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    April 16, 2025

    चिंचपाडा के गलीयों में ठेलेपर सामान बेचनेवाले विजय ने हजारो परिवारों का सपना साकार करने का साहस जुटायाॅ।  

    1 min read
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    CORPORATE LEGACY

    मुसीबते इन्सान को अच्छा या बुरा बनाती है, बस अपनी सोच और विचारों पर निर्भर होता है की हमे सफलता कैसे हासिल करनी है।

    चिंचपाडा एरीया के झोपडपट्टी में 10बाय10 के रूम में 6 सदस्यों का परिवार रेहता था , मातापीता दो बहने, 1 छोटा भाई  उस समय पीताजी आईस्क्रीम बनाकर हाथगाडी पर बेचा करते थे , पिताजी पढे लिखे नही थे ,और जिम्मेंदार भी नही थे।  इसलिए घर का बडा बेटा होने के नाते बचपनसेही घरका खर्च उठाने के लिए पापा जैसे ठेला लेकर अलग अलग चिजे वे बेचने लगे आईस्क्रीम, बल्लीमलाई, पानीपुरी, वडापाव, फल का दुकान, सोडा-शरबत, नारीयल पानी, चाय, तिलगुड, राखी, पटाखे, फूल और फूलों का हार, जैसी कई चीजे वे बेचा करते थे  वे सिजन के अनुसार काम कीया करते,  वो केहते है ना कोई बच्चा गुब्बारा खरीदकर खुश होता हेै तो कोई बच्चा उसे बेचकर खुष होता है ,उन्हें त्योहार मनाने मे खुशी नही मिलती थी, बचपन में विजय जी को त्योहारों मे सामान बेचने में काफी आनंद आता था।
    स्कुल की छुट्टीयों मे 2 महिनों तक वे हाॅटेल का काम ढुंडा करते थे  हाॅटेल मे खानेपीने के साथ 800 रूपए पगार मिलता था ,उन्होंने कई मुसिबतो का सामना कीया, नवीमुंबई से कल्याण तक का सफर ठेला चलाकर वे किया करते थे, 8 घंटों का सफर तैय करने के बाद, वे बुआ के घर पहुॅचकर वहाॅ कटहल बेचने के लिए सुबह 3 बजे वाशी मार्केट मे निकल जाते।
    उन्होंने 10 वी तक की पढाई हिंदी माध्यम से सरकारी स्कुल में की, स्कुल के बाद ठेले पर अलग अलग चिजे बेचने का काम वे किया करते उस समय सायकल खरीदनेकी हैसीयत नही थी  तो पुरानी सायकल खरीद ने के लिए एक सेठ के दुकान पर काम करने लगे, एक सेठ के पास सुबह 5 से 7 वे काम किया करते! उस समय घर घर, दुकान दुकान दूध पहुॅचाने का काम वे करते थे ,और दुसरे सेठ के पास सुबह 8 से 10 बजेतक काम किया करते, और दुकान दुकान ब्रेड पहुॅंचाया करते ,दो साल तक उन्होंने इमानदारी से दुध बेचने का काम कीया, उन्हें उसवक्त 600 रूपए तन्खा मिलती थी, उन्होंने 2 सालतक लगातार काम किया  उसके बाद उन्होंने 3000 महिने के पेमेंटपर सुबह 5 बजे बाईक और कार साफ करने का काम भी शुरू कीया।
    उसवक्त पीताजी के लिए उन्हें चिता होती थी, वे चाहते थे की पीताजी को धंदा करने के लिए एक अच्छी जगह मिल जाए ताकी उन्हे यहाॅ वहाॅ भटकना ना पडे लेकीन ना तो बडे लोगों से पेहचान थी और नाही पैसे थे, तो म्युनीसीपालीटी की गाडी से बचकर वे गली गली फेरी कीया करते, क्योकी जीसदिन म्युनीसीपालीटीली की गाडी उनका सामान ले जाते उस दिन के बाद दो तीन दिनों तक उनके घर चुॅंल्हा नही जलता था ,भुके पेट ही सबको गुजारा करना पडता था, चिंचपाडा एरीया में आएदीन गाली गलौच, झगडे होते रहते थे  ये सब सुनने की सहने के उन्हे आदत हो चुकी थी।
    घर मे टि.व्ही., फ्रिज, बेड, वाॅशिंग मशिन, जैसी कोई चीज नही थी, तब उनकी माॅं मजाक में उन्हे कहती थी, तेरी शाॅंदी के बाद ये सारी चीजे तुम्हे मिल जायेगी बेटा, पानी के लीए लाईन, राशन के लिए लाईन, और उस वक्त पानी या राशन पा लेना यानी जंग जीत लेने जैसा था, वाॅशरूम के लिए लाईन, बिमारी के समय सरकारी अस्पताल मे इलाज करने के लिए लाईन, कभी कभी हाॅस्पीटल मे बिमारी की वजह से ऐडमिट होना पडता था तो उन्हे खुशी होती थी , ताकी देखनेवाले कम से कम एक फल तो लेकर आएंगे और उसी बहाने उन्हें फल खाने को मिल जाएगा, उन्हें बचपन मे फल खाने की बोहत चाहत होती थी, वे उनके दोस्त पिंटू के साथ वाशी एपीएमसी मार्केट जाकर दागीवाले फल उठा लाते और खाते थे |
    बचपन से ही काम करने की आदत और मजबुरी थी इसलीए उनकी पढाई ठिक से नही हो पाती और उन्हे कईबार फेल होना पडता ,लेकीन 10 वी मे उन्हें अच्छे मार्कस मीले, तो आगे काॅलेज की पढाई करनी थी लेकीन फिस ना भरने की वजह से उन्हे काॅलेज से निकाल दिया गया, उन्होंने पैसौ की किल्लत की वजह से सबको बता रखा था कोई भी काम हो वे करने के लिए तैयार थे, तो उन्हे कभी पेंटीग, तो कभी सेंट्रीग का काम मिलने लगा, कभी इस्त्री करना तो कभी कोई और काम उन्हे करना पडता, ऐरोली स्टेशन जब बन रहा था तब वे मजदूरी का काम वहाॅ कीया करते थे, उसवक्त जब काॅन्ट्रॅक्टर भाग गया तो उन्हे पैसे नही मिल पाए तो उन्हे बोहत तकलिफ हुई थी, अच्छा खाना मिलजाए इसलीए वे कभी कॅटरर्स के साथ बर्तन धोने के काम किया करते और शादी समारोह मे खाने का भरपूर आनंद लेते, गणपती उत्सव मे वे कभी रातभर चाय बेचते तो उन्हे 300 रूपये मिल जाते, बस सवाल ये था की कीसी एक क्षेत्र मे उन्हे सफलता मिलती तो दरबदर भटकना नही पडता।
    उन्हें फौज मे जाने का जुनन था, गरीबी से अच्छा है की वे देश की सेवा कर ले! और देश के काम आ जाए, और साथ ही अपने परिवार की आर्थिक स्थिती मे सुधार ला पाए! तो उन्होंने काम से समय निकालकर फिजीकल तैयारी करना शुरू कीया, और उनके गुरू पांडूरंग कदम से कराटे की शिक्षा लेना प्रारंभ कीया! कडी मेहनत और लगन से उन्होंने अलिबाम में फौज की भर्ती मे फिजीकल और मेडीकल की परिक्षा पास कर ली, लेकीन डोमेसील सर्टिफिकेट की वजह से उनका सपना फिर एकबार टूट गया।
    उसवक्त तकलिफ तो बोहत हुई लेकीन खुद को समझाया की शायद अपने नसिब मे कुछ और ही लिखा हो, ये सोचकर वे आगे बढे, उन्हे अपनी दोनों बहनों की शादी करनी थी ,उनहोने पैसे जुटाने थे , उसवक्त पिताजी चाहते थे की वे फुलटाईम उन्हींकी तरह ठेलेपर सामान बेचे, लेकीन उन्हें ये मंजूर नही था ,वे चाहते थे की वे केवल सिजन के अनुसार धंदा करे, ताकी बाकी समय पढाई के लिए दे पाए, जब वे पिताजी का चिल्लाना और झगडा करने से तंग आ गए ता घर छोडकर भाग निकले, 5 दिनों के बाद उनके दोस्तोंने उन्हे ढुंड निकाला और फिर घरपर छोड दिया, तब से पिताजीने चिल्लाना बंद कर दिया और उन्हे उनके हिसाब से काम करने के लिए अनुमती दी।

    उसके बाद उन्होंने सिजन के हिसाब से धंदा करना शुरू कीया और दो तीन घंटे पढाई करना और बचे हुए समय में टयुशन लेने का काम उन्होंने शुरू कीया , और जब टाईम मिलता तो एक सेठ से आईस्क्रीम लेकर वे बेचने लगते , 50 प्रतिशत मुनाफे पर वे काम करने लगे , उस समय उनका पढाना बच्चो को आसान लगने लगा और बच्चो को अच्छे मार्कस मिलने लगे, खुद के लिए नही बल्की उन्हे पढाने के लिए काफी पढाई करनी पडी, शायद इसीलीए कहते है ज्ञान देने से ज्ञान बढता है।
    मुसिबतों से लढकर जो आगे निकलता है वही इन्सान सफलता की राहपर चल पाता है , 12 वी की पढाई के बाद एम.ए. एम.फिल तक की पढाई उन्होंने मुंबई युनिर्वसीटी से डिस्टंन्स एज्युकेशन लेकर पुरी की, उस बीच उनके दोस्त शैलेश पांडेय, संतोष यादव, जग्गा अशोक यादव, जैसे दोस्तो के सहयोग से उन्होंने टयुशन को बडे लेव्हलपर बढाने का प्रयास कीया, उस समय उनके दोस्त शैलेश के साथ उन्होंने सांझेदारी में टयुशन क्लास शुरू कीया , और कुछ स्कुलों में जाकर पढाना शुरू कीया, बच्चों को पढाने का तरीका बोहत आसान लगने लगा और उनके क्लास में बच्चो की संख्या बढने लगी।
    उनकी शादी देरसे हुई क्योकी उनका घर मात्र 10 बाय 10 का था जहाॅ वो बिवी को लाकर नही रख पाते , उनकी शादी एमकाॅम पढीलीखी लडकी से हुई! क्योकी उनके घरवालों ने लडके की मेहनत और इमानदारी देखी, और शादीमें टि.व्ही., फ्रिज, वाॅशींग मशीन जैसी अन्य कई चीजें मीली वो रखने के लीए अच्छा घरतक नही था तब उन्होंने झोपडपट्टी से निकलकर अच्छे एरीया में रेंट पर रहने लगे ,वाईफ अच्छी या बुरी नही होती उसके साथ आप कैसे व्यवहार करते हो उसपर उसकी अच्छाई या बुराई निर्भर होती है।
    शादी के बाद उनकी पत्नी और वे दोनों क्लासेस चलाने लगे , उसकेबाद उन्होंने क्लास कीसी और को सौपकर इन्श्युरंन्स और इन्वेस्टमेंट में काम शुरू कीया, 2015 में उन्होंने एक छोटीसी कंपनी की स्थापना की, काॅर्पोरेट लिगसी नाम से जो कंपनी उन्होंने शुरू की उसमें एल.आय.सी, टाटा, न्यु,इंडीया, स्टार और एम.पी जैसे बडे बडे कंपनीयोंसे असोसीएट करके काम आगे बढाया! लेकीन सफलता के लिए पती पत्नी दोनों ने अपने अपने क्षेत्र की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली! आय.आय.ओ.ई। एल.आय.एम.आर.जी जैसी नॅशनल इंटरनॅशनल ट्रेनिंग लेना शुरू कीया , खुद का नाॅलेज और स्कील उन्होंने डेव्हलप कीया , उन्होंने सिखने के लिए लाखो रूपये इन्वेस्ट कीए , जिसके लिए उनकी पत्नी ने उनका काफी साथ दिया और उनके आधे गहने गिरवी रख दिए, कुछ गहने बेच दिए, कुछ पैसे उधार या कुछ मैके से लाकर उन्होंने पैसे इन्वेस्ट कीए।
    उसके बाद वे दोनों ही सिखते गए और जिवन मे आगे बढते गए, वे अपने क्षेत्र की बेहतर से बेहतर जानकारी जुॅटाना चाहते है, ताकी अपने ग्राहकों को सही दिशा दे सके और उन्हें अच्छे से अच्छा फायदा दिलाने की कोशीष कर सके।
    जैसी संगत वैसी रंगत , अच्छे कोर्स में, अच्छे माहोल मे, अच्छे लोग मिलते गए, और उन्होंने लाईफ का एक थंबरूल बना लिया इंकम का 10 प्रतीशत ट्रेनिंग और 10 प्रतिशत चॅरीटी के लीए खर्च करना शुरू कीया।
    जिवन मे अधुरे सपने भी हमे आगे बढने की प्रेरणा दे जाते है, एकबार उनके गुरू ने कहा यदी आप फौज मे भरती होकर देशसेवा करना चाहते थे तो आपके क्लायंट को कुछ एैसा दे जीससे आपको देश सेवा का समाधान मिले, तब से उन्होंने अपने ग्राहकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने का प्रयास उन्होने कीया और काफी परिवारों को लाभ दिलाया।
    विजय जी जब अपने दोस्त से पुछा की अपनी लाईफ पहले हे बोहत अच्छी हो चुकी है, तो अब पैसे के पिछे क्यो भागना तब उनके दोस्त ने बोहत अच्छा जवाब दिया जो उनके जिवन का उद्देश्य बन गया , उन्होंने कहाॅ की यदी ढेरसारा पैसा बुरे व्यक्ती के पास हो तो वो उन पैसो का उपयोग बुरे कामों के लिए करेगा और यही पैसा यदी अच्छे व्यक्ती के पास होगा तो वो पैसा अच्छे कामों में लगाकर लोगों का भलाही कर पाएगा , यही बात ध्यान मे रखते हुए अपने कदमों को सफलता की राह पर आगे बढाते हुए वे लोगों का कल्याण करने के हेतू से बिझनेस मे आगे सफलता हासाील कर पा रहे है, हम उन्हें उनकी सफलता के लिए रिसील की और से दिल से सलाम करते है।
                                                                                                                                                                                                                                                          लेखक: सचिन आर जाधव

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