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    April 22, 2025

    9 महीने में पहुंचेंगे मंगल ग्रह, रहेंगे कहां? मुश्किल में घरवालों से कितनी देर में बात होगी… 5 बड़े सवालों के जवाब जानिए।

    1 min read
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    बीते कुछ सालों में दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के लाल ग्रह यानी मंगल पर जीवन और बसावट को लेकर काफी गंभीरता दिखाई है. स्पेस टूरिज्म का नया कॉन्सेप्ट भी धड़ल्ले से कहा-सुना जाने लगा है. इसके साथ ही लोगों के मन में मंगल पर संभवित लाइफ को लेकर कयी सवाल भी उठने लगे हैं.

    भारत और दुनिया के दूसरे देशों में मंगल ग्रह को लेकर हाल के वर्षों में बढ़े अंतरिक्ष मिशनों के बाद लोगों को यकीन होने लगा है कि जल्द ही वहां जिंदगी की शुरुआत हो सकती है. साइंस फिक्शन की तरह देखा जाने वाली बात को संभव बनाने में दुनिया के कई देशों की सरकार, अंतरिक्ष एजेंसी, वैज्ञानिक और बड़े उद्दमी भी लगे हुए हैं. इस बात पर लोग गंभीर होने लगे हैं कि हमारे सौरमंडल के लाल ग्रह पर आबादी की बसावट होगी.

    अंतरिक्ष में मंगल ग्रह पर जीवन की तैयारी, हालातों का बारीकी से जायजा
    टेक्सस के शहर ह्यूस्टन में स्थित नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में मंगल ग्रह का मॉडल बनाकर और उस पर जीवन को लेकर साल भर के लंबे मिशन और वहां की लंबी यात्रा के बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने उन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की है, जो अंतरिक्ष प्रेमी अक्सर पूछते हैं. मंगल पर जीवन को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उपजते रहते हैं. आइए, उनमें से पांच सबसे बड़े सवाल और उनके वैज्ञानिक जवाब जानते हैं.

    1. धरती से मंगल ग्रह पर कैसे पहुंचेंगे, इसके कितना वक्त लगेगा ?
    जवाब- पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर होने के कारण मंगल ग्रह तक स्पेस शटल के जरिए पहुंचने में काफी वक्त लग सकता है. वैज्ञानिकों के ताजा निष्कर्ष के मुताबिक, मंगल ग्रह की एक तरफ की यात्रा लगभग नौ माह में पूरी होती है. इतनी लंबी अंतरिक्ष यात्रा में भाग लेने वालों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर साइटिंस्ट और ज्यादा पता लगा रहे हैं.

    2. मंगल ग्रह पर पहुंच गए तो कहां रहेंगे, कैसा होगा घर या होटल ?
    जवाब- घर या होटल के लिए जरूरी साजों सामान को पृथ्वी से मंगल तक ले जाना बेहद खर्चीला, उबाऊ और अव्यवहारिक काम हो सकता है. इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले सामानों की मदद से ही आवास का इंतजाम करना होगा. वैज्ञानिकों की राय है कि मंगल पर निर्माण का एक तरीका 3D प्रिंटर का इस्तेमाल है. मंगल पर जाने वालों को वहां निर्माण के लिए पहले से उपलब्ध सामग्री और मिट्टी का ही इस्तेमाल करना पड़ेगा.

    3. मुश्किल घड़ी में पृथ्वी पर परिवार से कैसे होगा संपर्क, कितना समय लगेगा ?
    जवाब- मंगल ग्रह पर कोई बड़ी समस्या होने पर पृथ्वी से संपर्क करने में 22 मिनट लगेंगे. इसके लिए स्पेस एजेंसी के जरिए ही संपर्क साधना होगा. यानी कम्यूनिकेशन या संपर्क साधने में देरी की आशंका है. मंगल मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर मंगल पर मौजूद लोग पृथ्वी पर मौजूद मिशन कंट्रोल से संपर्क करने की कोशिश करेंगे तो बात पहुंचाने में कम से कम 22 मिनट लगेंगे. इसका जवाब आने में भी 22 मिनट लगेंगे. यानी दोनों तरफ से संवाद में लगभग 45 मिनट लग जाएंगे. देरी के अलावा कई बार उपकरणों में गड़बड़ी से ऑडियो संपर्क की नाकामी भी हो सकती है.

    4. मंगल ग्रह पर क्या खाएंगे, कैसे रहेंगे, बीमारी में इलाज कहां होगा ?
    जवाब- मंगल ग्रह पर लाइफ स्टाइल को डेवलप करने में कई साल लग सकते हैं. मंगल के जलवायु में सांस नहीं ली जा सकती. इसलिए ऑक्सीजन का इंतजाम साथ रखना होगा. पृथ्वी की तुलना में कम गुरुत्वाकर्षण और अधिक विकिरण (रेडिएशन) से बचने का उपाय करने के बाद ही लाल ग्रह पर बसना संभव हो पाएगा. वहां खाने में या तो अंतरिक्ष यात्रियों को दिया जाने वाला न्यूट्रिशंस कैप्सूल या फिर टिन पैक्ड फूड या ऐसी खुराक जो मंगल ग्रह पर उगाई-बनाई जा सकती हो ही मिल पाएगी.

    लंबे समय तक अपने लोगों से दूर बिना किसी संवाद या विवाद से मानसिक स्वास्थ्य को तमाम भौगोलिक दिक्कतों के बीच शारीरिक स्वास्थ्य को लगातार मॉनीटर करना, जरूरी एक्सरसाइज करना होगा. तबीयत खराब होने पर विशेष हालातों का सामना करने की तैयारी की जा रही है.

    5. मंगल ग्रह पर क्या पहनेंगे और मुश्किल हालातों से कैसे जूझेंगे ?
    जवाब – मंगल ग्रह पर जलवायु, गुरुत्वाकर्षण, रेडिएशन, भौगोलिक विशेषताओं वगैरह के चलते खास सेटअप से बाहर आने पर अंतरिक्ष यात्रियों की ड्रेस से मिलती-जुलती ड्रेस पहननी होगी. इसमें ऑक्सीजन मास्क और मिट्टी से बचने के लिए घुटनों तक लंबे सेफ्टी जूते भी शामिल हैं. जॉनसन स्पेस सेंटर के ‘नासा’ के परफॉरर्मेंस लैबोरेट्री की प्रमुख सुज़ैन बेल का कहना है कि मंगल के मुश्किल हालात के बारे में बिल्कुल सही जानकारी हासिल करना फिलहाल मुमकिन नहीं है. इसलिए मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्री तक को भेजने से पहले कई जरूरी और लंबी ट्रेनिंग करवानी पड़ती है. इस प्रोग्राम को ही आगे भी जारी रखना होगा.

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