नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 22, 2025

    ह‍ितों के टकराव को लेकर चिली के तानाशाह अगस्‍तो पिनोशे के मामले से सेबी क्‍या सीख सकती है?

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    कुछ द‍िन पहले ही हिंडनबर्ग र‍िसर्च की तरफ से दावा क‍िया गया क‍ि सेबी चीफ माधुबी पुरी बुच के अडानी ग्रुप के साथ कारोबारी र‍िश्‍ते हैं. इसके बाद यह कहा गया क‍ि अडानी ग्रुप पर प‍िछले द‍िनों लगे आरोपों की जांच में बुच शाम‍िल थीं, जबक‍ि उन्‍हें खुद को इस जांच से अलग कर लेना चाह‍िए था.

    हिंडनबर्ग की तरफ से हाल ही में सेबी चीफ मधुबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पत‍ि धवल बुच (Dhaval Buch) पर आरोप लगाया गया क‍ि उनके अडानी ग्रुप के साथ कारोबारी र‍िश्‍ते हैं. इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया क‍ि उन्होंने अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे गड़बड़ी और धोखाधड़ी के आरोपों की सही तरीके से जांच नहीं होने दी. हालांक‍ि इन आरोपों पर अडानी ग्रुप और मधुबी पुरी बुच ने बयान जारी कर इस तरह के आरोपों को निराधार बताया है. अमेर‍िकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की तरफ से दावा क‍िया गया क‍ि मधुबी पुरी बुच और उनके पति अडानी ग्रुप (Adani Group) के ऑफशोर फंड में विदेश में पैसा लगाते थे.

    अडानी मामले में जांच पर असर पड़ने की संभावना
    इस मामले में कहा जा रहा है माधुबी पुरी बुच के अडानी ग्रुप के साथ कारोबारी र‍िश्‍ते होने से प‍िछले द‍िनों हुई जांच पर असर पड़ने की संभावना है. मधुबी पुरी बुच पर लगे आरोप चिली के तानाशाह अगस्‍तो पिनोशे (Augusto Pinochet) मामले से काफी अलग हैं. लेक‍िन इससे सेबी को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. पिनोशे पर लोगों के साथ बुरा व्यवहार करने का आरोप था. लेकिन पिनोशे और सेबी प्रमुख के मामले में कुछ समानता जरूर है. 1998 में पिनोशे के प्रत्यर्पण मामले से जो नियम बने थे वे आज सेबी के संकट से जुड़े हुए हैं.

    ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में फैसले को बदला गया
    साल 1998 की बात है, उस समय स्पेन के जज बाल्टासर गार्सोन के कहने पर पिनोशे को ब्रिटेन में गिरफ्तार क‍िया गया. मामला ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स तक पहुंचा. लेक‍िन वहां पर फैसले को बदल द‍िया गया. इस फैसले को बदलने का कारण यह रहा क‍ि जानकारी में सामने आया क‍ि मामले से जुड़े एक जज, लॉर्ड हॉफमैन, मानवाधिकारों उल्लंघन के लिए काम करने वाली संस्‍था एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े थे. बाद में यह भी पता चला कि लॉर्ड हॉफमैन की पत्‍नी भी एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़ी हुई थीं और वह खुद भी संगठन के डायरेक्‍टर और चेयरमैन थे.

    सुनवाई दोबारा करने का आदेश द‍िया गया
    इसके बाद ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सभी चार जजों ने कहा कि हॉफमैन इस मामले में शामिल नहीं हो सकते. इससे ऐसा लगता था कि उनका हित इस मामले में भी जुड़ा हुआ है. यही कारण रहा क‍ि मामले की सुनवाई दोबारा करने का आदेश द‍िया गया. इस घटना से यह सामने आता है क‍ि यद‍ि किसी जज को ऐसा लगता है कि वह किसी मामले में निष्पक्ष नहीं हो सकता, भले ही वह वास्तव में निष्पक्ष ही क्यों न हो तो उसे उस मामले में फैसला नहीं सुनाना चाहिए.

    अडानी मामले से बुच ने खुद को अलग नहीं किया!
    उपरोक्‍त नियम का मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने ही मामले का फैसला नहीं कर सकता. मधुबी पुरी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है. लेकिन उन्होंने अडानी के मामले से खुद को अलग नहीं किया है. इससे लोगों को लगता है कि सेबी सही तरीके से काम नहीं कर रही है. यह स्थिति पिनोचेत के मामले जैसी ही है, जहां पर एक जज को इसलिए हटा दिया गया था क्योंकि ऐसा लग रहा था कि उसका हित भी संबंध‍ित मामले में जुड़ा हुआ है.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    3:27 AM