करगिल जंग में क्या वापस लाए? पीओके पर सुन उमर अब्दुल्ला बोले, चीन के कब्जे की बात क्यों नहीं होती?
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विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तानी पत्रकार के कश्मीर पर पूछे सवाल पर पीओके का जिक्र छेड़ दिया. इसके बाद देश ही नहीं, पाकिस्तान में भी हलचल तेज हो गई है. अब जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि पीओके वापस लेने से रोका किसने है. इसके साथ ही उन्होंने चीन का मुद्दा भी उछाल दिया.
जब से यूके में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पीओके पर साफ बोला है, पाकिस्तान के साथ-साथ भारत की सियासत भी गरमा गई है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में इसका जिक्र करते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री साहब ने कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला हिस्सा हम वापस लेकर आएंगे. किसने रोका? मुझे बताइए किसने रोका? हमने कहा कि मत लाइए? हम तो कहते हैं कि लाना है तो लाइए. आगे उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हम भाजपा सरकार के आभारी होंगे अगर वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के साथ-साथ चीन के अवैध कब्जे वाले हिस्से को भी वापस ले ले.
जयशंकर ने बुधवार को लंदन में ‘चैथम हाउस’ के एक सत्र में कहा था कि कश्मीर विवाद का समाधान पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के चुराए गए हिस्से की वापसी के बाद होगा.
सदन में भाजपा सदस्यों के भाषण का हवाला देते हुए सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि उरी सेक्टर में हाजी पीर छोड़ने की बात करते हुए कांग्रेस को निशाना बनाया जाता है. उन्होंने आगे कहा, ‘करगिल युद्ध के समय पीओके को वापस लेने का मौका था क्योंकि पाकिस्तान ने हम पर हमला किया था. अगर आप इतने इच्छुक होते तो आप उस हिस्से को वापस ले लेते लेकिन आपको किसने रोका? जब आप जम्मू-कश्मीर का नक्शा देखते हैं तो उसमें एक हिस्सा चीन में भी है लेकिन आप उस पर बात नहीं करते.’
उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) पर जम्मू-कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह का अपमान करने का आरोप लगाने के लिए भाजपा के नेताओं को जमकर कोसा. साथ ही भाजपा नेताओं को चुनौती दी कि वे एक भी ऐसा उदाहरण बताएं जब सत्तारूढ़ पार्टी या किसी अन्य कश्मीर-आधारित पार्टी ने डोगरा शासक का अपमान किया हो. उन्होंने कहा कि भाजपा ने मुस्लिम बहुल राज्य का विघटन कर उसका दर्जा घटाया है.
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा समाप्त करते हुए कहा कि जब भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार पीओके को वापस लाएगी तो उन्हें जम्मू-कश्मीर का वह हिस्सा भी वापस लाना चाहिए जो इस समय चीन के कब्जे में है. हम आपके आभारी रहेंगे.
उन्होंने कहा, ‘आपने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके महाराजा के नक्शे को विकृत कर दिया है और उनके कानूनों को समाप्त कर दिया है, विशेष रूप से भूमि और नौकरियों से संबंधित, जो लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए थे.’ अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा यह कहकर अलगाव को उचित ठहरा रही है कि यह लद्दाख के लोगों की लंबे समय से लंबित मांग थी.
CM ने कहा, ‘क्या आपने उनसे पूछा है? क्या आपने पता लगाने की कोशिश की है?’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘करगिल के लोग पहले दिन से ही इस फैसले के खिलाफ थे. लद्दाख के बौद्धों ने मिठाई बांटी और आज वे मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में उनकी स्थिति बेहतर थी. वे अपने अधिकारों को वापस पाने के लिए लेह से दिल्ली तक पैदल चले.’ उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति बेहतर है क्योंकि यदि कोई पहाड़ी राज्य में उद्योग या होटल स्थापित करता है तो उसे 70 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों को देनी होती हैं.
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