Varanasi: गंगा में नहर निर्माण व बालू उठान में NGT ने मांगा स्पष्टीकरण, अपर मुख्य सचिव को हाजिर होने का आदेश।
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वाराणसी में गंगा पार रेती पर नहर निर्माण व बालू उठान के मामले में एनजीटी ने सख्त रूख अख्तियार किया है। असि घाट से राजघाट के दूसरे छोर पर वर्ष 2021 में गंगा नदी में 5.5 किलोमीटर लंबी और 45 मीटर चौड़ी व सात मीटर गहरी नहर बनाई गई थी।
वाराणसी में गंगा पार रेती पर नहर निर्माण व बालू उठान के मामले में एनजीटी ने सख्त रूख अख्तियार किया है। 10 जनवरी को हुई विशेष सुनवाई में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सिंचाई विभाग के अपर मुख्य सचिव को एनजीटी के सामने हाजिर होने का आदेश दिया है। वहीं नमामि गंगे के निदेशक ने एनजीटी को भेजी गई रिपोर्ट में कहा है कि नहर निर्माण के लिए नमामि गंगे से किसी तरह की सहमति नहीं ली गई थी।
10 जनवरी को सचिव, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के रिपोर्ट पर विचार के लिए विशेष सुनवाई रखी गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने सुनवाई के दौरान कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी ) जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक बगैर जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट व बगैर पर्यावरण प्रभाव आकलन के जिला प्रशासन व राज्य सरकार ने गंगा नदी में नहर खोदी।
बाढ़ में सब कुछ बह जाने के बाद भी अंधाधुंध अवैध खनन बालू उठाव के नाम पर किया गया। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व ए सेंथिल वेल (पर्यावरण विशेषज्ञ सदस्य) की दो सदस्यीय खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आदेश में कहा है कि रिपोर्ट के अध्ययन से हमें पता चला है कि ड्रेजिंग (निकर्षण) के नाम पर बालू उठाव हुआ।
न्यायाधीकरण (एनजीटी) ने अपने आदेश में आगे कहा है कि क्या कोई अध्ययन हुआ की कितनी ड्रेजिंग (निकर्षण) करनी है अथवा ड्रेजिंग के नाम पर बालू खनन किया गया, जिससे ढाई करोड़ की आमदनी दिखाई गई है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि चूंकि सिंचाई विभाग के माध्यम से पूरे कार्य को कराया जा रहा था। ऐसे में अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव सिंचाई विभाग स्पष्टीकरण व विस्तृत रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से एनजीटी के समक्ष 14 फरवरी को उपस्थित हों।
नमामि गंगे जल शक्ति मंत्रलाय के निदेशक ने पांच जनवरी को एनजीटी को अपनी रिपोर्ट भेज दी थी। इसमें कहा गया था कि नमामि गंगे से किसी प्रकार कि सहमति नहर निर्माण के लिए नहीं ली गई थी। नमामि गंगे के निदेशक के माध्यम से एनजीटी को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिव, जल शक्ति मंत्रालय की अगुवाई में उच्च स्तरीय बैठक में निष्कर्ष निकला कि नहर निर्माण व बालू उठाव मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नमामि गंगे की आवश्यक सहमति भी नहीं ली गई। सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश दीक्षित ने एनजीटी में एक फरवरी 2022 को याचिका दायर की थी।
नदी में समा गई नहर
असि घाट से राजघाट के दूसरे छोर पर वर्ष 2021 में गंगा नदी में 5.5 किलोमीटर लंबी और 45 मीटर चौड़ी व सात मीटर गहरी नहर बनाई गई थी। नहर अगस्त से सितंबर तक गंगा नदी की बाढ़ में सपाट हो गई।
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