कनाडा आखिर चाहता क्या है? खालिस्तानियों के हमदर्द ट्रूडो के मंसूबे पर भारत की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’.
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कनाडा के राजनयिकों को भारत से निकालने के बाद वहां के पीएम जस्टिन ट्रूडो बौखला गए हैं. लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने फिर से वही राग अलापा. वह खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारत पर आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने यह भी कह दिया कि भारत सरकार ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई जबकि भारत ने कई बार सबूत मांगे हैं.
भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले 24 घंटे के भीतर काफी खराब हो गए हैं. वैसे हालात पिछले एक साल से अच्छे नहीं थे. जब से अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई है, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो बेचैन हो उठे हैं. वह जांच किए बगैर ही भारत पर आरोप लगाने लगे. अब उन्होंने कनाडा में तैनात भारतीय राजनयिकों को निज्जर की हत्या की जांच से जोड़ने की कोशिश की तो भारत ने ‘जैसे को तैसा’ स्टाइल में करारा जवाब दिया. कनाडा ने सोमवार को छह भारतीय राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया था, कुछ घंटे के भीतर ही भारत ने भी ट्रूडो के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. यह सब ऐसे समय में हुआ है जब कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच लाओस में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से इतर संक्षिप्त बातचीत हुई थी. भारत ने अब ट्रूडो के मंसूबे पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर साफ संदेश दिया है कि देश के खिलाफ गतिविधियां अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. 10 प्वाइंट्स में पूरी बात समझिए.
१. अमेरिकी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने कनाडा के कुछ अधिकारियों के हवाले से खबर दी कि कनाडा ने सोमवार को छह भारतीय राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है जिनमें उच्चायुक्त संजय वर्मा और टोरंटो में वाणिज्य दूतावास के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं. बताया गया कि वर्मा और दूसरे अधिकारी अगले कुछ दिन में कनाडा से लौट आएंगे.
२. विदेश मंत्रालय ने देर शाम बयान जारी कर बताया कि भारत ने प्रभारी राजदूत व्हीलर्स और उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट सहित कनाडा के छह राजनयिकों को 19 अक्टूबर की रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने को कहा है. निष्कासित किए गए दूसरे राजनयिकों में मैरी कैथरीन जोली, इयान रॉस डेविड ट्राइट्स, एडम जेम्स चूइप्का और पाउला ओरजुएला (सभी प्रथम सचिव) शामिल हैं. भारत ने भारतीय उच्चायुक्त वर्मा के खिलाफ आरोपों को मनगढ़ंत और बेतुका बताते हुए इसे ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा बताया, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है.
३. भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित करने के साथ ही कनाडा से अपने उच्चायुक्त और ‘निशाना बनाए जा रहे’ दूसरे राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने की घोषणा की है. इससे पहले कनाडा के प्रभारी राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर्स को विदेश मंत्रालय में तलब कर स्पष्ट रूप से संदेश दिया गया था कि भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और दूसरे राजनयिकों और अधिकारियों को निराधार तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है.
४. क्या था मामला: विदेश मंत्रालय ने बताया कि कुछ घंटे पहले भारत को कनाडा से एक राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और दूसरे राजनयिक उस देश में एक मामले के सिलसिले में चल रही जांच की निगरानी में हैं. विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने कनाडा के प्रभारी राजदूत को तलब किया और उनसे कहा गया कि हिंसा और उग्रवाद के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाइयों ने भारतीय राजनयिकों और दूसरे अधिकारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. हमें उनकी सुरक्षा की मौजूदा कनाडा सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और निशाना बनाए जा रहे दूसरे राजनयिकों एवं अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है.
५. विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा, ‘भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में भारत आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है.’ पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था. निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज कर दिया.
६. कनाडा का दावा: प्रभारी राजदूत व्हीलर्स ने दिल्ली में मीडिया से कहा कि उनकी सरकार ने वही किया है जो भारत लंबे समय से कहता आ रहा है. उन्होंने कहा, ‘कनाडा ने भारत सरकार के एजेंटों और कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक के हत्यारों के बीच संबंधों के प्रामाणिक और खारिज नहीं किए जा सकने वाले साक्ष्य प्रदान किए हैं. अब समय आ गया है कि भारत अपने वादे पर खरा उतरे और उन आरोपों की जांच करे.’ व्हीलर्स ने कहा, ‘यह दोनों देशों के और हमारे देशों की जनता के हित में है कि इसकी तह में जाएं. कनाडा इस मामले में भारत के साथ सहयोग को तैयार है.’
७. भारत का जवाब: विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे और कनाडा सरकार ने तब से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ सबूतों का एक अंश भी साझा नहीं किया है.’ विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाह रहे थे.’ भारत का इशारा जाहिर तौर पर किसान आंदोलन के दौरान कनाडा के नेता के बयानों की ओर था. कनाडा के हालिया आरोपों पर विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इससे कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए यह भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रची गई रणनीति है.’
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