अमेरिकी कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को दिया झटका! इंडियन स्टूडेंट का वीजा रद्द करने पर सुनाया ये फैसला।
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भारतीय छात्र का अमेरिका में वीजा रद्द किए जाने पर अमेरिकी संघीय न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. आइए जानते हैं कोर्ट ने क्या कुछ कहा है.
भारतीय मूल के 21 वर्षीय छात्र कृष लाल इस्सरदासानी अमेरिका के विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका वीजा से जुड़ा एक मामला काफी सुर्खियों में था. ट्रंप प्रशासन ने इस्सरदासानी का F1 वीजा 4 अप्रैल को अचानक रद्द कर दिया था. उन्हें SEVIS डेटाबेस से बाहर कर दिया गया. यह प्रक्रिया इतनी अचानक और गुप्त तरीके से की गई की उन्हें अपनी बात कहने तक का कोई मौका नहीं दिया गया.
मामले की गंभीरता को देखते हुए मैडिसन विश्वविद्यालय की वकील शबनम लोटफी ने फौरन अदालत का रुख किया. उन्होंने एक अस्थायी रोक (Temporary Restraining Order) की याचिका दायर की. अदालत ने 15 अप्रैल को याचिका को स्वीकार किया. कोर्ट ने अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (Department of Homeland Security) को छात्र को हिरासत में लेने और उसका वीजा रद्द करने से रोक दिया.
अदालत का फैसला और इसके प्रभाव
अमेरिकी संघीय न्यायाधीश विलियम कॉनले ने इस मामले में स्पष्ट किया कि इस्सरदासानी को किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है. वीजा रद्द किए जाने की प्रक्रिया उचित नहीं थी. इस्सरदासानी की दलीलें पर्याप्त थीं और उन्हें सफलता मिलनी तय थी. अदालत ने अगली सुनवाई 28 अप्रैल के लिए निर्धारित की है और छात्र को अमेरिका में रहने की अनुमति दी.
इस फैसले का महत्व सिर्फ एक छात्र तक सीमित नहीं है. वकील शबनम लोटफी के अनुसार यह मामला उन 1300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़ी जीत साबित हो सकता है, जिनके SEVIS रिकॉर्ड बिना किसी कारण या चेतावनी के अचानक रद्द कर दिए गए थे. लोटफी की सहयोगी वेरोनिका सुस्टिक ने एक बयान में कहा कि सरकार ने निर्दोष छात्रों की स्थिति को समझा. हमें खुशी है कि न्यायालय ने इस अन्याय को पहचाना.
SEVIS सिस्टम और वीजा रद्दीकरण की प्रक्रिया को लेकर उठते सवाल
Student and Exchange Visitor Information System (SEVIS) एक विशेष डाटाबेस है, जो अमेरिका में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जानकारी को संरक्षित और नियंत्रित करता है. इसमें किसी भी रिकॉर्ड का परिवर्तन या वीजा रद्दीकरण बहुत संवेदनशील होता है. इसको कानूनी प्रक्रिया के तहत किया जाना चाहिए. इस मामले में बिना किसी चेतावनी या सुनवाई का अवसर दिए बिना ही इस्सरदासानी का रिकॉर्ड हटा दिया गया था. यह प्रक्रिया न केवल गलत थी, बल्कि यह हजारों अन्य छात्रों के लिए भी डर का कारण बन गई है. वीजा रद्द होने का अर्थ है कि छात्र को तुरंत देश छोड़ना पड़ सकता है, जिससे उसकी पढ़ाई, भविष्य और करियर पर गंभीर असर पड़ सकता है.
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अधिकार और उम्मीद की नई किरण
इस मामले ने एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश किया है कि कैसे छात्र अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सहारा लिया जा सकता है. जब छात्रों के रिकॉर्ड बिना चेतावनी के हटाए जाते हैं, तब उनके पास कानूनी विकल्प बचे होने चाहिए. यह केस दिखाता है कि अमेरिका की न्याय प्रणाली अभी भी निष्पक्षता और मानवाधिकारों की रक्षा में विश्वास रखती है.
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