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    May 5, 2025

    आसमान से लड़ाकू विमान गिरने लगे तो पायलट क्या करता है? चंद लम्हों में लेने होते हैं बड़े-बड़े फैसले।

    1 min read
    😊

    विमान गिरने और क्रैश होने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं. हाल ही में आगरा में वायुसेना का एक लड़ाकू विमान क्रैश हो गया. हालांकि विमान में मौजूद दोनों पालयट ने कूदकर खुद की जान बचा ली. लेकिन प्लेन में कूदने से पहले भी पायलट्स को काफी ट्राई करना होता है. तो चलिए जानते हैं.

    उत्तर प्रदेश के आगरा में सोमवार को बड़ा प्लेन हादसा देखने को मिला. आगरा के कागारौल के सोनिगा गांव के पास वायुसेना का विमान क्रैश हो गया. हालांकि गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ. विमान खाली खेतों में गिरा था. बताया जा रहा है कि विमान खेतों में गिरा था. विमान गिरने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं. इस मौके पर लोगों के ज़हन में एक सवाल आ रहा है कि जब कोई लड़ाकू विमान गिरने लगता है तो पायलट क्या करता है और उसके पास क्या-क्या विकल्प होते हैं.

    हालांकि कई बार हादसा इतनी जल्दी में हो जाता कि चीजें हाथ में नहीं रहती और विमान बहुत तेजी के साथ पत्ते या फिर कागज के बनाए प्लेन की तरह नीचे की तरफ गिरने लगता है. ऐसे में विमान के अंदर मौजूद पायलट को सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए पैराशूट का इस्तेमाल करना होता है. सोमवार को आगरा में हुए हादसे में भी पायलट ने कूदकर अपनी जान बचाई. इसके अलावा जब लड़ाकू विमान गिरने लगता है, तो पायलट के पास कुछ खास कदम होते हैं जो उसे अपनी सुरक्षा और विमान को बचाने के लिए उठाने होते हैं. ये कदम विमान के मॉडल, स्थिति और पायलट की ट्रेनिंग पर निर्भर करते हैं.

    कूदने से पहले क्या-क्या करते है पायलट:
    १. विमान को नियंत्रण में लाना: सबसे पहले पायलट को विमान को कंट्रोल में लाने की कोशिश करनी होती है. अगर विमान की रफ्तार और दिशा ज्यादा अस्थिर हो गई है तो पायलट को इसे फिर से स्थिर करने के लिए टेक्निकल कदम उठाने पड़ते हैं. पायलट विमान के स्टेबलाइजर, एलेरॉन और रुदर का इस्तेमाल करके उसे संतुलित करने की कोशिश करता है.

    २. ऑटोपायलट को बंद करना: जिस समय विमान अनियंत्रित होता अगर उस समय ऑटोपायलट चालू है तो उसे बंद करना महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि पायलट को अपनी पूरी स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.

    ३. पिच और रोल को नियंत्रित करना: अगर विमान उलटने या गिरने की स्थिति में है तो पायलट को विमान के पिच (ऊपर या नीचे की दिशा) और रोल (विमान के धुरी पर घूमने) को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाना होता है.

    ४. इंजन की स्थिति जांचना: यदि इंजन की पावर घटने लगता है या इंजन फेल हो जाता है, तो पायलट को इंजन को फिर से चालू करने की कोशिश करनी होती है. अगर इंजन चालू नहीं हो पाता, तो पायलट को विमान को सुरक्षित स्थान पर लैंड करने की तैयारी करनी होती है.

    ५. इजेक्ट करने का निर्णय: अगर विमान का कंट्रोल पूरी तरह से खो जाता है या यदि कोई तकनीकी समस्या हो जिससे विमान को उड़ाना संभव न हो, तो पायलट के पास इजेक्ट (पैराशूट के माध्यम से बाहर कूदने) करने का विकल्प होता है. यह पायलट की जीवन रक्षा के लिए अंतिम उपाय होता है. इजेक्ट करने से पहले पायलट को सही तरीके से सीट बेल्ट खोलनी और यकीनी बनाना होता है कि उसने सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया है.

    ६. मेडे (Mayday) सिग्नल देना: यदि स्थिति गंभीर हो और विमान को बचाना मुश्किल हो तो पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल को “मेडे” सिग्नल भेजता है, जो कि एक आपातकालीन संदेश होता है, जिससे अन्य विमान और मदद के लिए संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जाता है. हालांकि इसको उपयोग यात्री विमान और शिप में अक्सर किया जाता है.

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