में सद्गुरु की वेबसाइट पर एक लेख भी मौजूद है. इसमें कई तस्वीरों के साथ यह बताया गया है कि करीब चार हजार साल पहले अरब, रोमन, ग्रीक साम्राज्य से भी काफी पहले इस मंदिर के निर्माण में काफी पैसा खर्च हुआ था. स्थानीय लोग बताते हैं कि इसे बनाने वाले ‘पूरब से आए’ थे. वे इससे ज्यादा कुछ नहीं बता पाते हैं लेकिन मंदिर के अवशेष भारत और भारतीय हिंदुओं के कनेक्शन की गवाही देते हैं.

    जी हां, बालबेक मंदिर में कई बातें आपकी उत्सुकता बढ़ा देंगी. इस मंदिर की छत में कमल के फूलों की आकृतियां तराशी गई हैं. यह एक हैरान करने वाली बात है क्योंकि लेबनान में कमल के फूल नहीं होते हैं. जबकि यहां भारतीय संस्कृति में कमल को आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है. भारत के किसी भी मंदिर में आपको कमल के फूल की आकृति जरूर मिलेगी.

    इस मंदिर की नींव में करीब 800 टन वजन वाले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. कहा जाता है कि उस समय के लोगों ने इन पत्थरों को ढोने और 50 फीट ऊंचे खंभों को खड़ा करने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया था. हालांकि चौंकाने वाली बात यह है कि पश्चिम एशिया में हाथी नहीं पाए जाते हैं. वे तो भारत में होते हैं.

    बालबेक म्यूजियम में एक सोलह कोणीय पत्थर भी रखा गया है, जिसे गुरु पूजा पत्थर कहते हैं. यह आध्यात्मिक प्रक्रिया ‘षोडशोपचार’ कहलाती है. माना जाता है कि इसकी जानकारी खुद आदियोगी ने दी थी. सद्गगुरु की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार बालबेक मंदिर के अलावा कहीं और हजारों साल पुराना गुरु पूजा पीठ मौजूद नहीं है. लेबनान के लोग अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करते हैं और इसे बनाने वालों के प्रति आदर भाव भी.

    एक रिपोर्ट के मुताबिक लेबनान में 10 हजार से ज्यादा हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    7:26 AM