US: अमेरिका ने कहा- रूस से संबंध खत्म नहीं करेगा भारत, उम्मीद है कि यूक्रेन विवाद समाप्त करने की कोशिश करे |
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अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की आगामी यात्रा के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की। यूएनजीए के प्रस्ताव में मतदान से भारत के दूर रहने के सवाल पर लू ने कहा कि भारत का रूस के साथ लंबे और मजबूत संबंध रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि वे जल्द ही उन संबंधों को समाप्त करने जा रहे हैं, लेकिन हम उनसे इस संघर्ष में उनकी भूमिका के बारे में बात कर रहे हैं।
दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर भारत के रुख पर अमेरिकी दृष्टिकोण व्यक्त किया। शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को नहीं लगता है कि भारत जल्द ही रूस के साथ संबंध समाप्त करने जा रहा है, लेकिन अमेरिका आशा करता है कि भारत यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस के साथ अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा।
शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की आगामी यात्रा के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में रूस-यूक्रेन संघर्ष पर लाए गए प्रस्ताव में मतदान से दूर रहने वाले 32 देशों में से तीन देशों के शामिल होने के सवाल के पर लू ने जवाब दिया कि यह हमारे लिए स्पष्ट है कि मध्य एशिया के देशों और भारत के रूस के साथ लंबे और मजबूत संबंध रहे हैं। लू ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वे जल्द ही उन संबंधों को समाप्त करने जा रहे हैं, लेकिन हम उनसे इस संघर्ष में उनकी भूमिका के बारे में बात कर रहे हैं।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने का फैसला किया था। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप यूक्रेन में जल्द से जल्द व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। यूक्रेन के साथ अमेरिका के रुख की फिर से पुष्टि करते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल्य के सिद्धांतों को परिभाषित करने के लिए एक साथ आएं।
लू ने जोर देकर कहा कि हम यूक्रेन पर हर दिन एक ही दृष्टिकोण साझा नहीं कर सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम इस लक्ष्य को साझा करते हैं कि यह संघर्ष जल्द समाप्त हो और यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के आधार पर समाप्त हो। शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि यह हमारी आशा है कि भारत इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस के साथ उस प्रभाव का उपयोग करेगा। गौरतलब है कि भारत ने एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन एक मार्च को जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली की यात्रा करेंगे। यह बैठक बहुपक्षवाद को मजबूत करने और खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, सतत विकास, नशीले पदार्थों का मुकाबला करने, वैश्विक स्वास्थ्य, मानवीय सहायता और आपदा राहत, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर सहयोग को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। बयान में आगे कहा गया था कि ब्लिंकन हमारी मजबूत साझेदारी की पुष्टि करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों और नागरिक समाज के संगठनों से मुलाकात करेंगे।
मार्च में होने वाली आगामी विदेश मंत्रियों की बैठक जी-20 की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक है। जाहिर है कि यूक्रेन युद्ध को एक साल पूरे हो गए हैं और इस दौरान यूक्रेन ने वैश्विक शासन के साथ कई चुनौतियों को साझा किया है। ऐसे में जी-20, जो कई देशों के प्रतिनिधित्व वाली संस्था है उससे उम्मीद है कि भारत की अध्यक्षता के दौरान इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा कि जी-20 को किस आधार पर बनाया गया था।
भारत के अध्यक्ष होने के नाते कई देश आर्थिक स्थिरता लाने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। विशेष रूप से ऐसे समय में जब संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे बहुपक्षीय निकायों को इसमें सफलता नहीं मिली है जबकि इनका काम शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। ब्लिंकन चीन और रूस समेत 20 देशों के विदेश मंत्रियों के समूह (जी20) की बैठक में हिस्सा लेंगे। हालांकि, नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री किन गैंग (Qin Gang) या रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ ब्लिंकन के बैठने की संभावनाओं के बारे में अमेरिकी अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।
भारत के पड़ोसी देशों को ऋण के जाल में फंसाकर जबरन लाभ उठा सकता है चीन: अमेरिका
सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा कि अमेरिका इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि चीन द्वारा भारत के निकटवर्ती पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका को दिए जा रहे कर्ज का इस्तेमाल जबरन फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है। डोनाल्ड लू ने संवाददाताओं से कहा, भारत के निकटवर्ती देशों को चीन की ओर से दिए जा रहे कर्ज को लेकर हम अत्यधिक चिंतित हैं। हमें लगता है कि इस कर्ज का उपयोग जबरदस्ती फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है।
लू ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र के देशों से बात कर रहा है कि वे अपने फैसले खुद लें और किसी बाहरी साझेदार के दबाव में न आएं। लू ने कहा कि इस मामले में हम भारत और उसके पड़ोसी देशों से भी बात कर रहे हैं कि कैसे हम इन देशों को अपने निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए, जिससे चीन सहित किसी भी बाहरी भागीदार द्वारा उन्हें मजबूर किया जा सके। एक सवाल के जवाब में लू ने कहा कि चीन के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच गंभीर बातचीत हुई है। लू ने कहा कि हाल ही में हुई चीनी जासूसी गुब्बारे की घटना से पहले और बाद में में हमने चीन के बारे में गंभीर बातचीत की है और मुझे पूरी उम्मीद है कि बातचीत जा
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